महासमुंद – छत्तीसगढ़ में 15 साल से सत्ता में बैठी रही भाजपा बोनस के वादे भूल कर तो कभी समर्थन मूल्य पर किसानों के विश्वास को तोड़ा ओर आज भाजपा के नेतागण स्वयं बिना परेशानी धान बेच कर किसानों के लिए आंदोलन का नाटक कर रहे जिलाध्यक्ष डॉ रश्मि चंद्रकार ने बतलाया की भाजपा घड़ियाली आँसू बहा रही आंदोलन सिर्फ बहाना है उन्हें अपनी राजनीति चमकाना है भाजपा सवर्प्रथम ये बतलाये की जो वादे भाजपा ने अपने सत्ता में रहते किया उन्हें वो क्यो पूरा नही कर पाए क्यो आज किसान हितैषी बन रहे।
जिलाध्यक्ष डॉ रश्मि चंद्रकार ने भाजपा को याद दिलाया की इनके कार्यकाल में जब किसान आत्महत्या कर रहे थे तब कहा सोए हुये थे तब कहा थी भाजपा जब 2100 समर्थन मूल्य का वादा कर के मुकर गए थे तब इन्हें किसानों की पीड़ा नजर नही आई जो भाजपा किसानों के साथ छल कर के सत्ता में आई उन्हें कोई अधिकार नही आंदोलन करने की भाजपा के लिए किसान सिर्फ राजनीति करने का जरिया है यही केंद्रीय की भाजपा है जिनके वहज से आज छत्तीसगढ़ के किसान को समर्थन मूल्य की राशि को किस्तो में देना पढ़ रहा किस्तों पर भी भाजपा के नेतागण किसानों को झूठ ओर भ्रम फैला रहे।
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डॉ रश्मि चंद्रकार ने कहा की छत्तीसगढ़ कांग्रेस सरकार ने वादे अनुरूप किसान न्याय योजना से तीन क़िस्त अपने दम पर किसानों के खाते डाल दिए तो चौथे क़िस्त भी वो 31मार्च के पहले दे देगी लेकिन यही बात विपक्ष के नेताओ को हजम नही हो रही की कैसे कांग्रेस सरकार किसानों से किये वादे बखूबी पूरे कर रही ये वही भाजपा है जिन्होंने बोनस का वादा कर के पलटी मार दी थी तो आज विपक्ष में आकर कांग्रेस सरकार के किसान न्याय योजना के क़िस्त को मुद्दा बना रही इससे पता चलता है मुद्दाविहीन भाजपा हो गई है।
आज भाजपा के नेताओ को अपनी साख बचाने मैदान में उतारना पढ़ रहा पूर्व मुख्यमंत्री ओर राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ रमन सिंह ओर तमाम भाजपा के नेतागण बिना कोई समस्या अपना धान मंडियों में बेच लिया उनके किसी प्रकार की कोई दिक्कत नही हुई वो किसानों की समस्या के लिए आंदोलन कर रहे नैतिकता नाम की कोई चीज नही भाजपा के पास जिलाध्यक्ष डॉ रश्मि चंद्रकार ने बतलाया की भाजपा का दोहरा आचरण देखने मिल रहा किसानों को अपने राजनीतिक ढाल बना रही तो वही केंद्र में भाजपा किसानों पर वाटर केनन ओर लाठिया बरसा रही तब क्यो चुप बैठी थी छत्तीसगढ़ की भाजपा एक तरफ किसानों के लिए आंदोलन तो दूसरी तरफ दिल्ली के किसान आंदोलन को आतंवादी, नक्सल बोलना किसानों के प्रति भाजपा का किसान विरोधी चेहरा नजर आता है।
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