Home आलेख शपथ-शहीद दिवस,जल ही जीवन विश्व जल दिवस पर विशेष-लघु कथा महेश राजा

शपथ-शहीद दिवस,जल ही जीवन विश्व जल दिवस पर विशेष-लघु कथा महेश राजा

गांव की महिलाएं खुसुर पुसुर कर रही थी

प्रसिद्ध लघु कथाकार महेश राजा की पढ़िए लघुकथा

महासमुंद:-जिले के प्रसिद्ध लघु कथाकार महेश राजा की लघु कथाए- शपथ-शहीद दिवस,जल ही जीवन विश्व जल दिवस पर विशेष लघु कथा सुधि पाठकों के लिए उपलब्ध है ।

शपथ-बाँर्डर पर दुश्मनों की गोली लगने से उसकी मौत हो गयी। ससम्मान उसका शव गाँव लाया गया।राजकीय सम्मान से उसका अंतिम संस्कार होना था।मां,बहू और पोते के साथ शांत खडी थी। गांव की महिलाएं खुसुर पुसुर कर रही थी,यह जमुना भी न हमारी बात कभी नहीं सुनती ।पहले पति खोया अब बेटा।लाख मना किया था,मत भेजो बेटे को फौज में।पर,नहीं।जिद कि लडका फौजी ही बनेगा।

महेश राजा की लघु कथाए-घर की बात,बन्द आँखें,एक आम आदमी की चिंता और चिंता

शपथ-शहीद दिवस,जल ही जीवन विश्व जल दिवस पर विशेष-लघु कथा महेश राजा

सब पहुंच गये थे।मां की आंख मे गर्व के आंसू थे।अधिकारी ने बताया,-“आपका पुत्र बहादुरी के साथ लडते हुए शहीद हुआ।” मां के होंठ धीरे से हिले,-“साहब.मेरा दूसरा बेटा भी होता तो मै उसे देश सेवा मे जरूर भेजती।”
बहु भी अपने बेटे के साथ अंतिम दर्शन को आयी.अपने बेटे को गोद मे लेकर बोली,”मैंशपथ लेती हूँ, कि अपने पिता के समान ही उसका बेटा भी सेना ज्वाईन करेगा।” सबकी आंखे नम थी.मन भारी था।पर सभी उस परिवार की देशभक्ति को नमन कर रहे थे।

जल ही जीवन

गुजरात का प्रख्यात शहर।आदित्य कालोनी में सब संभ्रात परिवार रहते। पानी की समस्या थी ,तो हर रोज सोसायटी बडे टैंकर मँगवाकर सुबह सात से आठ जल आपूर्ति करती। पानी की बचत पर ध्यान दिया जाता। एक रोज सी विंग के परिवार जन पिकनिक हेतू छह बजे ही निकल गये।बाथरूम का नल खुला रह गया। दिन भर पानी बहता रहा।समिति ने फोन लगाया तो कव्हरेज क्षेत्र से बाहर बताता रहा।मुश्किल से मेन वाल्व से बंद किया गया।

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नियमानुसार उन्हें एक हजार रूपये जुर्माना होना तय था।कालोनी के एक बुजुर्ग ने कहा,यह सजा कम है।रूपये तो वे भर देंगे,परंतु पानी की कीमत उन्हें कैसे पता चलेगी।हाँ उनकी एक दिन की पानी सप्लाई बंद कर दें तो शायद वे इसका मोल समझ सकेंगे। आज पानी रूपयों में बिक रहा है। भविष्य में जलस्तर और भी नीचे हो सकता है। हमारी भावी पीढ़ी की भलाई हेतू जल का बचाव जरूरी है।

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