Home आलेख तीन बंदर के अलावा अन्य लघुकथा महेश राजा की

तीन बंदर के अलावा अन्य लघुकथा महेश राजा की

नगर के आवासीय इलाके में थोड़ा दूर बसा एक सरकारी खाता-पीता दफ़्तर,,,

महेश राजा की लघुकथा कान्वेंट कल्चर ,टेढ़ी पूँछ वाला कुत्ता ,उदाहरण व् ए.टी.एम

महासमुंद-जिले के प्रसिद्ध लघुकथाकार महेश राजा की लघुकथा तीन बंदर, विदाई, वादा व्  मौन सुधि पाठकों के लिए उपलब्ध है।

 तीन बंदर

नगर के आवासीय इलाके में थोड़ा दूर बसा एक सरकारी खाता-पीता दफ़्तर । कभी दुर्भाग्य से या सौभाग्य से आपका वहाँ जाना हो तो आप देखेंगे कि जैसे ही बरामदा पार कर आप भीतर जायेंगे ,एक बड़ा कमरा ,जो कि बड़े बाबू का कमरा के नाम से कुख्यात हैं,देखेंगे। यहीं से होकर ही आप किसी अन्य शाखा में जा सकते हैं। एक तरह से वह यहाँ का कस्टम विभाग हैं।बड़े बाबू की सूक्ष्म दर्शी आँखों से कोई बच सका है।वैसे बड़े बाबू हँसमुख स्वभाव के हैं।

उनके सामने रखी विशाल मेज पर फ़ाईलों के अलावा आप एक आश्चर्य जनक चीज भी देख सकेंगे,वह हैं,उनकी मेज पर रखे तीन बंदरों का स्टेचू।

तीन बंदर के अलावा अन्य लघुकथा महेश राजा की
file foto

एक जानकार मित्र ने उनसे पूछ ही लिया-क्यों बड़े बाबू ये आपकी मेज पर क्या कर रहे हैं? बड़े बाबू के चेहरे पर रहस्यमयी मुस्कान उभर आई-अब आपसे क्या छिपा हैं मित्रवर।हमारे विभाग का काम तो आप जानते ही हैं। जब मैं ठेकेदारों से सौदा करता हूँ तो वे अपना कान बंद कर लेते हैं। जब मैं रिश्वत लेता हूँ तो वे अपनी आँखे बंद कर लेते हैं और राज़ को राज़ ही रखते हैं। ये देख लो इन जनाब ने तो अपनी ज़बान ही बँद कर ली हैं। समझे?

 विदाई

बड़े साहब का ट्रांसफर हो गया था।साहब बड़े लोकप्रिय थे।उदार थे।इसलिये आफ़िस में उनकी विदाई के लिये एक अच्छा आयोजन किये जाने की चर्चा थी।

कुछ लोगों ने सलाह दी कि विदाई के समय साहब को कोई कीमती तोहफ़ा भी सभी कर्मचारियों की तरफ़ से दिया जाये।सब मिल कर आपस में चंदा कर लें और कीमती उपहार खरीदा जाये।

बड़े बाबू बोले-विदाई पार्टी ही काफ़ी है।तोहफ़ा देने की जरूरत नहीं।बड़े साहब जा रहे है तो उपहार के लिये दिया गया चंदा वसूल कैसे होगा?भ ई ड़ूबते सूरज को नहीं पूजा जाता।

 वादा

उसके एक हाथ में कलम थी,दूसरे हाथ में चाय का प्याला।और आँखों में आँसू।

पास ही चूडियों का एक बक्सा था।जिसमें ढ़ेर सारी लाल चूडियाँ थी।ये वही चूड़िया थी जिसे वह विनी को दे नहीं पाया था।

एक सुखद सपने लिये वे प्यार की दुनिया में आगे कदम रखे हुए थे। पर,वक्त ने किया क्या हसीन सितम
हम रहे न हम.तुम रहे न तुम। एकांत क्षणों मैं विनी ने कहा था-“राज,मुझे लाल चूड़ियाँ बहुत पसंद है।लाओगे न मेरे लिये।और हाँ तुम्हारा दर्द भरी कहानियाँ लिखना मुझे पसंद है।वादा करो ,तुम हमेंशा लिखोगे।”

