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19 लोगों के नेत्रदान से 38 लोगों का जीवन हुआ रोशन,854 लोगों ने नेत्रदान की घोषणा

19 लोगों के नेत्रदान से 38 लोगों का जीवन हुआ रोशन,854 लोगों ने नेत्रदान की घोषणा

बलौदाबाजार-बलौदाबाजार-भाटापारा जिले में गत दो वर्ष में 854 लोगों ने नेत्रदान की घोषणा की है। इनमें से 19 लोगों के नेत्र से 38 लोगों का जीवन रोशन हुआ है। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डाॅ. खेमराज सोनवानी ने नेत्रदान पखवाड़ा के सिलसिले में इस आशय की जानकारी दी है।

उन्होंने जनजागरूकता के लिए नेत्रदान का महत्व बताते हुए अधिकाधिक लोगों से नेत्रदान करने की अपील की है। गौरतलब है कि राज्य सरकार के निर्देशानुसार जिले में 25 अगस्त से 8 सितंबर तक राष्ट्रीय नेत्रदान पखवाड़ा मनाया जा रहा है । उन्होंने कहा कि देश में दृष्टिहीनता बड़ी समस्या है । ऐसे में यदि अधिक से अधिक लोग अपने नेत्रदान करें तो इसके निराकरण में सहयोग मिलेगा । इस महत्वपूर्ण कार्य में लोगों की भागीदारी बढ़ाने के लिए ही इस पखवाड़े के माध्यम से समुदाय में जन जागरूकता कार्यक्रम आयोजित कर स्वास्थ्य विभाग लोगों को प्रोत्साहित कर रहा है ।

सिस्टर हिल्दा एक्का बनी मिसाल, उनकी इच्छानुसार मृत्यु के बाद परिजनों ने किया नेत्रदान

19 लोगों के नेत्रदान से 38 लोगों का जीवन हुआ रोशन,854 लोगों ने नेत्रदान की घोषणा

जिला अंधत्व नियंत्रण कार्यक्रम के प्रभारी एवं सिविल सर्जन डॉ राजेश कुमार अवस्थी ने बताया कि नेत्रदान पखवाड़ा में जन प्रतिनिधि सहित स्कूल ,कालेज के विद्यार्थियों ,विभिन्न विभाग के अधिकारियों तथा कर्मचारियों एवं समुदाय में इस हेतु मीटिंग,परिचर्चा आदि के माध्यम से लोगों को जागरूक किया जा रहा है साथ ही इसमें नेत्र सहायक अधिकारी आँखों की जाँच भी कर रहे हैं ।

नेत्रदान किये व्यक्ति के परिजनों को विभाग द्वारा प्रशस्ति पत्र देकर उनका आभार भी व्यक्त किया जाता है ।

डॉ अवस्थी ने आगे बताया कि मृत्यु के 6 घंटे के भीतर नेत्रदान हो जाना चाहिए ।

एड्स, हेपेटाइटिस, कैंसर, रेबीज ,सेप्टीसीमिया ,टिटनेस जैसे बीमारियों से ग्रस्त

व्यक्ति के नेत्र नहीं लिए जाते जबकि चश्मा पहनने वाले एवं शुगर के मरीज नेत्रदान कर सकते हैं।

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रानीपोखरी-ऋषिकेश राजमार्ग पर पुल का एक हिस्सा ढहा,मार्ग अवरुद्ध

रानीपोखरी-ऋषिकेश राजमार्ग पर पुल का एक हिस्सा ढहा,मार्ग अवरुद्ध
साभार ANI

उत्तराखंड-देहरादून में रानीपोखरी-ऋषिकेश राजमार्ग पर जाखन नदी पर पुल का एक हिस्सा ढह गया है जिसके कारण इस मार्ग पर यातायात को रोक दिया गया है। राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (SDRF) की बचाव और गहरी गोताखोरी टीम घटना स्थल पर पहुंच गई है। एसडीआरएफ ने शुरू किया अपना बचाव और राहत अभियान शुरू कर दिया है ।

इस मामले में जिलाधिकारी आर राजेश कुमार का कहना है कि पुल का एक हिस्सा ढहने की खबर मिली है मार्ग पर यातायात रोक दिया गया है । राहत और बचाव कार्य के लिए राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (SDRF) की टीम भेजी गई है । बताया जाता है कि पुल के तीन पिल्हर क्षतिग्रस्त हुए है जिसके कारण पुल का उपरी हिस्सा जाखन नदी में गिर गई है ।

रानीपोखरी-ऋषिकेश राजमार्ग पर पुल का एक हिस्सा ढहा,मार्ग अवरुद्ध

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साहित्यिक गोष्ठी में साहित्यकारों ने किया अपनी प्रतिनिधि रचनाओं का पाठ

