Home छत्तीसगढ़ रायपुर बच्चों को ऐसा वातावरण मिले, जिनसे बचपन रहे सुरक्षित: राज्यपाल उइके

बच्चों को ऐसा वातावरण मिले, जिनसे बचपन रहे सुरक्षित: राज्यपाल उइके

दिव्यांग बच्चों की संगीतमय प्रस्तुती से प्रसन्न होकर एक लाख रूपए देने की घोषणा

राज्यपाल अनुसुईया उइके ने कहा है कि विश्व के सबसे अधिक मूल्यवान मानव संसाधन को समृद्ध बनाने के लिए बच्चों की अच्छी शिक्षा-दीक्षा और परवरिश पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि बच्चों को ऐसा वातावरण मिले कि उनका बचपन सुरक्षित रहे और उन्हें अपनी प्रतिभाओं को निखारने का उचित अवसर मिले। राज्यपाल उइके ने यह विचार आज यहां राजभवन के दरबार हॉल में बाल दिवस के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में व्यक्त की। राज्यपाल ने शासकीय दृष्टि एवं श्रवण बाधित विद्यालय के बच्चों द्वारा प्रस्तुत गीत-संगीत की सराहना करते हुए बच्चों के प्रोत्साहन हेतु विद्यालय को स्वेच्छा अनुदान से 01 लाख रूपए देने की घोषणा की.

राज्यपाल  उइके ने कहा कि हमारे देश के प्रथम प्रधानमंत्री पण्डित जवाहर लाल नेहरू बच्चों को विशेष स्नेह करते थे और बच्चे भी उन्हें चाहते थे तथा प्यार से उन्हें चाचा नेहरू कहते थे। इसलिए पण्डित नेहरू के जन्म दिन को बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है। उन्होंने कहा कि जीवन का सबसे महत्वूपूर्ण समय बचपन होता है। बचपन में सीखी हुई अच्छी बातें जीवन पर्यन्त काम आते हैं। राज्यपाल ने बच्चों पर बढ़ते हुए बस्ते के बोझ पर चिंता जताते हुए कहा कि आजकल यह देखा जाता है कि बच्चे तनाव के दौर से भी गुजर रहे हैं। उनका बचपन खो सा गया है। हमें चाहिए कि बच्चों को ऐसा वातावरण दें कि उनकी प्रतिभा को विकसित होने का पर्याप्त अवसर मिले.

राज्यपाल ने कहा कि कुपोषण की समस्या को एक चुनौती मानते हुए निजी संस्थाओं और सामाजिक संगठनों को भी अपनी सहभागिता निभानी चाहिए। राज्यपाल ने कहा कि दिव्यांग बच्चों ने आज हृदयस्पर्शी और प्रेरणादायी गीतों की बहुत अच्छी प्रस्तुती दी। उन्हें सुनकर ऐसा महसूस हुआ कि वे किसी से कम नहीं है बल्कि अपने सुमधुर गीत के माध्यम से पूरे समाज को स्वच्छता के संदेश दे रही हैं। इस अवसर पर राज्यपाल  उइके ने शासकीय दृष्टि एवं श्रवण बाधित विद्यालय रायपुर के बच्चों को प्रमाण-पत्र और स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया.

पुलिस महानिदेशक  डी. एम. अवस्थी ने कहा कि यह मेरा सौभाग्य है कि राजभवन में बाल दिवस पर आयोजित इस अद्भूत कार्यक्रम में मुझे शामिल होने का अवसर मिला। उन्होंने कहा कि राज्यपाल महोदया को तब से जानता हूं जब मैं वर्ष 1991 से 1993 के मध्य छिंदवाड़ा जिले में पुलिस अधीक्षक के पद पर था। मैंने उस समय महसूस किया था कि वे बड़ी संवेदनशील हैं। उन्होंने दिव्यांग बच्चों की प्रस्तुती की सराहना करते हुए कहा कि इन बच्चों के गीत के साथ-साथ संगीत से तालमेल भी अनोखा था।  अवस्थी ने कहा कि इन बच्चों को पुलिस अधिकारियों की बैठक में आमंत्रित करेंगे और उनकी प्रतिभा एवं संवेदनाओं से वाकिफ हो सकेंगे.

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