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10 साल में जनता की नहीं भाजपा के आए अच्छे दिन : विनोद चंद्राकर

वादाखिलाफी का हिसाब लोकसभा चुनाव में करेगी जनता-विनोद

10 साल में जनता की नहीं भाजपा के आए अच्छे दिन : विनोद चंद्राकर
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महासमुंद:-आज से लगभग 10 साल पहले माेदी सरकार ने अच्छे दिन आने का ढिंढोरा पीटा था। उस समय देश की जनता को लगा कि यह उनके लिए है। लेकिन अब देश इस बात का मूल्यांकन कर रहा है कि पिछले 10 सालों में अच्छे दिन किसके आये?

देश की जनता महंगाई से परेशान हैं, युवा बेरोजगार बैठे हैं। पेट्रोल, डीजल, गैस, खाद्य सामग्री का दाम आसमान पर हैं। मोदी ने वादा किया था हर वर्ष 2 करोड़ युवाओं को रोजगार देने का। लेकिन, हुआ उल्टा, देश में बेरोजगारी दर बढ़ गया। उक्त बाते पूर्व संसदीय सचिव विनोद सेवनलाल चंद्राकर ने भाजपा द्वारा आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर किये गए दावाें पर कही है ।

अच्छे दिन आए

पूर्व संसदीय सचिव चंद्राकर ने आगे कहा कि भाजपा के लिए अच्छे दिन आए, जिसमें 5,000 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति और संसाधन जमा हुए। उन मुट्ठी भर पूंजीपतियों के लिए अच्छे दिन आ गए, जो रुपये कमाने लगे। उन गिने-चुने सबसे बड़े अमीरों के लिए अच्छे दिन आए जिन्होंने कोरोना आपदा के बीच एक साल में 30 लाख करोड़ रुपये कमाये।

10 साल में जनता की नहीं भाजपा के आए अच्छे दिन : विनोद चंद्राकर

उन बैंक लुटेरों मेहुल चाैकसी, नीरव मोदी, विजय माल्या तथा संदेसरा भाई आदि के लिए अच्छे दिन आ गए जिन्होंने बैंक धोखाधड़ी की। तथा उनमें से कुछ विदेश भाग गये। कोरोना और कमरतोड़ महंगाई के बीच लाखों करोड़ कमाने वाले जमाखोरों और कालाबाजारियों के लिए अच्छे दिन आ गए।

पूर्व संसदीय सचिव चंद्राकर ने कहा कि भाजपा की अहंकारी सत्ता में लोगों को लूटा जा रहा है। उनकी आय कम हो रही है और महंगाई लगातार बनी हुई है। मोदी और भाजपा ने अच्छे दिन का बड़ा झूठ परोसकर वोट तो हासिल कर लिया। लेकिन आसमान छूती महंगाई से लोगों की जिंदगी में जहर घुल गया। शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि, प्रशासनिक एजेंसियों का दुरूपयोग, धार्मिक कट्टरपंथ को बढ़ावा देेने, आरक्षण नीति को कमजोर करने, सरकारी संपत्ति की बिक्री, युवाओं को नाैकरियां दे पाने में विफलता पाई है ।

इसके अलावा देश पर बढ़ता कर्ज तथा किसानों के लिए तीन काले कानून, आत्महत्याएं, 60 लाख लघु एवं सूक्ष्म उद्योग बंद और कारोबार में मंदी। 84% लोगों की आय कम हो गई यही मोदी सरकार की उपलिब्ध है। इसके अलावा जब मोदी सरकार बेनकाब हो गई तो उसने देश को नफरत और विभाजन से भरे दिन परोस दिए, ताकि जनता आपस में लड़कर अच्छे दिन का हिसाब न मांगे। अपने साथ हुए हर वादाखिलाफी का हिसाब लोकसभा चुनाव में देश की जनता करेगी।

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