साहित्यिक गोष्ठी में साहित्यकारो ने किया अपनी प्रतिनिधि रचनाओं का पाठ

महासमुंद-डा.चितरंजन कर और वरिष्ठ साहित्यकार बलदाऊ राम साहु के नगर आगमन गजलकार अशोक शर्मा के निवास सोहन-स्नेह में एक साहित्यिक गोष्ठी का आयोजन किया गया । इस कार्यक्रम में महासमुंद के अधिकांश साहित्यकार उपस्थित हुए । इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डां.चितरंजन कर अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार ईश्वर शर्मा  ने किया जबकि विशेष अतिथि के रूप में बाल गीतकार बीआर साहू उपस्थित थे।

आज उपस्थित साहित्यकारो ने अपनी प्रतिनिधि रचनाओं का पाठ किया । आज के कार्यक्रम में महेश राजा ने लघुकथा पाठ किया।तत्पश्चात मनोज उपाध्याय मतिहीन,भागवत जगत भूमिल, चंद्र सेन, सलीम कुरैशी, प्रलय थिटे,डा.अनसुईया अग्रवाल,अशोक चोरडिया, डा.बंधु राजेश्वर खरे, अशोक शर्मा ,सीमा प्रधान एवम हुकुम शर्मा ने अपनी उत्कृष्ट रचनाएं सुनायी।

तुम कब आजाद होओगे,तिरंगा, खरी-खरी, परिंदे :-महेश राजा की लघु कथा

साहित्यिक गोष्ठी में साहित्यकारो ने किया अपनी प्रतिनिधि रचनाओं का पाठ

चित्तौड़गढ़ का ‘’मेनाल’’बना मानसून डेस्टिनेशन,पर्यटन स्थलों की हुई Video शूटिंग

कार्यक्रम में आगे वरिष्ठ व्यंग्यकार ईश्वर शर्मा ने अपनी अद्भुत शैली में”जनरल प्रमोशन”रचना पढ़ी। बलदाऊ साहु ने छत्तीसगढ़ी गजल और रक्षा बंधन पर रचना पढ़ी। प्रसिद्ध भाषाविद डा.चितरंजन कर ने नदियों ने नाम नहीं बदला और बँटवारे पर शानदार कविताएं चली। देर शाम तक काव्यगंगा बहती रही।सुंदर और सफल आयोजन का संचालन गजलकार  अशोक शर्मा ने विशिष्ट शैली में किया।

इस कार्यक्रम में वरिष्ठ प्रोफेसर अब्दुल करीम,भाई विजय श्रीवास्तव राजिम

और पंडित कृष्ण कुमार पांडेय की विशिष्ट उपस्थिति रही।

साहित्यिक गोष्ठी में आभार प्रदर्शन के बाद यह कार्यक्रम समाप्त हुआ।

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चित्तौड़गढ़ का ‘’मेनाल’’बना मानसून डेस्टिनेशन,पर्यटन स्थलों की हुई Video शूटिंग

चित्तौड़गढ़ का ‘’मेनाल’’बना मानसून डेस्टिनेशन,पर्यटन स्थलों की हुई Video शूटिंग

जयपुर-चित्तौड़गढ़ में ‘’मेनाल’’ को अब मानसून डेस्टिनेशन के रूप में लोग पसंद कर रहे हैं। अब यहाँ के खुबसूरत झरने को देखने दूर-दूर से लोग आ रहे हैं और इसकी खूबसूरती को एकटक निहार रहे हैं। इधर पर्यटन विभाग ने भी इसके लिए मानसून डेस्टिनेशन कार्य योजना बनाई है। विभाग द्वारा यहाँ इस स्थल को अब प्रमोट किया जाएगा ताकि अनजान लोग भी इसके बारे में जान सके।

अब तक हिमाचल, महाराष्ट्र के पहाड़ों में बादल, बारिश की तस्वीरों और गोवा बीच के वीडियो ही लोग वीडियो क्लिप में देखते थे। अब उसी तरह मेवाड़ में मानसून के नजारे निहारेंगे। राजस्थान में मानसून डेस्टिनेशन को प्रसारित करने के लिए पर्यटन विभाग ने पहले चरण में उदयपुर, राजसमंद और बांसवाड़ा के पर्यटन स्थलों की वीडियो शूटिंग बनाई गई है।

चित्तौड़गढ़ पर्यटन विभाग ने जिले के ऎसे स्थलों का प्रस्ताव भेजा है जो बारिश में अलग छटा के दिखते हैं इसके लिए पांच ब्लोगर्स एवं इनफ्लुएंसर्स को आमंत्रित किया है। इनके सोशल मीडिया पर हजारों फॉलोअर्स हैं, जिसमें देश-दुनिया के पर्यटक मानसून में यहां की खूबसूरती को देख सकेंगे सहायक पर्यटन अधिकारी शरद व्यास का कहना है कि विभाग मेवाड़ के सभी प्रमुख ऎसे रमणीक स्थलों के वीडियो शूट करवा रहा है तथा जिले के एक दर्जन स्थलों को चिन्हित कर प्रस्ताव भेजा है।

मध्य प्रदेश, 36 गढ़ व् अन्य राज्यों में मानसून के आगे बढ़ने के लिए स्थितियां अनुकूल

