Home टेक्नोलॉजी स्वदेशी लेजर गाइडेड एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल का सफलतापूर्वक परीक्षण

स्वदेशी लेजर गाइडेड एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल का सफलतापूर्वक परीक्षण

वर्तमान में एमबीटी अर्जुन से की 120 एमएम राइफल्ड गन से इसका तकनीकी मूल्यांकन परीक्षण किया जा रहा है

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दिल्ली-स्वदेशी रूप से निर्मित्त लेजर गाइडेड एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल (एटीजीएम) का आज 1 अक्टूबर, 2020 को लंबी रेंज पर स्थित एक टारगेट को भेदते हुए सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया। यह परीक्षण 22 सितंबर 2020 को किए सफल परीक्षण की निरंतरता में केके रेंजेज (एसीसीएंडएस) में एमबीटी अर्जुन से किया गया।

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एटीजीएम 1.5 से 5 किमी के रेंज में एक्सप्लोसिव रिएक्टिव आर्मर (ईआरए) संरक्षित बख्तरबंद वाहनों को भेदने के लिए एक क्रमबद्ध हीट वारहेड तैनात करती है। इसे मल्टी प्लेटफार्म लांच क्षमता के साथ विकसित किया गया है और वर्तमान में एमबीटी अर्जुन से की 120 एमएम राइफल्ड गन से इसका तकनीकी मूल्यांकन परीक्षण किया जा रहा है।

इसका लेजर गाइडेड मिसाइल का विकास पुणे स्थित हाई एनर्जी मैटेरियल्स रिसर्च लैबोरेटरी (एचईएमआरएल) तथा देहरादून स्थित इंस्ट्रूमेंट्स रिसर्च एंड डेवलपमेंट इस्टैब्लिशमेंट (आईआरडीई) के सहयोग से पुणे स्थित आर्मामेंट आरएंडडी इस्टैब्लिशमेंट (एआरडीई) द्वारा किया गया है।

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रक्षा मंत्री  राजनाथ सिंह ने इस सफल उपलब्धि के लिए डीआरडीओ को बधाई दी। डीडी आरएंडडी तथा डीआरडीओ के अध्यक्ष ने इस उपलब्धि के लिए डीआरडीओ के कार्मिकों को बधाई दी जो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आत्म निर्भर भारत के संकल्प के लिए रास्ता प्रशस्त करती है।

मल्टी-मोड हैंड ग्रेनेड्स की  409 करोड़ रुपये का अनुबंध

दिल्ली-रक्षा क्षेत्र में भारत सरकार की ‘मेक इन इंडिया’ पहल को और प्रोत्साहन देते हुए रक्षा मंत्रालय (एमओडी) की खरीद इकाई ने आज भारतीय सेना को 409 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से 10,00,000 मल्टी मोड हैंड ग्रेनेड्स की आपूर्ति के लिए मैसर्स इकोनॉमिक एक्सप्लोजिव लिमिटेड (ईईएल), (सोलर ग्रुप) नागपुर के साथ अनुबंध पर हस्ताक्षर किए। ये ग्रेनेड भारतीय सेना द्वारा इस्तेमाल किए जा रहे विश्व युद्ध-2 विंटेज डिजाइन वाले हैंड ग्रेनेड की जगह लेंगे।

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मल्टी-मोड हैंड ग्रेनेड को डीआरडीओ/टर्मिनल बैलिस्टिक रिसर्च लैबोरेटरीज (टीबीआरएल) द्वारा डिजाइन किया गया है और मैसर्स ईईएल, नागपुर द्वारा बनाया जा रहा है। ये उत्कृष्ट डिजाइन वाले ग्रेनेड हैं, जिन्हें आक्रामक और रक्षात्मक दोनों तरह की लड़ाई में उपयोग किया जा सकता है। भारत सरकार के संरक्षण में सार्वजनिक-निजी साझेदारी का प्रदर्शन करने वाली अग्रणी परियोजना अत्याधुनिक गोला बारूद प्रौद्योगिकियों में “आत्म निर्भरता” को सक्षम बनाती है और इसकी सामग्री 100 प्रतिशत स्वदेशी है।

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