दिल्ली-जम्मू कश्मीर ज़ोज़िला टनल पर आज एक आयोजन में विस्फोट के बाद निर्माण का कार्य शुरू हो गया। एनएच-1 पर इस बनने वाली इस टनल से श्रीनगर घाटी और लेह के बीच (लद्दाख पठार में) सभी मौसम में निर्बाध संपर्क सुनिश्चित होगा। अवलांच रोधी इस ढांचे के निर्माण से जम्मू कश्मीर (अब केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर और लद्दाख) में आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा।
द्रास और कारगिल के रास्ते श्रीनगर तथा लेह को जोड़ने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग-1 पर 14.15 किलोमीटर लंबी इस सुरंग का निर्माण 3000 मीटर की ऊंचाई पर ज़ोज़िला पास के नीचे किया जाएगा। वर्तमान में इस रास्ते पर केवल 6 महीने ही आवागमन हो सकता है। यह मार्ग वाहन चलाने के संदर्भ में दुनिया के सबसे खतरनाक रस्तों में से एक है। साथ ही यह परियोजना रणनीतिक रूप से संवेदनशील है।
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ज़ोज़िला टनल की मुख्य विशेषताएँ इस तरह से है इसकी संशोधित लागत 4429.83 करोड़ रुपये होगी और जहां वर्तमान यात्रा समय 3.5 घंटे है वह इस टनल के निर्माण से घटकर महज़ 15 मिनट हो जाएगा। इसकी लंबाई = 14.15 किमी और संपर्क मार्ग की लंबाई = 18.63 किमी। परियोजना की कुल लंबाई 32.78 किमी बलताल और मीनामार्ग के बीच 14.150 किमी लंबी बाई-डाइरेक्शनल टनल जिसमें बचाव मार्ग नहीं होगा।
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ज़ेड-मोड़ टनल और ज़ोज़िला टनल को जोड़ने वाला 18.63 किमी लंबा संपर्क मार्ग, जिसमें 433 मीटर और 1958 मीटर के दो छोटे टनल भी शामिल होंगे। सड़क सुरक्षा और अवलांच रोधी निर्माण जैसे कैच डैम, स्नो गॅलरी, कट एंड कवर, डिफ़्लेक्टर डैम इत्यादि शामिल होंगे।सड़क की कुल लंबाई 12 किमी होगी। निर्माण अवधि ज़ोज़िला टनल का 6 वर्ष होगा
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