चित्तौड़गढ़ का ‘’मेनाल’’बना मानसून डेस्टिनेशन,पर्यटन स्थलों की हुई Video शूटिंग

नागर विमानन मंत्रालय ने ड्रोन नियमावली 2021 की लागू,किए कई संशोधन

जिला प्रशासन द्वारा जिले के निलिया महादेव, बस्सी पॉइंट, मेनाल, जोगणिया माता, रावतभाटा क्षेत्र में चूलिया का हाल, गोसुंडा, गंभीरी, बस्सी बांध, निंबाहेड़ा के बाड़ी मानसरोवर, निकटवर्ती, प्रतापगढ़ के गौतमेश्वर आदि स्थलों को प्रमोट करने के लिए लिखा गया है।

बीते हुए दौर में आसमां में गुजरने वाले बादलों पर होती थी नजर सज्जनगढ़ महल से

भैंसरोड़गढ़ क्षेत्र में बाडोली मंदिर के पास, विजयपुर घाटा और केल्जर के

झरने की जानकारी भेजी जा रही है। मेनाल के साथ साथ पर्यटक सेवन फॉल

और मिंडकी महादेव के झरने का आनंद उठा सकते है। इसके अलावा पर्यटन

बिजोलिया नामक स्थान से मात्र 8 किमी दूर भड़क्या माताजी के

जलप्रपात का भी लुफ्त उठा सकते हैं जो की काफी प्रसिद्ध है।

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नागर विमानन मंत्रालय ने ड्रोन नियमावली 2021 की लागू,किए कई संशोधन

दिल्ली-नागर विमानन मंत्रालय ने मार्च 2021 में यूएएस नियमावली, 2021 प्रकाशित की थी जिसे शिक्षाविदों, स्‍टार्टअप्‍स, एंड-यूजर्स और अन्‍य हितधारकों ने स्‍वाभाविक रूप से प्रतिबंधात्‍मक माना था, क्‍योंकि इनमें अधिक कागजी कार्रवाई की जरूरत थी और ड्रोन की प्रत्‍येक उड़ान के लिए कई अनुमति लेने की जरूरत के साथ-साथ बहुत कम ‘फ्री टू फ्लाई’ ग्रीन जोन उपलब्‍ध थे। इनके बारे में प्राप्‍त हुए फीडबैक के आधार पर सरकार ने यूएएस नियमावली, 2021 को रद्द करने और उसकी जगह उदार बनाई गई ड्रोन नियमावली, 2021 लागू करने का निर्णय लिया है।

मानव रहित विमान प्रणाली को आमतौर पर ड्रोन के रूप में जाना जाता है। यह प्रणाली अर्थव्‍यवस्‍था के लगभग सभी क्षेत्रों जैसे कृषि, खनन, बुनियादी ढांचा, निगरानी, ​​आपातकालीन प्रतिक्रिया, परिवहन, भू-स्थानिक मानचित्रण, रक्षा और कानून लागू करने के बारे में अधिक लाभों का प्रस्‍ताव करती है। ड्रोन अपनी पहुंच, प्रतिभा, सरल उपयोग के कारण, विशेष रूप से भारत के दूर-दर्राज तथा दुर्गम क्षेत्रों में रोजगार और आर्थिक विकास के लिए महत्‍वपूर्ण योगदान प्रदान कर सकते हैं। नवाचार, सूचना प्रौद्योगिकी, मितव्ययी इंजीनियरिंग में अपनी परंपरागत मजबूती और व्‍यापक घरेलू मांग को देखते हुए भारत में वर्ष 2030 तक वैश्विक ड्रोन केन्‍द्र बनने की संभावना है।

NTPC बिजली संयंत्रों में अनुसंधान व् निरीक्षण के लिए ड्रोन्‍स की मिली अनुमति

नागर विमानन मंत्रालय ने ड्रोन नियमावली 2021 की लागू,किए कई संशोधन

ड्रोन नियमावली, 2021 की प्रमुख विशेषताएं इस तरह से है

प्रपत्रों की संख्या 25 से घटाकर 5 कर दी गई हैं। 72 प्रकार के शुल्‍कों की संख्‍या घटाकर 4 कर दी गई हैं।
शुल्क की मात्रा को घटाकर नाममात्र स्तर पर कर दिया गया है और जिनका ड्रोन के आकार के साथ कोई संबंध नहीं रहा है। उदाहरण के लिए, रिमोट पायलट लाइसेंस शुल्क जो बड़े ड्रोन के लिए 3000 रुपये था उसे सभी श्रेणियों के लिए घटाकर 100 रुपये कर दिया गया है जो 10 साल के लिए वैध रहेगा।

डिजिटल स्काई प्लेटफॉर्म को उपयोगकर्ता के अनुकूल सिंगल-विंडो सिस्टम के रूप में विकसित किया जाएगा। इसमें न्यूनतम मानव इंटरफेस होगा और अधिकांश अनुमति स्व:जनित होंगी। इस नियमावली के प्रकाशन के 30 दिनों के अंदर डिजिटल स्काई प्लेटफॉर्म पर हरे, पीले और लाल क्षेत्रों के साथ इंटरएक्टिव एयरस्‍पेस नक्शा प्रदर्शित किया जाएगा।
ग्रीन जोन में ड्रोन के परिचालन के लिए किसी प्रकार की अनुमति की आवश्यकता नहीं है।

