Home आलेख कर्तव्य, इजाजत,तेरे मेरे सपने, भेद भाव:-महेश राजा की लघुकथा

कर्तव्य, इजाजत,तेरे मेरे सपने, भेद भाव:-महेश राजा की लघुकथा

कर्तव्य-आरती पूजा पाठ कर नाश्ते की तैयारी कर रही थी।तभी घर के अहाते में कार रूकी।कार से बहू हेतल को

महेश राजा की लघुकथा उपयोगिता के साथ पढिए अन्य लघुकथा

महासमुंद- जिले के ख्यातिप्राप्त लघुकथाकार महेश राजा की लघु कथाए -कर्तव्य, इजाजत,तेरे मेरे सपने, भेद भाव सुधि पाठकों के लिए उपलब्ध है ।

कर्तव्य-आरती पूजा पाठ कर नाश्ते की तैयारी कर रही थी।तभी घर के अहाते में कार रूकी।कार से बहू हेतल को उतरता देख कर उन्हें आश्चर्य हुआ।रमेश जी भी बाहर आ गये। कार से सामान उतार कर हेतल ने दोनों के पांव छुये।अखंड सौभाग्य वती भवः का आशीर्वाद देकर आरती जी ने पूछा-“बेटा,यूँ एकाएक।बिना कोई खबर। हरेश और काव्यांश कहाँ है?”

हेतल ने हँस कर कहा'”-मम्मी जी,सब बताती हूँ।भीतर चलिये।”चाय पीते हुए सबकी खैर खबर के बाद हेतल ने कहा-“पापाजी,मम्मी जी।इन दिनों महामारी फैली हुई है।मम्मी की तबियत भी कुछ ठीक नहीं रहती।हरेश और मैंने सोचा,आप लोग तो यात्रा नहीं कर पायेंगे,तो मैं आप लोगों के साथ रहकर सेवा करूंगी।”

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कर्तव्य, इजाजत,तेरे मेरे सपने, भेद भाव:-महेश राजा की लघुकथारमेश ने कहा-“परंतु बेटा वहाँ हरेश और काव्यांश अकेले…उनका भोजन।?”हेतल ने ईत्मीनान से कहा-“पापा,वो सब मैं व्यवस्थित कर आया हूँ।आप चिंता न करे।और हाँ ,अब मम्मी को आराम करना है।आज से ही सब मैं संभाल लूंगी।”

आगे वह बोली,-“देखिये पापा मम्मी, आप लोगों ने हरेश और पिंकी दीदी की परवरिश बहुत कष्टों से की।अब सब ठीक है।आप लोगों ने अपना कर्तव्य पूरा किया।अब हमारी बारी है।हमें अपना कर्तव्य करने दिजिये।सब ठीक होगा तो सब साथ चलेंगे।अब बस आप लोगों का आराम करना है।”

आरती जी की आँखों में आँसू आ गये।जी में आया हेतल को गले लगा है।सब कहते है बहूएं पराये घर से आती है,वह अपनी ससुराल को स्वीकार नहीं करती।सिर्फ़ पति से ही रिश्ता रखती है।ईश्वर का लाख लाख धन्यवाद कि हमारे परिवार में संस्कार अभी जीवित है। हेतल बैग से सबके लिये लाये उपहार निकाल रही थी।

इजाजत

जानकी देवी ने एक बार पूरे घर का निरीक्षण किया।सब कुछ ठीक तो है न….।उनकी सहयोगी आशाजी पूर्ण निष्ठा से पूरे घर को सजाने में जुटी हुई थी। बेटा राजेश बहु के साथ अपने कर्तव्य स्थल चला गया।बेटी रीना ससुराल में सुखी है।जानकी जी ने अन्य कर्मियों को आवश्यक निर्देश दिया।

