अंतराष्ट्रीय पथ प्रदर्शक के रूप में उभरा नवजीवन,ऑस्ट्रेलियन यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने सीखी बारीकियां

अंतराष्ट्रीय पथ प्रदर्शक के रूप में उभरा नवजीवन,विश्व स्वास्थ्य संगठन के निर्देशानुसार ऑस्ट्रेलियन यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने सीखी बारीकियां अभियान नवजीवन की चर्चा केवल राष्ट्रीय स्तर तक ही सीमित नहीं है, वृहदतर दायरे में ख्याति प्राप्त शोधकर्ताओं के बीच अंतराष्ट्रीय स्तर पर भी गुंजायमान है

महासमुन्द -नवजीवन अभियान की पहल अब राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी शोध हेतु अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत कर रही है। आज शुक्रवार के दिन ऑस्ट्रेलिया स्थित मेलबर्न विश्वविद्यालय के शोधकर्ता डॉ ग्रेक आर्मस्ट्रांग एवं उनके सहयोगी ने महासमुंद जिले से शुरू हुई आत्महत्या रोकथाम पहल नवजीवन के उद्देश्य, भूमिका, संसाधन, कार्य-प्रणाली व प्रकरण अंकेक्षण इत्यादि विषयों पर गहनता से अध्ययन किया और जाना की किस तरह तनावग्रस्त व्यक्तियों को आत्महत्या करने से रोक कर, उन्हें उर्धगामी भविष्य की ओर अग्रेषित किया जा सकता है। उनके द्वारा सर्वप्रथम घोड़ारी ग्राम में नव-निर्मित नवजीवन केंद्र का उद्घाटन किया गया।

उसके बाद ग्राम बेलसोंडा के नवजीवन केंद्र पहुंचे। जहाँ, कलेक्टर  सुनील कुमार जैन के निर्देशानुसार मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ एसपी वारे व सिविल सर्जन सह-अस्पताल अधीक्षक डॉ आरके परदल सहित जिला कार्यक्रम प्रबंधक एवं नवजीवन के नोडल अधिकारी  संदीप ताम्रकार ने उन्हें तनाव प्रबंधन हेतु स्थापित किए गए नवजीवन केंद्रों की उपयोगिता से अवगत कराया।

शोधकर्ता डॉ आर्मस्ट्रांग ने जहां स्थानीय निवासियों से स्वयं बात कर व्यक्तिगत अनुभव अंकित किए, वहीं बागबाहरा के हाथीबाहरा हेल्थ एन्ड वैलनेस सेंटर सहित बागबाहरा की लाइव प्रशिक्षण कार्यशाला में नवजीवन सखा एवं सखी के साथ अनुभव साझा किए। साथ ही साथ महासमुंद, छत्तीसगढ़ एवं समूचे भारत में आत्महत्या के आंकड़ों का अध्ययन कर ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में वर्तमान स्थिति पर तुलनात्मक विचार भी व्यक्त कर टिप्स भी दिए।
जिले के प्रवास के दौरान कलेक्टर सुनील कुमार जैन एवं डॉ रवि मित्तल मुख्य कार्यपालन अधिकारी के साथ शोधकर्ता की हुई सीधी बात
कलेक्टर- आपका अनुभव कैसा रहा?
डॉ ग्रेक- रियली नाइस स्टडी। आपका प्रयास अनुकरणीय है।
कलेक्टर- नवजीवन में और क्या सुधार कर सकते हैं?
डॉ ग्रेक- पूर्व में आत्महत्या के प्रयास कर चुके लोगों पर विशेष ध्यान दें।
कलेक्टर- इस दिशा में पहले से ही प्रयासरत हैं।
डॉ ग्रेक- कीटनाशक जैसे पदार्थों के संग्रहण के लिए अलग व्यवस्था हो।
कलेक्टर- शत-प्रतिशत तो संभव नहीं है लेकिन फिर भी प्रयास करेंगे।
कलेक्टर- हमने शून्य से शुरुआत की थी, आज सैकड़ा भर से अधिक प्रकरणों में सफलता मिल चुकी है। आपको जान कर कैसा लगा?
डॉ ग्रेक- डिप्रेशन दूर करने सकारात्मक सोच एवं प्रचार-प्रसार प्रशिक्षण प्रणाली में सखा-सखी का टीम वर्क बहुत अच्छा है।
इस दौरान वे जिला अस्पताल स्थित स्पर्श क्लिनिक पहुंचे। निमहान्स बंगलुरू से प्रशिक्षण प्राप्त डॉ छत्रपाल चन्द्राकर और उपस्थित मरीजों के बीच परामर्श संबंधी संवाद सुने और तनाव निराकरण हेतु जीवन कौशल की बारीकियां समझीं। निरंतर दौरे में उनके साथ क्रमशः मुख्य कार्यपालन अधिकारी जनपद पंचायत एस तिवारी, तहसीलदार  मूलचंद चोपड़ा, जिला कार्यक्रम प्रबंधक ताम्रकार, जिला सलाहकार  अदीबा बट्ट, प्रशासनिक प्रभारीराहुल नवरतन, एवं अनुविभागीय अधिकारी बागबाहरा (प्रशासन)  भागवत जायसवाल, खंड चिकित्सा अधिकारी डॉ विपिन राय व डॉ आरके कुरुवंशी एवं सहा.चिकि.अधिकारी डॉ किशोर साहू, मनोचिकित्सा सामाजिक कार्यकर्ता रामगोपाल खूंटे, शासकीय सामाजिक कार्यकर्ता असीम श्रीवास्तव व योग प्रशिक्षक देव डडसेना सहित अन्य विभागीय अधिकारी एवं कर्मचारी उपस्थित रहे।