ग्रीन जोन का अर्थ है 400 फीट या 120 मीटर की ऊर्ध्वाधर दूरी तक का हवाई क्षेत्र है जिसे एयरस्‍पेस नक्‍शे में लाल क्षेत्र या पीले क्षेत्र के रूप में नामित नहीं किया गया है; और एक परिचालन हवाई अड्डे की परिधि से 8 और 12 किलोमीटर की पार्श्व दूरी के बीच स्थित क्षेत्र से 200 फीट या 60 मीटर की ऊर्ध्वाधर दूरी के ऊपर का हवाई क्षेत्र। पीले जोन के हवाई अड्डे की परिधि के 45 किलोमीटर से घटाकर 12 किलोमीटर तक कर दिया गया है।

टिड्डी नियंत्रण के लिए ड्रोन का उपयोग करने वाला भारत दुनिया का पहला देश बना

नागर विमानन मंत्रालय ने ड्रोन नियमावली 2021 की लागू,किए कई संशोधन

माइक्रो ड्रोन्‍स (गैर-व्यावसायिक उपयोग के लिए) और नैनो ड्रोन के लिए रिमोट पायलट लाइसेंस की आवश्यकता नहीं है। किसी भी पंजीकरण या लाइसेंस को जारी करने से पहले सुरक्षा मंजूरी की कोई आवश्यकता नहीं होगी।
ग्रीन जोन में स्थित अपने या किराए के परिसर में ड्रोन का संचालन करने वाली अनुसंधान एवं विकास संस्‍थाओं को टाइप सर्टिफिकेट, विशिष्ट पहचान संख्या और रिमोट पायलट लाइसेंस की कोई जरूरत नहीं है। भारतीय ड्रोन कंपनियों में विदेशी स्वामित्व के बारे में कोई प्रतिबंध नहीं है। ड्रोन का आयात डीजीएफटी द्वारा नियंत्रित होगा। डीजीसीए से आयात मंजूरी की आवश्यकता को समाप्त कर दिया गया है।

ड्रोन नियमावली, 2021 के तहत ड्रोन का कवरेज 300 किलोग्राम से बढ़ाकर 500 किलोग्राम कर दिया गया है। जिसमें ड्रोन टैक्सियां ​​भी शामिल होंगी। डीजीसीए ड्रोन प्रशिक्षण जरूरतों का निर्धारण करेगा, ड्रोन स्कूलों की निगरानी करेगा और ऑनलाइन पायलट लाइसेंस भी उपलब्‍ध कराएगा। डिजिटल स्काई प्लेटफॉर्म के माध्यम से अधिकृत ड्रोन स्कूल से रिमोट पायलट सर्टिफिकेट प्राप्त करने के 15 दिनों के अंदर डीजीसीए द्वारा रिमोट पायलट लाइसेंस जारी कर दिया जाएगा।
क्वालिटी काउंसिल ऑफ इंडिया या अधिकृत परीक्षण संस्थाओं द्वारा टाइप सर्टिफिकेट जारी करने के लिए ड्रोन का परीक्षण किया जाएगा।

उड़ान योजना के तहत 22 नए शहर में हवाई-यात्रा की सुविधा हुई उपलब्ध

नागर विमानन मंत्रालय ने ड्रोन नियमावली 2021 की लागू,किए कई संशोधन

टाइप सर्टिफिकेट की आवश्यकता तभी होगी जब ड्रोन भारत में परिचालित किया जाएगा। केवल निर्यात के लिए ड्रोन के आयात और विनिर्माण को टाइप प्रमाणन और विशिष्ट पहचान संख्या से छूट दी जाएगी। नैनो और मॉडल ड्रोन (अनुसंधान या मनोरंजन के उद्देश्य से बने) को टाइप प्रमाणीकरण से छूट दी गई है। निर्माता और आयातकर्ता स्व-प्रमाणन मार्ग के माध्यम से डिजिटल स्काई प्लेटफॉर्म पर अपने ड्रोन की विशिष्ट पहचान संख्या का सृजन कर सकते हैं।
डिजिटल स्काई प्लेटफॉर्म के माध्यम से ड्रोन के हस्तांतरण और पंजीकरण को रद्द करने के लिए एक आसान प्रक्रिया निर्दिष्ट की गई है।

बीते हुए दौर में आसमां में गुजरने वाले बादलों पर होती थी नजर सज्जनगढ़ महल से

नियमों के उल्लंघन के लिए अधिकतम जुर्माने की राशि को घटाकर 1 लाख रुपये कर दिया गया। भविष्य में ‘नो परमिशन-नो टेकऑफ’ (एनपीएनटी), रीयल-टाइम ट्रैकिंग बीकन, जियो-फेंसिंग आदि जैसी सुरक्षा और संरक्षा सुविधाओं को अधिसूचित किया जाएगा।इसके अनुपालन के लिए उद्योग को छह महीने का समय दिया जाएगा। कार्गो डिलीवरी के लिए ड्रोन कॉरिडोर विकसित किए जाएंगे। सरकार द्वारा विकासोन्मुखी नियामक व्यवस्था को सुगम बनाने के लिए शिक्षा जगत, स्टार्टअप्‍स और अन्य हितधारकों की भागीदारी के साथ ड्रोन प्रोत्साहन परिषद की स्थापना की जाएगी।

