महासमुंद-जिले के प्रसिद्ध लघुकथाकार महेश राजा की लघुकथा मजूरी, राष्ट्रीय संपत्ति,विश्वास,निःशब्द और लाकर सुधि पाठकों के लिए उपलब्ध है।
मजूरी
वे दीवारों पर से राष्ट्र विरोधी पोस्टर हटा कर साम्प्रदायिक सद्भाव के पोस्टर चिपका रहे थे। एक पत्रकार ने पूछा-क्या दीवारों पर पोस्टर चिपकाने से देश में साम्प्रदायिक सद्भाव कायम हो जायेगा?
वह बोले-यह तो हम नहीं जानते…..हम तो केवल इतना जानते हैं कि एक पोस्टर दीवार पर चिपकाने की हमारी मजूरी पांच रूपये हैं।

राष्ट्रीय संपत्ति-
शहर के चिडिय़ाघर में एक नन्हें शावक को गर्मी से बचाने के लिये कूलर लगा दिया गया।यह समाचार पढ़कर एक मित्रबोले-देखते हो…अपनी सरकार जानवरों का कितना ख्याल रखती हैं…और एक हम है कि गर्मी से मरे जा रहे हैं।फ़ाईलों पर न जाने कितने पसीने की बूँदें हमारी नोटशीट के साथ इस आफ़िस की जानलेवा गर्मी की चश्मदीद गवाह हैं…
मैंने कहा-शावक राष्ट्रीय संपति हैं और उन्हें बचाना देश का कर्तव्य हैं,अभी सरकारी कर्मचारी राष्ट्रीय संपति कि परिभाषा में नहीं आते हैं।
विश्वास-
उसने अपनी नौकरानी से कहा-हमारे यहाँ काम करते हुए तुम्हें तीन माह हो गये।अभी तक कोई चोरी नहीं हुयी।
नौकरानी मुस्कुरायी।स्वगत में बोली-मालकिन ,पहले आप लोगों का विश्वास तो प्राप्त कर लूँ।
निःशब्द-
हिल व्यू पार्क के सामने रेसिडेंशियल ईलाका है। खूब हरा-भरा।जगह जगह पेड़-पौधे। उसी जगह सामने कुछ दुकानें बनी है।जरूरत का सामान मिलता है।फिर एक मोड और गली।
शाम को स्कूल और आफिस छूटने के समय वहांँ पर कुछ किशोर और युवक अपने -अपने समूह में खडे होकर दिन भर की दास्तान कह रहे थे।भाषा अलग थी।पर,सबके हाथों में जलती हुई सिगरेट थी।तन्मय हो कर फूँक रहे थे।
तभी नजर पास ही एक पेड़ पर लगे बोर्ड पर नजर गयी,लिखा था,केंसर अस्पताल जाने का रास्ता। एरो भी बना हुआ था।

लाकर –
एक ताजा-ताजा बने नेता ने अपनी पत्नी से कहा-आज मैंने भी एक लाकर ले लिया।
पत्नी ने आश्चर्य से पूछा-लाकर?पर तुम अभी से…..क्या ..करोगे…इसका?
नेताजी मुस्कुराये- भई मुखौटे रखूँगा,यही तो हमारी पूँजी हैं।
जीवन परिचय-
जन्म:26 फरवरी
शिक्षा:बी.एस.सी.एम.ए. साहित्य.एम.ए.मनोविज्ञान
जनसंपर्क अधिकारी, भारतीय संचार लिमिटेड।
1983 से पहले कविता,कहानियाँ लिखी।फिर लघुकथा और लघुव्यंग्य पर कार्य।
महेश राजा की दो पुस्तकें1/बगुलाभगत एवम2/नमस्कार प्रजातंत्र प्रकाशित।
कागज की नाव,संकलन प्रकाशनाधीन।
दस साझा संकलन में लघुकथाऐं प्रकाशित
रचनाएं गुजराती, छतीसगढ़ी, पंजाबी, अंग्रेजी,मलयालम और मराठी,उडिय़ा में अनुदित।
पचपन लघुकथाऐं रविशंकर विश्व विद्यालय के शोध प्रबंध में शामिल।
कनाडा से वसुधा में निरंतर प्रकाशन।
भारत की हर छोटी,बड़ी पत्र पत्रिकाओं में निरंतर लेखन और प्रकाशन।
आकाशवाणी रायपुर और दूरदर्शन से प्रसारण।
पता:वसंत /51,कालेज रोड़।महासमुंद।छत्तीसगढ़।
493445
मो.नं.9425201544
हमसे जुड़े :
WatsApp https:FLvSyB0oXmBFwtfzuJl5gU
Twitter:https:DNS11502659
Facebook https:dailynewsservices/