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बेटा

अब वो पूजा घर में आ गयी।इष्टदेव को प्रणाम कर पतिदेव की तस्वीर के सामने जाकर खड़ी हो गयी।तस्वीर से एक तेज किरण सी फूट रही थी। आँचल को सिर पर रख कर वह धीरे से बोली-“ए जी,देखलो मैंने अपने सारे कर्तव्य पूरे कर लिये।बेटी का विवाह एक कुलीन परिवार में हो गया है।बेटा और बहु डाक्टर है।तुम दोनों को मेरी झोली में छोड़कर जल्दी चले गये।और सारी जिम्मेदारी मुझ पर छोड़ गये।मैंने सब कुछ अच्छे से निभाया।”

थोड़ा रूक कर आँखों से छलक आये आँसू को पोंछ कर फिर बोली-“अब मुझे एक इजाजत दो।अब मैं अपना आगे का जीवन समाज सेवा और गरीब बच्चों को पढ़ाकर बिताना चाह रही हूँ।आशा है तुम्हें एतराज न होगा।आज से ही आशियाना को मैंने किलकारी आश्रम के रूप में बदल दिया हैँ।तुम्हें नमन कर तुम्हारा आशीष पाकर यह शुभ काम शुरु करना चाह रही हूँ।इजाजत दो।” वे हाथ जोड़कर मौन खड़ी रही।पति की तस्वीर मुस्कुरा रही थी।

तेरे मेरे सपने

दोनों अलग अलग जगहों से थे।रोजी रोटी के लिये नगर में आकर बसे।किसी अजनबी मोड़ पर मुलाकात हुयी।दोनों अपने-अपने सपने लिये आये थे।मन मिल गया। रोज शाम को कभी बाग में तो कभी मंदिर में मिलते।साथ एक एक कप चाय पीते।दिन भर की अपनी कारगुजारी बाँटते।सपनों की चर्चा करते।

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कर्तव्य, इजाजत,तेरे मेरे सपने, भेद भाव:-महेश राजा की लघुकथा

दोनों के सपने काफी मिलते जुलते थे।सहज,साँस्करिक सपने। परंतु एक रोज उन्हें लगा कि सपने साकार होना संभव नहीं।दोनों देर शाम तक बैठे।नदी का शांत किनारा था।फिर एक दूसरे के गले लग कर खूब रोये। अँत में अपने अपने सपनों को नदी में विसर्जित किये।अब वे अपनी राह चल दिये,वास्तविकता के कठोर धरातल से सामना करने।

भेद भाव

बड़े लोगों का परिवार था।रूपये पैसों की कोई कमी न थी।मगर वे पुराने स्वभाव के थे। घर की बहू को दिन भर साड़ी पहनकर ही रहना होता। हाँ ,अगर मायके से बेटी आती तो उस पर यह नियम लागू न था।

बहू के भाई का विवाह तय हो गया था,वह फोन पर माँ से कह रही थी,मम्मी हम लोग शुरु से ही भाभी को पहनने ओढ़ने की छूट देंगे।जमाना अब बदल गया है।फिर इज़्ज़त और लिहाज़ तो आँखों का होता है….।

लेखक परिचय

महेश राजा
जन्म:26 फरवरी
शिक्षा:बी.एस.सी.एम.ए. साहित्य.एम.ए.मनोविज्ञान
जनसंपर्क अधिकारी, भारतीय संचार लिमिटेड।
1983से पहले कविता,कहानियाँ लिखी।फिर लघुकथा और लघुव्यंग्य पर कार्य।
दो पुस्तकें1/बगुलाभगत एवम2/नमस्कार प्रजातंत्र प्रकाशित।
कागज की नाव,संकलन प्रकाशनाधीन।
दस साझा संकलन में लघुकथाऐं प्रकाशित
रचनाएं गुजराती, छतीसगढ़ी, पंजाबी, अंग्रेजी,मलयालम और मराठी,उडिय़ा में अनुदित।
पचपन लघुकथाऐं रविशंकर विश्व विद्यालय के शोध प्रबंध में शामिल।
कनाडा से वसुधा में निरंतर प्रकाशन।
भारत की हर छोटी,बड़ी पत्र पत्रिकाओं में निरंतर लेखन और प्रकाशन।
आकाशवाणी रायपुर और दूरदर्शन से प्रसारण।
पता:वसंत /51,कालेज रोड़।महासमुंद।छत्तीसगढ़।
493445
मो.नं.9425201544