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फिट इंडिया मूवमेंट की दूसरी वर्षगांठ पर होगा Mobile Application Launch 29 को

फिट इंडिया मूवमेंट की दूसरी वर्षगांठ पर होगा Mobile Application Launch 29 को

दिल्ली-फिट इंडिया मूवमेंट की दूसरी वर्षगांठ मनाने के लिए और आजादी का अमृत महोत्सव के हिस्से के रूप में, युवा कार्यक्रम और खेल मंत्री, अनुराग सिंह ठाकुर 29 अगस्त, 2021 को फिट इंडिया मोबाइल एप्लिकेशन लॉन्च करेंगे। यह कार्यक्रम दिल्ली के प्रसिद्ध मेजर ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम में आयोजित किया जाएगा इस अवसर पर खेल मंत्री के साथ युवा कार्यक्रम और खेल राज्य मंत्री निसिथ प्रामाणिक भी उपस्थित होंगे।

मंत्री वर्चुअल माध्यम से भारतीय हॉकी टीम के कप्तान मनप्रीत सिंह, पहलवान संग्राम सिंह, खेल लेखक अयाज मेमन, एयर इंडिया की कैप्टन एनी दिव्या, एक स्कूली छात्र, और एक गृहिणी से जुड़ेंगे, जो लॉन्च के बाद फिट इंडिया ऐप के इस्तेमाल के तरीके का प्रदर्शन करेंगे। फिट इंडिया ऐप एंड्रॉइड और आईओएस दोनों प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध होगा और इसे इस बात को ध्यान में रखते हुए विकसित किया गया है कि यह बेसिक स्मार्टफोन पर भी काम करे। समारोह फिट इंडिया के फेसबुक पेज पर लाइव देखा सकता है और 29 अगस्त से गूगल प्ले स्टोर या एप्पल ऐप स्टोर से ऐप को मुफ्त में डाउनलोड किया जा सकता है।

पन्ना टाईगर रिजर्व में विलुप्त हो रही “फिशिंग कैट” पहली बार कैमरा ट्रेप में हुई कैद

फिट इंडिया मूवमेंट की दूसरी वर्षगांठ पर होगा Mobile Application Launch 29 को

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भारत को एक फिट और स्वस्थ राष्ट्र बनाने के सपने के साथ 29 अगस्त, 2019 को फिट इंडिया मूवमेंट शुरू किया था। पिछले दो वर्षों में, फिट इंडिया मूवमेंट अपने विभिन्न फिटनेस अभियानों जैसे फिट इंडिया स्कूल वीक, फिट इंडिया फ्रीडम रन, फिट इंडिया साइक्लोथॉन, और कई अन्य के माध्यम से देश भर में लाखों लोगों से जुड़ा है।

बीते हुए दौर में आसमां में गुजरने वाले बादलों पर होती थी नजर सज्जनगढ़ महल से

इस समय फिट इंडिया मूवमेंट ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ के उपलक्ष्य में

फिट इंडिया फ्रीडम रन 2.0 का भी आयोजन कर रहा है। ‘आजादी का अमृत महोत्सव’

भारत की आजादी के 75 साल का जश्न मनाने के उद्देश्य से की गयी भारत सरकार की एक पहल है।

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PM मोदी ने स्टीवेन हैरिस को पत्र लिखकर बढाया उसका हौसला

PM मोदी ने स्टीवेन हैरिस को पत्र लिखकर बढाया उसका हौसला

दिल्ली-प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बेंगलुरू के छात्र स्टीवेन हैरिस को पत्र लिखकर उनके द्वारा बनाई गई पेंटिंग को सराहा है। इस 20 वर्षीय उभरते कलाकार ने एक चिट्ठी के साथ प्रधानमंत्री की दो खूबसूरत पेंटिंग बनाकर उन्हें भेजी थी। इसके जवाब में अब पीएम मोदी ने पत्र लिखकर स्टीवेन का हौसला बढ़ाया है।

प्रधानमंत्री ने पत्र में लिखा है कि रचनात्मक क्षेत्र में युवाओं की लगन और मेहनत को देखना अत्यंत सुखद है। पीएम ने स्टीवेन की तारीफ करते हुए लिखा कि आपकी पेंटिंग से आपमें चीजों को गहराई से अनुभव करने की प्रतिभा का पता चलता है। आपने जिस बारीकी से सूक्ष्म भावों को कैनवास पर उतारा है, उसे देखकर मन आनंदित हो जाता है।

