Home आलेख भविष्य के सपने व् अंतर:-लघु कथाकार जितेन्द्र कुमार गुप्ता

भविष्य के सपने व् अंतर:-लघु कथाकार जितेन्द्र कुमार गुप्ता

अनफिट,अब और नहीं,गुमनाम ताज-जितेन्द्र कुमार गुप्ता की लघु कथा

इंदौर-मध्यप्रदेश इंदौर के प्रसिद्ध लघु कथाकार जितेन्द्र कुमार गुप्ता की लघु कथा ” भविष्य के सपने ” व् ” अंतर ” सुधि पाठकों के लिए उपलब्ध है ।

भविष्य के सपने-अरे,अरे ! देखो,देखो। वो देखो । कैसा सुखद दृश्य है!” जंगल के कुछ छोटे-बड़े जानवर अचरज से एक दुसरे से कह रहे थे। “कहाँ,कहाँ ?” कौतुहल भरी आवाजें उठी। “अरे वहाँ, टीले के पेड़ पर।” उत्सुकता से सब उधर देखने लगे ।

भविष्य के सपने व् अंतर:-लघु कथाकार जितेन्द्र कुमार गुप्ता
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दूर टीले के एक ऊँचे पेड़ पर चार विशाल गिद्ध बैठे थे। उनमें से एक ने एक छोटे ,मासूम से पक्षी को अपने पंखों से ढंक रखा था।”ओह जन्मजात दुष्ट गिद्धों ने मासूम चिरैया को पंखों में ढंका हुआ है। देखो,देखो।” “पर वे उसे मार क्यों नहीं रहे है?” ” वाह ,वाह। लगता है रामराज ,सतयुग आने वाले है ।” उल्लूओं ने कहा। “अरे मूर्खों, पक्का, चुनाव आने वाले है।”

अंतर

“माँ,नींद नहीं आ रही। कहानी कहो न।” पांच साल के सोनू ने बिस्तर पर लेटे -लेटे माँ,मधु से मनुहार की। आतंकीयों से मुठभेड़ में शहीद हुए लेफ्टीनेंट अरूण की पत्नि थी मधु। पति की मृत्यु के बाद मिले रूपये घर बनवाने में खत्म हो गये। घर में बुढ़े सास-ससुर भी थे । बस,पेंशन पर किसी तरह गुजारा हो रहा था।

नन्हा सोनू हालात रोज देखता और जल्दी से जल्दी बड़ा होकर माँ के लिये ,दादा-दादी के लिये कुछ करना चाहता था। बेटे को पढ़ा- लिखा कर फौजी बनाना ही सपना था मधु का इसलिये रोज पति की बहादुरी के किस्से सुनाती और रोज हंसकर पूछती,”मेरा राजा बेटा क्या बनेगा?” पहले तो सोनू झट से ,कभी फौजी,कभी डॉक्टर,तो कभी-कभी पायलट कह देता था।
आज भी जब मधु ने हंसकर पूछा,” मेरा राजा बेटा क्या बनेगा ?”

भविष्य के सपने व् अंतर:-लघु कथाकार जितेन्द्र कुमार गुप्ता
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“सोचूंगा।” सोनू का जवाब अचकचा गया था मधु को।मन में कुछ खटक रहा था।अचानक सोनू उठकर बैठ गया।
“मैने सोच लिया माँ। क्या बनना है बड़े होकर। खूब पैसे कमाऊंगा। फिर हम सब खुब आराम से रहेगे।” सोनू की आँखों में चमक थी।”अच्छा वो कैसे?” “आतंकी बनकर सरेन्डर कर दूंगा।” मधु सन्न थीऔर सोनू की निगाह अटकी थी, अखबार में छपी न्यूज पर..”सीमा पर हुए शहीद की शहादत को दस लाख और सरेन्डर करने वाले आतंकी को दो करोड़…।”
अंतर का दायरा बहुत बड़ा था।

परिचय
नाम :- जितेन्द्र कुमार गुप्ता
पिता का नाम:- स्व. श्रीरामचंन्द्र गुप्ता
जन्मस्थान :- मां रेवा के किनारे बसे गांव महेश्वर
शिक्षा:- विज्ञान स्नातक (गणित)
प्राथमिक शिक्षा महेश्वर में उच्च शिक्षा बुरहानपुर से
व्यवसाय :- श्रम मंत्रालय के अधीन विभाग में अधिकारी
लेखन कर्म :- कहानी ,कविता , गजल,. शे’र विशेष रूचि लघुकथा लेखन में । राजभाषा विभाग की “दिशा” और
“मालवा ज्योति” पत्रिकाओं में रचनाओं का प्रकाशन , म.प्र.हिन्दी साहित्य समिति की मुख पत्रिका ” वीणा ” और “क्षितिज” में लघुकथाएं और कविताएं प्रकाशित , क्रांतिबोल समाचार पत्र में रचनायें , सोशल मिडिया के लघुकथाकार, लघुकथा के परिंदे, गागर में सागर, जिन्दगीनामा,…..और भी कई समुह में सक्रिय भागीदारी
प्रकाशन :-
लघुकथाओं का प्रथम महाविशेषांक “ लघुकथा कलश” में रचनायें ,साझा लघुकथा संग्रह….
“भाषा सहोदरी”,“सफ़र संवेदनाओं का” “आसपास से गुजरते हुए” “ दीप देहरी पर” अनाथ जीवन का दर्द”
में लघुकथायें प्रकाशित..।
साझा काव्य संग्रह “अभिव्यक्ति” काव्य करूणा“में रचनायें प्रकाशित।

पता:  211 सी 5 सूर्यदेवनगर
 इंदौर (म.प्र.) 452009
9229203028,
8818844118

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