भारतीय सशस्त्र सेनाओं की एक टुकड़ी ने आज मॉस्को के रेड स्कवायर में आयोजित विक्ट्री डे परेड में हिस्सा लिया। यह परेड द्वितीय विश्व युद्ध में रूसी सेना को मिली जीत की 75वीं जयंती के अवसर पर आयोजित की गई। भारतीय सेना के तीनों अंगों की टुकड़ी ने 17 अन्य देशों तथा रूसी सशस्त्र बलों के साथ परेड में हिस्सा लिया। भारतीय सैन्य टुकड़ी में सेना के विभिन्न रैंकों के 75 सैन्यकर्मी शामिल थे।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में भाग लिया। ब्रिटिश भारतीय सैनिकों की टुकड़ी द्वितीय विश्व युद्ध के समय मित्र राष्ट्र की सेनाओं में शामिल बड़ी सैन्य टुकडि़यों में से एक थी। इन सैनिकों ने उत्तर और पूर्वी अफ्रीका, पश्चिमी रेगिस्तान और यूरोप के कई हिस्सों में धुरी राष्ट्रों के खिलाफ चलाये गये बड़े सैन्य अभियानों में हिस्सा लिया था। इन अभियानों में 87 हजार भारतीय सैनिक शहीद हुए थे और 34 हजार 354 जख्मी भी हुए थे।
भारतीय सैनिकों ने न केवल सभी मोर्चों पर युद्ध में हिस्सा लिया बल्कि ईरान से होकर गुजरने वाले लीज मार्ग पर लॉजिस्टिक समर्थन भी सुनिश्चित किया, जिसके माध्यम से हथियार, गोला-बारूद, उपकरण और भोजन सामग्री सोवियत संघ, ईरान और इराक तक पहुंचाई जा सकी।
भारतीय सैनिकों की वीरता को चार हज़ार से अधिक अलंकरणों से सम्मानित किया गया, जिसमें 18 विक्टोरिया और जॉर्ज क्रॉस पुरस्कार भी शामिल थे। तत्कालीन सोवियत संघ ने भारतीय सशस्त्र बलों की वीरता की सराहना की और सोवियत संघ की सर्वोच्च संस्था प्रेसीडियम द्वारा 23 मई 1944 को पारित एक सरकारी आदेश के जरिए रॉयल इंडियन आर्मी सर्विस कोर के सैनिक सूबेदार नारायण राव निक्कम और हवलदार गजेंद्र सिंह चंद को रेड स्टार के प्रतिष्ठित अंलकरण से सम्मानित किया गया।
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