नई दिल्ली-रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने शहरी सहकारी बैंकों द्वारा किसी एक इकाई या समूह को दिए जाने वाले कर्ज की अधिकतम सीमा क्रमश: तय कर दी है। इसका उद्देश्य किसी एक समूह को भारी कर्ज दिए जाने से हुए पंजाब और महाराष्ट्र सहकारी (पीएमसी) बैंक जैसे घोटालों पर रोक लगाना है।
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आरबीआई ने शहरी को-ऑपरेटिव बैंकों के लिए कर्ज देने की सीमा तय कर दी है। पीएमसी बैंक में हुई गड़बड़ी के बाद अब से फैसला लिया गया है। सोमवार को जारी निर्देशों में आरबीआई ने तय किया है कि अब शहरों में काम करने वाले को ओपरेटिव बैंक किसी भी ग्राहक को 25 लाख रूपए से ज्यादा का कर्ज नहीं दे सकता। ऐसे बैंकों के लिए प्राइयोरिटी सेक्टर लेंडिंग की सीमा भी कुल शुद्ध कर्जे का 40 फीसदी से बढ़ाकर 75 फीसदी कर दी गई है।
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इसका लक्ष्य का 50 फीसदी मार्च 2021, 60 फीसदी मार्च 2022 और 75 फीसदी मार्च 2023 तक करना अनिवार्य होगा। सितंबर में पंजाब एंड महाराष्ट्र को ओपरेटिव बैंक में आरबीआई ने वित्तीय अनियमितता के चलते बैंक के जमा रकम की निकासी पर पाबंदी लगा दी थी जिससे बैंक में गड़बड़ी का असर दूसरे बैंकों पर न दिखाई दे।
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