सड़क पार करते हुए काले हिरण के झुंड का वीडियो साझा किया PM मोदी ने

PM मोदी ने स्टीवेन हैरिस को पत्र लिखकर बढाया उसका हौसला

साथ ही इस पत्र में प्रधानमंत्री मोदी ने स्टीवेन के विचारों की भी प्रशंसा की है। मौजूदा समय में लोगों के अच्छे स्वास्थ्य और कुशल मंगल को लेकर स्टीवेन के विचारों की पीएम ने सराहना की है। साथ ही प्रधानमंत्री ने लिखा है कि टीकाकरण अभियान, अनुशासन और 130 करोड़ भारतीयों के सम्मिलित प्रयास इस महामारी के खिलाफ हमारी लड़ाई को मजबूती प्रदान कर रहे हैं।

बीते हुए दौर में आसमां में गुजरने वाले बादलों पर होती थी नजर सज्जनगढ़ महल से

प्रधानमंत्री ने उम्मीद जताई है कि समाज में पॉजिटिविटी फैलाने के

स्टीवेन के प्रयासों से दूसरे लोगों को भी प्रेरणा मिलेगी।

इससे पहले स्टीवेन ने प्रधानमंत्री मोदी को लिखे पत्र में बताया था कि

वह पिछले 15 सालों से पेंटिंग कर रहे हैं और विभिन्न स्तर पर 100 से

अधिक पुरस्कार भी जीत चुके हैं। स्टीवेन ने प्रधानमंत्री मोदी को अपनी

प्रेरणा बताया है। साथ ही स्टीवेन ने कोरोना के खिलाफ लड़ाई में

भारत के टीकाकरण अभियान की भी तारीफ की थी।

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बीते हुए दौर में आसमां में गुजरने वाले बादलों पर होती थी नजर सज्जनगढ़ महल से

बीते हुए दौर में आसमां में गुजरने वाले बादलों पर होती थी नजर सज्जनगढ़ के महल से

जयपुर-अरावली की हरी-भरी वादियों में बलखाते घुमावदार रास्तों से होकर जब सज्जनगढ़ पहुंचते हैं, तो इतिहास का एक नया अध्याय हमारे सामने होता है। प्रकृति प्रेम का एक नायाब उदाहरण हमारी आंखों के सामने उस गुजरे हुए दौर की कहानी कहता है, जहां से कभी आसमां में गुजरने वाले बादलों पर नजर रखी जाती थी। इस महल का निर्माण सन् 1883 ई. में मेवाड़ के महाराणा सज्जन सिंह (शासन काल 1874-1884) ने बांसदरा की पहाड़ी पर करवाया था।

महाराणा सज्जनसिंह ने इस महल का निर्माण मानसून के बादलों पर नजर रखने के लिए करवाया था, लेकिन महल का निर्माण पूरा होने से पहले ही मात्र 25 वर्ष की आयु में उनकी मृत्यु हो गई। उन्हीं के नाम पर इस महल को सज्जनगढ़ नाम दिया गया। किले की सुदृढ़ प्राचीर सज्जनसिंह के उत्तराधिकारी महाराणा फतहसिंह (शासन काल 1884-1930) के कार्यकाल में पूर्ण हुई। सन् 1956 में महाराणा भगवतसिंह ने यह महल जनता को समर्पित कर दिया था।

श्योपुर की ऐतिहासिक, पौराणिक, प्राकृतिक विरासतों को किया गया चिन्हित

बीते हुए दौर में आसमां में गुजरने वाले बादलों पर होती थी नजर सज्जनगढ़ के महल से

समुद्र तल से 932.60 मीटर ऊंचाई पर निर्मित सज्जनगढ़ महल शिल्पकला, प्रकृति प्रेम और दूरदृष्टि का अनुपम उदाहरण है। महल पर गिरने वाली बारिश की हर बूंद को सहेजने का प्रबंध किया गया है। इस महल की वर्षा जल संग्रहण प्रणाली आधुनिक इंजीनियरिंग के लिए भी एक अजूबा है।

महल की हर मंजिल पर गिरने वाले वर्षा जल को उसी मंजिल की छत के भीतरी भाग पर निर्मित टंकियों में एकत्रित किया जाकर महल की दीवारों में निर्मित पाइप लाइन से भूतल पर निर्मित पानी की टंकियों में संग्रहित किया जाता था। इन टंकियों में एक लाख 95 हजार 500 लीटर वर्षा जल संग्रहित किया जाता था, जो साल भर के लिए महल में रहने वाले लोगों की आवश्यकता को पूरी करता था। वर्तमान में भी 138 साल पुरानी इस वर्षा जल संग्रहण प्रणाली के माध्यम से जल संग्रहण किया जाता है और एक भी बार इसकी मरम्मत की आवश्यकता नहीं पड़ी।

सिरपुर के प्रसिद्ध ऐतिहासिक-पुरातात्विक स्थलों का किया औचक भ्रमण मुख्यमंत्री ने

बीते हुए दौर में आसमां में गुजरने वाले बादलों पर होती थी नजर सज्जनगढ़ के महल से

इस महल की नींव महाराणा सज्जनसिंह के शासनकाल में 18 अगस्त 1883 को रखी गई थी, लेकिन महल का निर्माण कार्य 1898 में महाराणा फतहसिंह के शासनकाल में पूर्ण हुआ। फतहसिंह ने सन् 1900 में यहां एक शिकारबाड़ी का निर्माण भी करवाया, जिसे महल की पश्चिम दिशा में देखा जा सकता है। सज्जनगढ़ के जनाना और मर्दाना महल में कलात्मक स्तम्भ, सभामण्डल, झरोखे और तहखानों में मेवाड़ की समृद्ध स्थापत्यकला के दर्शन होते हैं।

