मध्यान्ह भोजन कार्यक्रम का स्कूलों में जाकर करें निरीक्षणस्कूल शिक्षा विभाग की समीक्षा
स्कूल शिक्षा मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम की अध्यक्षता में आयोजित स्कूल शिक्षा विभाग की समीक्षा बैठक में स्कूलों को आवंटित जमीन को राजस्व अभिलेख में दर्ज कराने, अधोसंरचना और मरम्मत के कार्यों को जल्द से जल्द पूरा करने, बरसात के कारण खराब हुए स्कूल के भवनों की मरम्मत और रंग-रौगन का कार्य कराने के निर्देश जिला शिक्षा अधिकारियों को दिए गए। बैठक में बताया गया कि व्यापम द्वारा शिक्षकों की सीधी भर्ती के रिक्त पदों के चयन परीक्षा के परिणाम शीघ्र ही घोषित होने वाले हैं.
इस संबंध में संभागीय संयुक्त संचालक शिक्षा और जिला शिक्षा अधिकारी भर्ती की प्रक्रिया के संबंध में आवश्यक तैयारियां कर लें। इसी प्रकार रिक्त पदों पर पदोन्नति भी की जानी है। इसके लिए पदोन्नति के नए नियमानुसार रोस्टर का पालन करते हुए कार्यवाही की तैयारी कर ली जाए। संभागीय शिक्षा अधिकारियों को व्याख्याताओं के विषयवार रिक्त पदों की जानकारी 30 नवम्बर तक संचालक लोक शिक्षक को उपलब्ध कराने के निर्देश दिए गए। स्कूल शिक्षा मंत्री ने कहा कि हमारा लक्ष्य बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देना है.
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डॉ. टेकाम ने स्कूल शिक्षा विभाग की समीक्षा बैठक में जिला शिक्षा अधिकारियों से कहा कि मध्यान्ह भोजन कार्यक्रम का स्कूलों में जाकर निरीक्षण किया जाए। मध्यान्ह भोजन साफ-सूथरी जगह में बने और मीनू के अनुसार मिले। स्कूल के शिक्षक भी मधान्ह भोजन की गुणवत्ता को चखे। डॉ. टेकाम ने कहा कि विभाग द्वारा नवाचार के जो कार्य शिक्षकों से कराए जा रहे हैं, उन कार्यों की जानकारी जिला शिक्षा अधिकारी को भी रहनी चाहिए। शिक्षा के क्षेत्र में गुणवत्ता की दृष्टि से जितनी अधिक मेहनत करेंगे, उतनी अधिक रूचि लोगों की शिक्षा के प्रति बढ़ेगी। स्कूल शिक्षा मंत्री ने कोरिया जिले का उदाहरण देते हुए बताया कि जिले में 10वीं और 12वीं कक्षा के कमजोर बच्चों को कोचिंग देने का प्रयास शुरू किया गया है। इसी तरह के नवाचार के कार्य विभाग की भागीदारी से समाज में कमजोर लोगों को मुख्यधारा में लाने के लिए किए जा सकते हैं। जिला शिक्षा अधिकारी मैदानी क्षेत्र में अपनी क्षमता का भरपूर उपयोग करें.
प्रमुख सचिव स्कूल शिक्षा गौरव द्विवेदी ने कहा कि विभाग की उपस्थिति गांव-गांव, मजरे-टोलों तक है। विभाग के अधिकारियों, शिक्षकों, स्कूली बच्चों पर अनुशासन बनाकर रखना जिला शिक्षा अधिकारी की जवाबदारी है। उन्होंने कहा कि गुणवत्ता सुधार के लिए प्रदेश में नवाचार का उद्देश्य राज्य के बच्चों को राष्ट्रीय स्तर तक की किसी भी परिस्थिति का सामना करने के लिए तैयार करना है। इसके लिए प्रदेश में कक्षा पहली से 8वीं तक एक साथ परीक्षाओं का आयोजन, केन्द्रीयकृत प्रश्नपत्र की तैयारी और कक्षा 9वीं से 12वीं तक की परीक्षाओं का प्रयास के प्रयास शुरू हुए हैं। राज्य शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद की ओर से भी शिक्षा के क्षेत्र में नवाचार के काफी प्रयास हो रहे हैं। मैदानी स्तर पर इसका पालन मेहनत और लगन से होने पर ही सफलता मिलेगी। उन्होंने कहा कि प्रदेश में स्मार्ट क्लास का काम भी चल रहा है। स्कूल और शिक्षकों को आधुनिक तकनीक से सुसंगत कर स्मार्ट बनाया जा रहा है। इस काम को और तेजी से आगे बढ़ाना है.
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बैठक में संचालक लोक शिक्षण एस. प्रकाश, संचालक राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद पी. दयानंद, सचिव माध्यमिक शिक्षा मंडल व्ही.के. गोयल, विशेष सचिव स्कूल शिक्षा सौरभ कुमार, छत्तीसगढ़ पाठ्य पुस्तक निगम के महाप्रबंधक अशोक चतुर्वेदी सहित स्कूल शिक्षा विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों की उपस्थिति में शिक्षा का अधिकार अधिनियम, भवन निर्माण एवं मरम्मत, छात्रवृत्ति, टीम्स एप्प में डाटा एण्ट्री, शिक्षकों की एण्ट्री, यूडाईस, ई-मानक, की समीक्षा की गई। इसी प्रकार एस.सी.ई.आर.टी. द्वारा तैयार पाठ्य पुस्तकों में क्यूआर कोड, मल्टीमीडिया टैक्स्ट बुक, राज्य स्तरीय आंकलन, लर्निंग आऊट कम, समग्र शिक्षा में राष्ट्रीय अधिकार अधिनियम के अंतर्गत ईग्नाइट अवार्ड में प्रविष्टी, सभी विद्यालयों में युवा और ईको क्लब की स्थापना, शाला विकास योजना, सगुनोत्सव की तैयारी और मुख्यमंत्री शहरी साक्षरता कार्यक्रम की समीक्षा कर संबंधितों को आवश्यक निर्देश दिए गए.
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