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जिनकी पुत्री नहीं है वे किसी निर्धन कन्या को पुत्री मानकर करें कन्यादान : आचार्य नरेंद्र नयन

दानों में सबसे बड़ा दान कन्या दान होता है -

जिनकी पुत्री नहीं है वे किसी निर्धन कन्या को पुत्री मानकर करें कन्यादान : नरेंद्र

महासमुंद :- जिनकी पुत्री नहीं है वे किसी निर्धन कन्या को पुत्री मानकर करें कन्यादान कर सकते है । मनुष्य को अपने आयु के अनुसार व्यवहार में परिवर्तन ले आना चाहिए। उन्होंने दानशीलता में सबसे बड़ा दान कन्या दान को बताया।

उक्त बाते आचार्य नरेंद्र नयन द्वारा कलेक्ट्रेट रोड स्थित भरतलीला मेंशन में लीलादेवी चंद्राकर, सुष्मिता- आलोक चंद्राकर परिवार द्वारा आयोजित श्रीमद भागवत कथा के पांचवे दिन श्रीकृष्ण लीला एवं गोवर्धन पूजा उत्सव का आयोजन के द्वारा कहा गया । किया गया। इसके अलावा उनके द्वारा  मानव जीवन के चार अवस्थाओं के बारे में बताया।

आचार्य शास्त्री ने कहा मनुष्य को अपने आयु के अनुसार व्यवहार में परिवर्तन ले आना चाहिए। उन्होंने दानशीलता में सबसे बड़ा दान कन्या दान को बताया। श्री शास्त्री ने कहा कि आज मनुष्य धन के मोह में जकड़ा हुआ है। हर कोई संतान के रूप में केवल पुत्र ही चाहता है। पुत्र के विवाह में दहेज की कामना करता है।

जिनकी पुत्री नहीं है वे किसी निर्धन कन्या को पुत्री मानकर करें कन्यादान : आचार्य नरेंद्र नयन

जिनकी पुत्री नहीं है वे किसी निर्धन कन्या को पुत्री मानकर करें कन्यादान : नरेंद्र

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उन्होंने कहा कि बहु के रूप में आपको एक पिता ने अपनी पुत्री को साैंप दिया। जो आपके कुल आपके वंश को आगे बढ़ाती। आपके कुल की यश और कीर्ति को बढ़ाती है, इससे बड़ा दहेज और क्या हो सकता है। आप उस पिता के ऋण से कैसे मुक्त होंगे जिसने आपको अपनी बेटी का दान किया। इसलिए यदि आपकी कोई पुत्री नहीं है तो किसी निर्धन कन्या का विवाह कराकर कन्यादान कर दीजिए। इससे बड़ा दान व पुण्य कर्म आैर कुछ भी नहीं है।

नरेंद्र नयन ने बताया कि उन्होंने स्वयं अब तक 323 बेटियों का विवाह कराकर उनका कन्यादान किया है। भागवत कथा में चढ़ावे व दक्षिणा को वे कथा स्थल पर ही निर्धन बेिटयों को दान कर देते हैं। इसके अलावा उन्होंने 17 बेटियों को इंजीनियरिंग की शिक्षा के लिए आर्थिक सहयोग किया है। जिसमें से 11 बेटी आज शासकीय नाैकरी कर परिवार की मदद कर रही हैं।

आचार्य नरेंद्र नयन ने आज भगवान श्रीकृष्ण के बाल लीलाओं का वर्णन करते हुए कहा कि जिन पर भगवान श्रीकृष्ण की कृपा होती है, उन्हें ही भागवत कथा सुनने का साैभाग्य मिलता है। आज महासमुंद की पुण्य भूमि पर आयाेजित श्रीमद् भागवत कथा का लाभ केवल चंद्राकर परिवार को ही नहीं अपितु, यहां कथा सुनने पहुंच रहे समस्त भक्तों मिल रहा है। चंद्राकर परिवार के पुण्य कर्मों का लाभ श्री भरतलीला मेंशन में उपस्थित समस्त श्रोताओं को मिल रहा है।

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