महल में मेवाड़ का गौरवशाली इतिहास समेटे सुंदर बाग-बगीचे, फव्वारे और होद पर्यटकों के पसंदीदा सेल्फी पॉइंट बन गए हैं। महल में प्रवेश करते ही महाराणा सज्जनसिंह का मुजस्समा मानो मेवाड़ के गौरवशाली इतिहास का निगहबान हो। उसी के चारों और दीवारों पर टंगी पेंटिंग्स में मुगलकालीऩ चित्रशैली का असर नजर आता है। वन्य जीवों और पर्यावरण से जुड़ी कई रोचक जानकारियां भी यहां प्रदर्शित की गई है, जो बालमन की जिज्ञासाओं को नई उड़ान देती हैं। राजस्थान सरकार के पुरातत्व एवं संग्रहालय विभाग ने इस क्षेत्र को संरक्षित क्षेत्र घोषित कर रखा है।

अंतर्राष्ट्रीय सिरपुर बौद्ध महोत्सव में होंगे शामिल मुख्यमंत्री भूपेश बघेल

बीते हुए दौर में आसमां में गुजरने वाले बादलों पर होती थी नजर सज्जनगढ़ के महल से

इतिहासकार श्रीकृष्ण जुगनू सज्जनगढ़ को झीलों की नगरी का मुकुट कहते हैं। जुगनू बताते हैं, सज्जनगढ़ मेवाड़ में बनने वाला आखिरी किला था। इस किले के निर्माण में भील महिलाओं का भी महत्त्वपूर्ण योगदान रहा। किले के निर्माण के समय बांसदरा की पहाड़ी पर भील महिलाएं चमडे़ के थैलों में पानी भर-भरकर पहुंचाती थी। निर्माण कार्य में जुटे श्रमिकों की हाजिरी का रजिस्टर भी चलता था। एक तरह से आधुनिक मस्टरोल का पहला प्रयोग भी इसी महल के निर्माण कार्य में हुआ था। रात के समय सज्जनगढ़ झीलों की नगरी के मुकुट की तरह चमकता है।

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की बजट घोषणा के अनुसार वर्तमान में सज्जनगढ़ में जीर्णोद्धार का कार्य प्रगति पर है। लगभग साढे़ चार करोड़ की लागत से जनाना महल सहित महल के विभिन्न हिस्सों को सुरक्षित व संरक्षित करने का कार्य चल रहा है। इसके साथ ही यहां पर्यटकों के लिए आधुनिक सुविधाओं का विकास भी किया जा रहा है। आने वाले समय में सज्जनगढ़ का स्वरूप और निखरा हुआ नजर आएगा।

छत्तीसगढ़ के पर्यटन स्थल: 1.62 करोड़ देशी-विदेशी शैलानियों ने उठाया लुफ्त

बीते हुए दौर में आसमां में गुजरने वाले बादलों पर होती थी नजर सज्जनगढ़ के महल से

उदयपुर आने वाले पर्यटकों को सज्जनगढ़ की प्राकृतिक आबोहवा खूब लुभाती है। उप-वन संरक्षक अजीत उचोई ने बताया कि राज्य सरकार के निर्देशानुसार सज्जनगढ़ महल और बायोलॉजिकल पार्क को पर्यटकों के लिए खोला गया है। इस साल 8 जून से 2 अगस्त तक की अवधि में 44 हजार 242 पर्यटक आए हैं और कुल 64 लाख 90 हजार 269 रूपये का राजस्व प्राप्त हुआ है।

उदयपुर शहर से लगभग पांच किलोमीटर की दूरी पर अरावली की बांसदरा पहाड़ी पर स्थित सज्जनगढ़ में 1983 में आई जेम्स बॉण्ड सीरीज की मशहूर हॉलीवुड फिल्म ऑक्टोपसी के सीन भी फिल्माए गए। फिल्म में खलनायक अफगान राजकुमार कमाल खान के निवास के रूप में दिखाया गया है। गाइड, कुंदन, जिस देश में गंगा रहता है, जय चित्तौड़ सहित कई हिंदी फिल्मों और मशहूर गीतों व म्यूजिक एल्बम की शूटिंग भी यहां हुई है।

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पन्ना टाईगर रिजर्व में विलुप्त हो रही “फिशिंग कैट” पहली बार कैमरा ट्रेप में हुई कैद

पन्ना टाईगर रिजर्व में विलुप्त हो रही “फिशिंग कैट” पहली बार कैमरा ट्रेप में हुई कैद

