मद्रास उच्च न्यायालय ने राजीव गांधी हत्या मामले में दोषी नलिनी हरीहरण की उस याचिका को खारिज कर दिया है जिसमें उसकी शीघ्र रिहाई की मांग की गई थी।बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दाखिल करके उसने कहा कि तमिलनाडु मंत्रिमंडल ने उसे मिलाकर आजीवन कारावास के सात दोषियों को पहले ही रिहा करने का प्रस्ताव पारित किया है।
उसने कहा कि राज्यपाल इस प्रस्ताव पर कोई कार्रवाई नहीं कर रहे हैं और उसका लगातार जेल में रहना गैरकानूनी है। न्यायमूर्ति आर.सुब्बिया और न्यायमूर्ति आर.पोंगयाप्पन की खंडपीठ ने कहा कि इस दावे में कोई सच्चाई नहीं है कि दोषियों का जेल में रहना गैरकानूनी हैं।इससे पहले अपर महाधिवक्ता राजगोपाल ने तर्क दिया कि इन लोगों की शीघ्र रिहाई के राज्य मंत्रिमंडल के प्रस्ताव को राज्यपाल के पास भेजा जाना कोई मायने नहीं रखता क्योंकि केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो-सीबीआई इस हत्याकांड की जांच कर रहा है। उन्होंने कहा कि ऐसे मामले में केन्द्रीय गृहमंत्रालय की सहमति के बिना अभियुक्तों की रिहाई नहीं की जा सकती।
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राज्य के लोक अभियोजक ए नटराजन ने कहा कि इस मामले को राज्यपाल के पास भेजे जाने के बाद राज्य सरकार की भूमिका समाप्त हो गई है। उन्होंने कहा कि राज्यपाल की सहमति के बिना इस मामले में सरकार कोई कार्रवाई नहीं कर सकती है। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने कहा कि राज्य सरकार के प्रस्ताव पर राज्यपाल को कार्रवाई करनी चाहिए।
ताहिर व् अन्य के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग और उत्तर पूर्वी दिल्ली हिंसा के आरोप में मामला दर्ज
प्रर्वतन निदेशालय ने आम आदमी पार्टी के निलंबित पार्षद ताहिर हुसैन, पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया-पी.एफ.आई. और कुछ अन्य के विरूद्ध मनी लॉन्ड्रिंग और उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हाल की हिंसा के लिए फंड जुटाने के आरोप में मामला दर्ज किया है।ताहिर हुसैन पर हिंसा के दौरान गुप्तचर ब्यूरो के एक कर्मचारी की हत्या का आरोप है। निदेशालय ने ताहिर हुसैन पर मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम कानून के तहत मामला दर्ज किया है। पी.एफ.आई. पर भी यह आरोप लगे हैं। इस समय ताहिर हुसैन दिल्ली पुलिस की हिरासत में है।
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