Home छत्तीसगढ़ फसल अवशेष जलाने पर प्रतिबंध,अर्थदंड के साथ हो सकती है सजा

फसल अवशेष जलाने पर प्रतिबंध,अर्थदंड के साथ हो सकती है सजा

पराली जलाने पर 06 माह की सजा एवं अर्थदण्ड करने का प्रावधान हैं

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महासमुंद- छत्तीसगढ़ शासन आवास एवं पर्यावरण विभाग द्वारा वायु (प्रदुषण निवारण और नियंत्रण) अधिनियम 1981 की धारा 19 की उपधारा (5) के अंतर्गत फसल कटाई के पश्चात् खेतो में बचे हुये फसल अवशिष्ट को जलाने से वायु प्रदूषण होने अथवा संभावना के मद्देनजर फसल कटाई के पश्चात खेतों में बचे हुये फसल अवशिष्ट को जलाने पर प्रतिबंधित किया गया है।

कृषि विभाग के उप संचालक ने बताया कि जिसके तहत 02 एकड़ से कम के लिए 2500 रूपए प्रति घटना, 02 से 05 एकड़ तक पाॅच हजार रूपए प्रति घटना एवं 05 एकड़ से अधिक होने पर 15 हजार प्रति घटना एवं 06 माह की सजा एवं अर्थदण्ड करने का प्रावधान हैं। उन्होंने बताया कि इसमें जिला दंडाधिकारी, जिला एवं सत्र न्यायाधीश, पुलिस अधीक्षक, प्रदुषण एवं नियंत्रण बोर्ड के अधिकारी को अधिकृत किया गया है।

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बनाया जा सकता है खाद

उन्होंने बताया  कि इस आदेश के परिपालन में फसल अवशेष को जलाने से रोकने तथा उनके उचित प्रबंधन पशुचारे के रूप में उपयोग करने, कम्पोस्ट बनाने आदि के संबंध में कृषि विभाग द्वारा मैदानी अमलों के माध्यम से कृषकों को समझाईश देने एवं फसल अवशेष प्रबंधन के लिए व्यापक प्रचार-प्रसार किया गया है। इसके बावजूद भी कृषकों द्वारा फसल अवशेष को जलाया जाता है।

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जिन कृषकों के पास उपयोग से अधिक फसल अवशेष जैसे पैरा, भूसा आदि है, उन्हें खेत में जलाने की अपेक्षा निकटतम गौठानों में पशुचारा के लिए उपलब्ध कराने एवं डी-कम्पोजर के घोल का छिड़काव कर कुछ ही दिनों में सुपर कम्पोस्ट खाद बनाकर उपयोग में लाने समझाईश दी जाती है। इससे वायु प्रदुषण में रोकथाम के साथ-साथ मिट्टी की उर्वरा शक्ति गुणवत्ता में सुधार होगा जो कि पर्यावरण सहित सबके लिए हितकर अथवा लाभकारी होगा।

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