तीन बंदर के अलावा अन्य लघुकथा महेश राजा की
file foto

रात गहरी हो गयी थी।दूर चाँद के साथ विनी का चेहरा राज को नजर आया।वह उसे देख कर मुस्कुरा रही थी।

राज की आँखों से अविरल आँसू बह निकले।उसने स्वयं को संभाला।ठंडी हो गयी चाय का घूंट किया।कलम उठायी।लिखने लगा एक और दर्द भरी कहानी;वादा जो किया था।

मौन

-“क्या बात है,आज बिल्कुल चुप हो।” -“कुछ नहीं।बस ऐसे ही।” -“नहीं. नहीं. कोई बात तो है।मुझे नहीं बताओगी।”
-“कुछ बात हो तो बताऊं न।” -“नहीं, मुझे तुम्हारा मौन रहना खल रहा है।”कभी कभी मौन रहना भी जरूरी है जीवन में
अठखेलियाँ बातों की हर वक्त जरूरी तो नहीं। -“तुम टाल रही हो?क्या मेरी किसी बात से खफा हो?”
-“नहीं..।”

-“देखो,मैं तुम्हारी खामोशी सहन नहीं कर सकता।”-“पुरूष हो इसलिये न।क्या नारी अपनी मरजी से चुप भी नहीं रह सकती।”-“यह मैं नहीं जानता।पर,तुम मौन रहो यह मंजूर नहीं मुझे।”

तीन बंदर के अलावा अन्य लघुकथा महेश राजा की
file foto

-“अनादि काल से यह होते आ रहा है।नारी जब छोटी होती है तो माँ चुप रहने को कहती है,फिर शिक्षक और विवाह के बाद पति।उसके बाद बेटा-बहू।यह नारी की नियति है।”पुरूष नारी पर अपना अधिकार समझता है।उसके मौन के मनोविज्ञान को वह क्या समझेगा?क्योंकि मौन होता ही बड़ा विकट है।जिस दिन पुरूष मौन रहने का अर्थ या मौन रहना सीख जायेगा,उस दिन से समाज में क्रांति आ जायेगी और कभी न कभी यह दिन अवश्य आयेगा।”

-“परंतु आज मुझे मौन रहकर अपने नारी होने का अर्थ समझना है,तो कृपा कर आज मुझे अकेला छोड़ दो।”

जीवन परिचय

महेश राजा
जन्म:26 फरवरी
शिक्षा:बी.एस.सी.एम.ए. साहित्य.एम.ए.मनोविज्ञान
जनसंपर्क अधिकारी, भारतीय संचार लिमिटेड।
1983 से पहले कविता,कहानियाँ लिखी।फिर लघुकथा और लघुव्यंग्य पर कार्य।
दो पुस्तकें1/बगुलाभगत एवम2/नमस्कार प्रजातंत्र प्रकाशित।
कागज की नाव,संकलन प्रकाशनाधीन।
दस साझा संकलन में लघुकथाऐं प्रकाशित
रचनाएं गुजराती, छतीसगढ़ी, पंजाबी, अंग्रेजी,मलयालम और मराठी,उडिय़ा में अनुदित।
पचपन लघुकथाऐं रविशंकर विश्व विद्यालय के शोध प्रबंध में शामिल।
कनाडा से वसुधा में निरंतर प्रकाशन।
भारत की हर छोटी,बड़ी पत्र पत्रिकाओं में निरंतर लेखन और प्रकाशन।
आकाशवाणी रायपुर और दूरदर्शन से प्रसारण।
पता:वसंत /51,कालेज रोड़।महासमुंद।छत्तीसगढ़।
493445
मो.नं.9425201544

हमसे जुड़े :

आपके लिए /छत्तीसगढ़/महासमुन्द