भोपाल-मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि प्रदेश के अनुसूचित क्षेत्रों में निवास कर रहे अनुसूचित जनजाति के व्यक्ति 15 अगस्त 2020 तक उन्हें दिए गए समस्त अवैध ऋणों से मुक्त हो जाएंगे। इसके साथ ही प्रदेश में अरजिस्ट्रीकृत साहूकारों द्वारा किसी भी व्यक्ति को दिया गया ऋण वसूला नहीं जा सकेगा तथा रजिस्ट्रीकृत साहूकारों द्वारा अधिक ब्याज पर दिया गया ऋण भी मान्य नहीं होगा। मध्यप्रदेश विधानसभा द्वारा आज मध्यप्रदेश अनुसूचित जनजाति ऋण विमुक्ति विधेयक तथा मध्यप्रदेश साहूकार संशोधन विधेयक 2020 पारित कर दिए गए।
मध्यप्रदेश अनुसूचित जनजाति ऋण विमुक्ति विधेयक 2020 के अनुसार अनुसूचित क्षेत्रों में निवास कर रहे अनुसूचित जनजाति वर्ग के व्यक्तियों को 15 अगस्त 2020 तक दिया गया प्रत्येक ऋण, जिसमें ब्याज की रकम, यदि कोई हो, भी सम्मिलित है, जो अनुसूचित क्षेत्र में निवासरत अनुसूचित जनजाति के सदस्य द्वारा किसी लेनदान को देय हो पूर्णत: उन्मोचित हो गया, समझा जाएगा।
ऋण की वसूली के समस्त वादों तथा कार्यवाहियों का, जो ऋणी के विरूद्ध लंबित हों, उपशमन हो जाएगा। ऋणी द्वारा गिरवी रखी गई प्रत्येक सम्पत्ति ऋणी के पक्ष में निर्मुक्त हो जाएगी तथा लेनदार इस बात के लिए आबद्ध होगा कि उस ऋणी को वह सम्पत्ति तत्काल वापस कर दे।
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किसी ऋणी द्वारा किसी लेनदार के पक्ष में निष्पादित किए गए प्रत्येक बंधक का मोचन हो जाएगा तथा बंधक सम्पत्ति, ऐसे ऋणी के पक्ष में निर्मुक्त कर दी जाएगी। कोई भी लेनदार किसी ऋणी को उसके द्वारा गिरवी या बंधक रखी गई उस सम्पत्ति का कब्जा वापिस करने या पुन: परिदत्त करने से इंकार नहीं करेगा, जो ऐसे ऋणी के पक्ष में इस अधिनियम के अधीन निर्मुक्त या मोचित हो गई हो।
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जो इन नियमों का उल्लंघन करेगा वह कारावास से जो तीन वर्ष तक हो सकेगा, या जुर्माने से, जो एक लाख रूपए तक का हो सकेगा, या दोनों से दंडित किया जाएगा। इस अधिनियम के उपबंधों के क्रियान्वयन के लिए जिलों में कलेक्टर अथवा उनके प्रतिनिधि, जो डिप्टी कलेक्टर से अनिम्न श्रेणी के हो, प्राधिकृत किए जा सकेंगे। किसी भी सिविल न्यायालय को ऐसे ऋण के संबंध में किसी भी प्रश्न को ग्रहण करने या विनिश्चित करने की अधिकारिता नहीं होगी।
मध्यप्रदेश साहूकार संशोधन विधेयक 2020 के अनुसार कोई भी साहूकार राज्य सरकार द्वारा समय-समय पर अधिसूचित की गई दर से अधिक ब्याज प्रभारित नहीं करेगा। अरजिस्ट्रीकृत किसी साहूकार द्वारा किसी व्यक्ति को अग्रिम दिया गया कोई उधार, विधि के किसी न्यायालय में, तब तक वसूल नहीं हो सकेगा, जब तक कि वाद दायर किए जाने के समय साहूकार प्रभावी रजिस्ट्रीकरण नहीं रखता हो। अर्थात् अरजिस्ट्रीकृत साहूकार द्वारा दिए गए ऋण शून्य होंगे।
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अचल सम्पत्ति के दान/विक्रय पर 3 प्रतिशत से अधिक अतिरिक्त स्टाम्प शुल्क नहीं लगेगा राज्य विधानसभा में प्रस्तुत किए गए अन्य विधेयक ‘मध्यप्रदेश नगर पालिक विधि (तृतीय संशोधन) विधेयक-2020’ के अनुसार मध्यप्रदेश नगर पालिक निगम और नगर पालिका की सीमाओं के अंतर्गत स्थित अचल सम्पत्ति के दान/विक्रय आदि से संबंधित लिखतों पर अतिरिक्त स्टाम्प शुल्क 3 प्रतिशत से अधिक प्रभार्य नहीं होगा।
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