जिले के प्रसिद्ध लघु कथाकार महेश राजा की लघु कथाए मंजिल,चयन,अतिआवश्यक कार्य हेतू सुधि पाठकों के लिए उपलब्ध है ।
मंजिल-वह गिरता पड़ता एक राज्य की सीमा तक पहुंच गया था।अभी मंझिल दूर थी।घर पहुंचना जरूरी था। सारे कारखाने बंद थे।मालिक ने बिना वेतन दिये उन सबको जवाब दे दिया था। सब प्रतीक्षा में थे कि कब सरकार कोई कदम उठाये और वे सब घर पहुंच सके।
उन्हीं में से एक था वह।उसे घर की चिंता थी।पैदल ही निकल पड़ा था।भूख और प्यास ने उसे व्याकुल कर दिया था।रास्ते में भी कोई खास मदद नहीं मिल पायी थी।आँखों में सिवाय आँसूओ के और कुछ नहीं था। तभी अँधेरे कोने से दो व्यक्ति आकर झपट पड़े-“कहाँ से आ रहे हो?कहाँ जा रहे हो?बताओ,और जो कुछ नकदी है,दे दो हमें।नहीं तो पुलिस बुलाकर हवालात भिजवा देंगे।”
साहित्यिक पक्षधरता,भूख कीआग,वादा व् व्यंग्य की समझ:- महेश राजा की लघु-कथा
और कुछ भी कहने का मौका न देकर उपरी जेब से पैसे छीन कर भाग गये। यह उसका अंतिम पचास रूपयों का नोट था।वह निढ़ाल होकर गिर पड़ा।उसने स्वयं को हालात पर छोड़ दिया या तो महामारी से या भूखमरी से मौत तो निश्चित थी।
वह बेहोश होने को था।तभी सायरन बजी,कुछ लोग उतरे,उसे पानी पिलाया और नींबू का रस पिलाया।वे उन्हें अपने साथ ले जा रहे थे।साथ ही आपस में बात कर रहे थे,-अब इन लोगों को घर पहुंचाने का जिम्मा सरकार का है।साथ ही आज ही शासन ने गरीब मजदूरों के लिये ढ़ेर सारी योजना बनायी है।बीस लाख करोड़ के पैकेज का एलान हुआ है।अब इन्हें भूखे नहीं रहना होगा।
उसने थमती साँसों सेआसमान को देखख परमपिता परमेश्वर के आगे सिर झुकाया ।उसेलगा अगर अब जीवित रह गया तो शायद यह लाभ मिल पायेगा,तो अपने परिवार के लिये कुछ कर पायेगा। उसे अबअपनी मंजिल मिल पायेगी…….।अपने भीतर की शक्ति को समेटा।एक लंबी साँस ली।फिर।आँखे मूँद ली।चलतीजीप की खिड़कियों से चल रही ठंड़ी हवाओं के झोंके उसे प्राणदायिनी शक्ति प्रदान कर रहे थे।
पीछे छूटता हुआ गांव व् एक निबंध ऐसा भी :-महेश राजा की लघु कथा
चयन-
बच्चों की परीक्षाएं हो गयी थी।परिणाम भी घोषित हो गया था।अगले सत्र का दाखिला और पुस्तकों की खरीदारी भी हो गयी थी।
चर्चा के दौरान बालक से पूछा गया,-“गर्मियों में कहाँ जाओगे?”बच्चें ने उत्साह से बताया-“मामा के घर।” सबने इसे सहज रूप से लिया।बच्चे मामा घर जाते ही है।फिर भी पापा ने बच्चे से पूछा-“चाचू के घर कँयों नहीं?” बच्चा मासूमियत से बोला-“चाचा के घर ए.सी. नहीं है न।मामा के यहाँ तो है
अतिआवश्यक कार्य हेतू-
एक प्रगतिशील परिवार था।पिता पुत्र में अच्छी ट्यूनिंग थी।दोनों शौकीन भी थे। जैसे ही शराब बिक्री शुरू होने की खबर आयी,पिता मचल उठे।पिता पुत्र में कुछ बात हुई। बेटा एक थैला लेकर बाहर जाने निकला तो माँ ने रोका-“बेटा,कहाँ जा रहे हो।बाहर संपूर्ण कर्फ्यू है।?
पिता बचाव में सामने आये-“भाग्यवान, सरकार की गाईडलाईन है कि अति आवश्यक कार्य होने पर बाहर जाया जा सकता है।बेटा कुछ जरूरी सामान लेने जा रहा है।”पाकेट से पांचसौ रूपये के तीन नोट लेकर बेटे से बोले-“बेटा सब अच्छा सामान लाना,ब्राँड़ेड़……।”
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