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न्यूनतम समर्थन मूल्य में खरीदी के मामले में कानून बनाने पर राज्य सरकार चुप क्यों ?

250 से अधिक किसान संगठनों की दिल्ली में बैठक सम्पन्न

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फाइल फोटो

महासमुंद-न्यूनतम समर्थन मूल्य में खरीदी के मामले में कानून बनाने पर राज्य सरकार चुप क्यों ? पंजाब की तरह का सजा का प्रावधान लाते हुए 1 नवम्बर से समर्थन मूल्य में धान  खरीदी अनिवार्य किए जाने की बात छत्तीसगढ़ किसान मजदूर महासंघ ने की है  250 से अधिक किसान संगठनों की दिल्ली में बैठक सम्पन्न, छग किसान महासंघ से तेजराम विद्रोही व सोहन पटेल शामिल हुए. 5 नवम्बर को देशव्यापी चक्का जाम का एलान किया गया.

छत्तीसगढ़ किसान मजदूर महासंघ के संयोजक मंडल सदस्य तेजराम विद्रोही,रूपन चंद्राकर, पारसनाथ साह, जनक लाल ठाकुर, जागेश्वर जुगनू चंद्राकर, डॉ संकेत ठाकुर ने विधानसभा में प्रस्तुत विधेयक को किसानों के लिए निराशाजनक बताया है । यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि जब केंद्र सरकार कृषि उपज को पूरे देश में बेचने के लिए हर राज्य को स्वतंत्र कर चुकी है तो किस तरह से छत्तीसगढ़ इस कानून को बदलने के लिये नया कानून ला रही है । बेहतर होता की पंजाब की तर्ज पर न्यूनतम समर्थन मूल्य में खरीदी को लेकर एक कड़ा कानून प्रस्तावित किया जाता जिसमें एमएसपी से कम की खरीदी पर संबंधित व्यापारिक प्रतिष्ठान, कारपोरेट और मंडी अधिकारियों पर अपराधिक प्रकरण दर्ज करने का प्रावधान होता ।

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छत्तीसगढ़ किसान मजदूर महासंघ ने एक बार पुनः राज्य सरकार से आग्रह किया है कि वह अपने विधेयक में संशोधन लाए और एमएसपी को कानूनी अमलीजामा पहनाने का अपनी ही पार्टी के द्वारा एक दूसरे राज्य पंजाब में लाए गये विधेयक को अपनाने का प्रस्ताव पारित करें और समर्थन मूल्य में शासकीय खरीदी प्रतिवर्ष 1 नवम्बर से करना निश्चित करे ।

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फ़ाइल् फोटो

अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति की दिल्ली में आयोजित बैठक में लिया निर्णय कि केन्द्र सरकार द्वारा लाये गए कथित कृषि सुधार कानून और बिजली अधिनियम में संशोधन बिल 2020 को रद्द करने की माँग को पंजाब, हरियाणा, कर्नाटक, पश्चिमी उत्तर प्रदेश सहित देश के अलग अलग कोने पर किसान आन्दोलन कर रहे हैं ।

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आंदोलन को मजबूत करने निर्णय लिया गया कि कारपोरेट परस्त, कृषि, किसान, जन-विरोधी, उपभोक्ता विरोधी तीनो क़ानून 2020 और बिजली बिल संशोधन 2020 के खिलाफ़ 5 नवंबर 2020 को ऑल इंडिया रोड नाकाबंदी का आयोजन किया जाएगा। इसके अलावा  26-27 नवंबर 2020 को “दिल्ली चलो” विरोध प्रदर्शन किया जाएगा।

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विरोध प्रदर्शनों में विशाल राज्य-वार / क्षेत्र-वार निर्माण शामिल होगा जो इन मांगों पर ध्यान केंद्रित करने के लिए बड़े पैमाने पर भीड़ और आंदोलनों का निर्माण करेगा। पूरे भारत के किसान केंद्रीय सरकार के कार्यालयों और भाजपा नेताओं और उनके सहयोगी दलों के कार्यालयों सहित सरकार के कार्यालयों के समक्ष विरोध करेंगे। उक्ताशय की जानकारी संयोजक मंडल सदस्य छत्तीसगढ़ किसान मजदूर महासंघ के जुगनू चन्द्राकर द्वारा दी गई.

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