Home छत्तीसगढ़ “सुशासन” और “मोदी की गारंटी” के दावे अब खोखले साबित हो रहे...

“सुशासन” और “मोदी की गारंटी” के दावे अब खोखले साबित हो रहे हैं-विनोद

सहकारी कर्मचारियों के स्थान पर पटवारी, राजस्व कर्मी, कृषि विभाग, खाद्य विभाग के कर्मचारियों के माध्यम से धान खरीदी करना चाहती है सरकार.

“सुशासन” और “मोदी की गारंटी” के दावे अब खोखले साबित हो रहे हैं-विनोद

महासमुंद। पूर्व संसदीय सचिव विनोद सेवनलाल चंद्राकर ने कहा कि भाजपा की साय सरकार के “सुशासन” और “मोदी की गारंटी” के दावे अब खोखले साबित हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि 3 नवंबर से सहकारी समिति कर्मचारी संघ और कंप्यूटर ऑपरेटर संघ के सदस्य अपनी वाजिब मांगों को लेकर आंदोलनरत हैं। पिछले वर्ष भी इन्हीं मुद्दों को लेकर कर्मचारियों ने आंदोलन किया था, जिसके बाद सरकार ने लिखित आश्वासन दिया था कि उनकी मांगें जल्द पूरी की जाएंगी, परंतु एक साल बीत जाने के बाद भी वादे अधूरे हैं।

श्री चंद्राकर ने कहा कि सरकार कर्मचारियों की समस्याओं का समाधान करने के बजाय अब धान खरीदी कार्य में पटवारी और ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारियों को समिति प्रबंधक की जिम्मेदारी सौंप रही है। यह कदम सरकार की असंवेदनशीलता को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार अपने अधिकारों के लिए आवाज उठाने वालों को हमेशा दरकिनार करती रही है, और यह आदेश उसी मानसिकता का उदाहरण है।

कर्मचारियों की मांगों को किया जा रहा है नजरअंदाज

उन्होंने बताया कि 12 नवंबर 2025 को कलेक्टर के माध्यम से जारी आदेश में जिले के 182 धान उपार्जन केंद्रों की जिम्मेदारी अन्य विभागों के कर्मचारियों को दी गई है। इससे यह स्पष्ट हो गया है कि आंदोलनरत सहकारी कर्मचारियों की मांगों को नजरअंदाज कर सरकार पटवारियों, कृषि विस्तार अधिकारियों, राजस्व, खाद्य और सहकारिता विभाग के कर्मियों से कार्य कराना चाहती है।

चंद्राकर ने सवाल उठाया कि यदि समिति प्रबंधकों का कार्य अब अन्य विभागीय कर्मचारी करेंगे, तो उनके अपने नियमित कार्य कौन करेगा? क्या सरकार नई भर्ती करेगी या फिर अन्य विभागों का काम ठप पड़ेगा?

“सुशासन” और “मोदी की गारंटी” के दावे अब खोखले साबित हो रहे हैं-विनोद

उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार की नीतियों ने धान खरीदी व्यवस्था को अस्त-व्यस्त कर दिया है। कांग्रेस शासन की 72 घंटे में उठाव नीति को समाप्त कर किसानों और समितियों को सूखत जैसी समस्या के संकट में डाल दिया गया है। उन्होंने बताया कि जिले के 182 उपार्जन केंद्रों में अभी तक खरीदी की पूरी तैयारी नहीं हो पाई है, केवल 40 केंद्रों में सीमित ट्रायल किया गया है।

पूर्व विधायक ने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि सरकार धान खरीदी में जानबूझकर विलंब कर रही है ताकि किसान अपना धान न बेच सकें। समितियों की सफाई, बारदाने और अन्य तैयारियों का अभाव सरकार की लापरवाही को दर्शाता है।

मांगे सभी न्यायोचित हैं

उन्होंने कहा कि सहकारी कर्मचारियों की मांगे — नियमितीकरण, वेतनमान सुधार, प्रबंधकीय अनुदान, सूखत क्षतिपूर्ति, पेंशन, भविष्य निधि और इंक्रीमेंट — सभी न्यायोचित हैं। उन्होंने मांग की कि साय सरकार तुरंत इन मुद्दों का समाधान करे और कर्मचारियों तथा किसानों दोनों के साथ न्याय सुनिश्चित करे।“सुशासन” और “मोदी की गारंटी” के दावे जो  खोखले साबित हो रहे हैं उसे सरकार रोके ।

हमसे  जुड़े :-

 आपके लिए /छत्तीसगढ़