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सिद्ध खोल का वाटर फाल प्रकृत की गोद मे है बसा

अनोखा रमणीय स्थल बीहड़ जंगलों के बीच में ऐसे मनोरम दृश्य बहुत ही कम देखे जाते हैं,पर्यटन की अपार संभावनाएं समाहित है

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पिथौरा से बजरंग अग्रवाल

पिथौरा– सिद्द खोल का वाटर फाल यह क्षेत्र छोटे माउंटों, खुले जंगल और प्राकृतिक झरनो जैसे प्राकृतिक सौंदर्य(natural beauty) से परिपूर्ण है। जिसे सिद्ध-खोल के झरना के रूप में जाना जाता है , जो लोकप्रिय रूप से सिद्ध-बाबा के रूप में प्रसिद्ध है।कसडोल राजमार्ग पर पिथौरा से 44 किलोमीटर तथा राज्य की राजधानी रायपुर (Capital Raipur)से लगभग 122 किलोमीटर दूर है

सिद्ध-बाबा वास्तव में एक छोटी सी घाटी है जहां ऊपर की चोटी से पानी का प्रवाह नीचे 40-50 फीट नीचे गिरता है,जो कि सिद्ध-खोल वाटरफॉल के रूप में प्रसिद्ध है । प्रायः बारिश के समय ही इस खूबसूरत स्थान(Beautiful place) में पानी का प्रवाह देखा जाता हैं। इस झरने के निचे हिस्से में शेर का गुफा है और चारो तरफ जंगल, पेड़ झाड़ियो और पहाडियों से घिरा हुआ है जो इसे पर्यटकों (Tourists)के लिए आकर्षण का केंद्र (Hotspots)बनाता है।

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पिकनीक स्पॉट बन चुका है

प्राकृतिक झरना (Natural spring)सिद्घ खोल वाटर फाल पिकनिक स्पॉट के रूप में जाना जाने लगा है,यहाँ पिकनिक व शैर सपाटे के लिये दूर दराज के लोगों की बारहों महीने भीड़ लगे रहती है। बरसात के दिनों में यहां का दृश्य कुछ अलग ही मनोरम छटा बीखेरती नजर आती (Panoramic view is seen selling) है। प्राकृतिक मनोरम दृश्य को देखने वालों की भीड़ और भी बढ़ जाती है। वन मण्डल बलौदाबाजार(Forest Circle Balodabazar) अन्तर्गत सोनाखान वन परिक्षेत्र में आने वाला यह प्राकृतिक स्थल चारों ओर से जंगलों के बीच घिरा (Surrounded by forests) हुआ है जिसमे विभिन्न प्रजातियों के पेड़ पौधों के अलावा जड़ी बूटियों का भंडारण भी है।

सुरक्षात्मक उपाय किये है वन विभाग ने

यहां पर रोजाना बढ़ती भीड़ को देखते हुए वन विभाग द्वारा सुरक्षा की दृष्टि से तीन ओर लोहे की पाइप से घेर दिया गया है जिससे लोग सुरक्षित ढंग से वाटर फाल के अलावा आस पास के दृश्य का दीदार (View of the scene)कर सकें। किन्तु पहले यहां किसी प्रकार का सुरक्षा घेरा नहीं था जिससे लोग असुरक्षित महसूस करते थे।

पूर्ववर्ती सरकार ने किया था खर्च

सिद्धखोल पिकनिक स्थल के प्राकृतिक सौंदर्य को बढ़ाने के लिए 60 लाख रुपए की स्वीकृत थे जिससे मुख्य मार्ग से सिद्धखोल तक आने के लिए क्रांक्रीट रोड, झरना के पास रेलिंग, पर्यटकों के लिए किचन शेड,पगोड़ा व तार फेंसिंग किया गया है।

एनीकट बनाने की हुई थी घोषणा किंतु नहीं हुआ कार्य

सिद्धखोल में एक एनीकट बनाने की घोषणा पूर्ववर्ती सरकार के क्षेत्रीय विधायक एवं विधानसभा अध्यक्ष (Regional MLA and Speaker of Legislative Assembly)ने की थी ताकि झरना में सिर्फ बरसात में नहीं बल्कि पूरे 12 माह पानी बहने का मनोरम दृश्य बना रहे। किंतु अभी तक उसे अमलीजामा नहीं पहनाया जा सका है।

सरकार को ध्यान देना चाहिए-पर्यटक

सिद्ध खोल का प्राकृतिक झरना सहसा ही लोगों को अपनी ओर आकर्षित (Attracted)करता है।लॉकडाउन के दौरान परिवार के साथ भ्रमण में पिथौरा से आये लोगो ने बताया कि प्रकृति की ऐसी मनोरम दृश्य बहुत ही कम स्थानों में देखने को मिलती है।इस ओर सरकार को ध्यान देने की आवश्यकता है वाटर फाल की वजह से यह रमणीय स्थल (tourist spot)आकर्षक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित हो सकता है।

पर्यावरण स्थल का दर्जा मिले-पाढ़ी

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इस क्षेत्र के बारे में पर्यावरणविद (Environmentalist)रविशंकर पाढ़ी का कहना है कि बीहड़ जंगलों (Rugged forests)के बीच ऐसे मनोरम दृश्य बहुत ही कम देखे जाते हैं। इस क्षेत्र को पर्यटक स्थल का दर्जा दिया जाकर अगर इसे विकसित (Developed)किया जाता है तो निश्चित ही पर्यावरण की रक्षा होगी।

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