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बजट कृषि क्षेत्र के लिए निराशजनक, अनियमित कर्मचारियों को भी कुछ नहीं दिया-जुगनू चन्द्राकर

राज्य सरकार कृषि प्रधान छत्तीसगढ़ में कॄषि की विकास के लिए गंभीर नहीं

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महासमुंद-छत्तीसगढ़ के मुखिया भूपेश बघेल ने 1 मार्च 2021 को छत्तीसगढ़ विधानसभा में अपने कार्यकाल का तीसरा आम बजट 2021-22 प्रस्तुत किया जो कृषि क्षेत्र के लिए बहुत ही निराशाजनक है क्योंकि पिछली बजट 2020-21 की तुलना में कृषि क्षेत्र की सिंचाई व्यवस्थाओं के लिए काफी कम राशि रखी है, वही राजीव गांधी किसान न्याय योजना में केवल 600 करोड़ रुपये की वृद्धि की है जबकि पिछले साल की राशि किसानों को अब तक प्राप्त नही हुआ है और तो और किसान न्याय योजना को केवल धान उत्पादक किसानों तक ही सीमित रखा है जबकि मक्का ,गेंहू, सब्जी एवं अन्य फसल उत्पादक किसानों को राजीव गांधी न्याय योजना का लाभ प्राप्त ही नही हो रहा है।

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बजट के ऊपर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए छत्तीसगढ़ किसान मजदूर महासंघ के सदस्य जागेश्वर जुगनू चंद्राकर ने आगे कहा कि कृषक जीवन ज्योति योजना में पिछले साल की तुलना में केवल 200 करोड़ रुपये की वृद्धि किया है जबकि पिछले दो साल से किसान अपने कृषि पम्पों के लिए स्थायी विद्युत कनेक्शन प्राप्त करने के लिए भटक रहे हैं उनका दस्तावेज़ स्वीकृत हो चुके हैं परंतु फंड के अभाव में बिजली खंभा खड़ा कर तार बिछाने का काम पूरा नहीं होने के कारण स्थायी विद्युत कनेक्शन की स्वीकृति के बावजूद उन्हें अस्थायी कनेक्शन लेने मजबूर होना पड़ता है। इसे पूरा करने के लिए कृषक जीवन ज्योति योजना के तहत करीब 5000 करोड़ रुपये की प्रावधान बजट में होनी चाहिए थी।
उसी तरह यदि सिंचाई व्यवस्था के लिए बात करें तो 2020- 21 की बजट में पैरी बांध एवं पैरी महानदी इंटर लिकिंग नहर परियोजना के लिए 20 करोड़ रुपये, दांडपानी वृहत जलाशय परियोजना कुनकुरी के 20 करोड़ रुपये एवं शेखरपुर वृहत जलाशय सरगुजा के लिए 20 करोड़ रुपये का नवीन मद का प्रावधान किया था। नाबार्ड सहायतित सिंचाई परियोजनाओं हेतु 237 करोड़ रुपये, लघु सिंचाई परियोजनाओं हेतु 610 करोड़ रुपये, एनीकट/ स्टॉप डैम निर्माण के लिए 173 करोड़ रुपये, कमांड क्षेत्र में सिंचाई की पूर्ति के लिए 116 करोड़ रुपये का प्रावधान था लेकिन इस बजट 2021- 22 में सिंचाई की चार वृहत परियोजनाओं के लिए केवल 152 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है जो पिछले बजट की तुलना में काफी कम है।

इससे साफ जाहिर है कि राज्य सरकार कृषि प्रधान छत्तीसगढ़ में कॄषि की विकास के लिए गंभीर नहीं है। कुछ वनोपजों को समर्थन मूल्य में खरीदने की बात तो कही है लेकिन कृषि उपज मंडियों को व्यवस्थित करने, उपज बेचने के लिए नजदीक में पर्याप्त बाजार उपलब्ध कराने की दिशा में निराश किया है जहां किसानों को आसानी से उनके उपज का लाभकारी दाम मिल पाता।

जागेश्वर जुगनू चंद्राकर ने कहा कि जिस तरह यह बजट किसानों के लिए निराशाजनक है वैसे ही अनियमित कर्मचारियों जैसे अंशकालिक स्कूल सफाई कर्मचारियों, आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं/ सहायिकाओं, शिक्षा मितानों को नियमित करने और उनके मानदेय देने में होने वाले खर्च के संबंध में किसी भी प्रकार का विचार नहीं किया और न ही ऐसे बात कही जो अनियमित कर्मचारियों को स्थायीकरण की दिशा में ले जा सके इस संबंध में अपनी चुनावी घोषणा पत्र को भी याद नहीं किया है। किसानों का पूर्व के 2 साल का बकाया बोनस के बारे में भी विचार नहीं रखा गया है और तो और कांग्रेस की घोषणा पत्र में कहा गया था कि प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने पर चिटफंड की राशि सभी निवेशकों एवं अभिकर्ताओं को सरकार वापस दिलाएगी इस पर भी राज्य सरकार तीन सालों में कुछ नहीं किया है।

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