भोपाल-पन्ना टाईगर रिजर्व में वन्य जीवों के मामलें में एक अदभुत मछली खाने वाली दुर्लभ “बिल्ली” पहली बार कैमरा ट्रेप में कैद हुई है। “फिशिंग कैट” की मौजूदगी टाईगर रिजर्व में खास मायने रखती है। पन्ना टाईगर रिजर्व के मध्य से तकरीबन 55 किलोमीटर तक प्रवाहित होने वाली केन नदी के आस-पास फिशिंग कैट की उपस्थिति के संकेत पहले भी मिले थे, पर फोटो के रूप में पहला प्रमाण अभी मिला है।

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फिशिंग कैट की विशेषता यह है कि मछली को अपना भोजन बनाती है। आम तौर पर फिशिंग कैट की प्रजाति विलुप्त हो रही है। भारतीय वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 की अनुसूची-1 के अनुसार फिशिंग कैट का शिकार किया जाना प्रतिबंधित है। जीव वैज्ञानिक जो फिंशिग कैट पर रिसर्च और अध्ययन में रूचि रखते हैं वे यहाँ आकर अध्ययन कर सकते हैं। पर्यटकों के लिए विभिन्न वन्य जीवों के साथ “फिशिंग कैट” आकर्षण का केन्द्र बन रही है।

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संसदीय सचिव ने प्रबंधकों को दिया आश्वासन,होगा नियमितिकरण

संसदीय सचिव ने प्रबंधकों को दिया आश्वासन,होगा नियमितिकरण

महासमुंद- संसदीय सचिव व विधायक विनोद चंद्राकर ने कहा कि छग राज्य लघु वनोपज सहकारी समिति प्रबंधकों का हर हाल में नियमितिकरण किया जाएगा। प्रदेश सरकार प्रबंधकों के नियमितिकरण की दिशा में गंभीर है और इसी पंचवर्षीय कार्यकाल में प्रबंधकों की बहुप्रतिक्षित मांग पूरी हो जाएगी।

शहर के शंकराचार्य भवन में छग राज्य लघु वनोपज सहकारी समिति प्रबंधक संघ का राज्यस्तरीय सम्मेलन आयोजित किया गया। जिसके मुख्य अतिथि संघ के संरक्षक व संसदीय सचिव चंद्राकर थे। अतिथि के रूप में प्रांताध्यक्ष विनोद सिन्हा, उपप्रांताध्यक्ष सुरेश सोनी, सहसंरक्षक बसंत सिन्हा, देवसिंह ठाकुर, एसएन रावटे, रामाधर लहरे, संतोष तिवारी, उमाशंकर मानकर, लोकेश्वर डडसेना, विवेक सिंह, झनक लाल सिन्हा, चंदन माछू, अमर नाग, सेतकुमार कानूनगो, धनेश्वर चौहान मौजूद रहे।

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अपने संबोधन में संसदीय सचिव चंद्राकर ने कहा कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल व वनमंत्री मोहम्मद अकबर के मार्गदर्शन में लघु वनोपजों के संग्रहण में छत्तीसगढ़ प्रदेश देश में अग्रणी है। प्रबंधकों की मेहनत के बदौलत यह उपलब्धि मिल सकी है। उन्होंने प्रबंधकों की नियमितिकरण की मांग का समर्थन करते हुए कहा कि उनकी यह मांग प्रदेश सरकार की प्राथमिकताओं में है।

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कोरोना महामारी के विषम परिस्थितियों के बावजूद प्रदेश सरकार अपनी घोषणाओं को प्राथमिकता के साथ पूरा कर रही है। प्रबंधकों के नियमितिकरण की मांग को लेकर वे स्वयं शासन-प्रशासन से चर्चा कर रहे हैं। उन्होंने ठोस आश्वासन देते हुए कहा कि हर हाल में इसी पंचवर्षीय कार्यकाल में प्रबंधकों का नियमितिकरण किया जाएगा।

छ.ग. अंशकालीन स्कूल सफाई कर्मचारी कल्याण संघ का एक दिवसीय धरना प्रदर्शन

इस अवसर पर प्रमुख रूप से हेमलाल कन्नौजे, यशवंत चंद्राकर, व्यंट रमन, डिगेश भाई, राजशेखर पौराणिक, संजय रेडडी, चंद्रभान ठाकुर,

राजू हरपाल, विवेक सिंह सिद्धू, दुग्गा, प्यारी दीवान, हरेंद्र कौशिक, शेखर दीवान, प्रदीप वैद्य,

चारू दादा, रावटे, सदाराम साहू, रतीराम, संतोष बघेल, लोकेश्वर कुमार, सुखराम नेताम,

डायमंड साहू, गोस्वामी, देवेंद्र बेहरा, लक्ष्मी पटेल, विरेंद्र वैष्णव, उमाशंकर मानकर,

कलश साहू, तिलक पटेल, कुरैशी, कुशल मानिकपुरी, संतोष तिवारी, राजू मरावी,

छोटेलाल कंवर, निरंजन कंवर, राधेश्याम गुप्ता, गुलाब यादव, सुरेश सोनी,

अनिल यादव, अरूण यादव, सुभम सिंह सहित राज्यभर के प्रबंधकगण मौजूद थे।

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