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गौ-काष्ठ का उपयोग अलाव व् दाह संस्कार में करने आयुक्त और CMO को निर्देश जारी

गौ-काष्ठ का उपयोग अलाव व् दाह संस्कार में करने आयुक्त और CMO को निर्देश जारी

रायपुर-नगरीय प्रशासन मंत्री डॉ शिवकुमार डहरिया की पहल से प्रदेश के सभी निकायों में ठण्ड के दिनों में चौक-चौराहों पर जलाए जाने वाले अलाव में गौ-काष्ठ, गोबर के कण्डे के उपयोग को अनिवार्य किया गया है। इसके साथ ही निकाय क्षेत्रों में होने वाले दाह संस्कार में गौ-काष्ठ एवं कण्डे के उपयोग को प्राथमिकता देने के निर्देश दिए गए हैं।

राज्य शासन द्वारा इस संबंध में सभी निगम आयुक्त और नगर पालिका और नगर पंचायत के सीएमओं को निर्देश जारी कर दिए गए हैं। गोठानों से निकलने वाले गोबर और पशुपालकों से खरीदे जाने वाले गोबर का उपयोग जैविक खाद के अलावा गोबर काष्ठ बनाने में किया जाता है।

प्रदेश के लगभग सभी जिलों में इस समय गोठान संचालित किए जा रहे हैं। नगरीय निकाय के अंतर्गत प्रदेश भर में 377 गोठान स्वीकृत है। जिसके अंतर्गत 169 स्व-सहायता समूह की महिलाएं कार्य कर रही है। इन गोठानों में जैविक खाद के अलावा गोबर के अनेक उत्पाद बनाए जा रहे हैं। गोठानों में गौ-काष्ठ और कण्डे भी बनाए जा रहे हैं। कुल 141 स्थानों में गोबर से गौ काष्ठ बनाने मशीनें भी स्वीकृत की जा चुकी है और यह मशीन काम भी करने लगी है।

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 गौ-काष्ठ का उपयोग अलाव व् दाह संस्कार में करने आयुक्त और CMO को निर्देश जारी
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सूखे गोबर से निर्मित गौ-काष्ठ एक प्रकार से गोबर की बनी लकड़ी है। इसका आकार एक से दो फीट तक लकड़ीनुमा रखा जा रहा है। गौ-काष्ठ एक प्रकार से कण्डे का वैल्यू संस्करण है। गोठानों के गोबर का बहुउपयोग होने से जहां वैकल्पिक ईंधन का नया स्रोत विकसित हो रहा है, वहीं छत्तीसगढ़ के गांव और शहरों में रोजगार के नए अवसर भी खुलने लगे हैं। स्व-सहायता समूह की महिलाएं आत्मनिर्भर की राह में कदम बढ़ा रही है।

प्रदेश के गोठानों में तैयार गौ-काष्ठ और कण्डे एक वैकल्पिक और जैविक ईंधन का बड़ा जरिया बन सकता है। इसके जलने से प्रदूषण भी नहीं फैलता और इसका उत्पादन भी आसान है। नगरीय निकाय क्षेत्रो में अलाव और दाह संस्कार में लकड़ी के स्थान पर गौ काष्ठ के उपयोग को बढ़ावा देने से वैकल्पिक ईंधन के उत्पादन में गति आएगी।

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प्रदेश के नगरीय निकायों में

ठण्ड के दिनों में लगभग 400 अलाव चौक-चौराहों पर जलाए जाते हैं।

चौक चौराहों में नगरीय निकाय द्वारा सूखी लकड़ी का उपयोग अलाव

के लिए किया जाता था। अलाव के रूप में लकड़ी का उपयोग होने से पेड़

कटाई को बढ़ावा और पर्यावरण को भी नुकसान पहुचता था। अलाव में

गोबर काष्ठ का उपयोग होने से इसके कई फायदे होंगे। गोबर काष्ठ से प्रदूषण

का खतरा भी नहीं रहेगा और गोठानों के गोबर का सदुपयोग भी होगा।

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