उच्चतम न्यायालय ने 2012 के निर्भया सामूहिक बलात्कार-हत्या मामले में दोषी पवन कुमार गुप्ता की याचिका सोमवार को खारिज कर दी। पवन समेत चार दोषियों को इस मामले में मौत की सजा सुनायी गई है।सुप्रीम कोर्ट ने निर्भया सामूहिक दुष्कर्म और हत्या मामले में फांसी की सजा पाए चार दोषियों में से एक पवन कुमार गुप्ता की क्यूरेटिव पिटीशन खारिज कर दी है।पवन ने इस याचिका में कोर्ट से अपनी फांसी की सजा को आजीवन कारावास में बदलने की मांग की थी।पवन ने बाकी तीन दोषियों मुकेश, विनय और अक्षय की क्यूरेटिव पिटीशन पहले ही कोर्ट खारिज हो चुकी है। पवन के पास राष्ट्रपति के सामने दया यचिका का विकल्प अभी भी बाकी है।
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हालांकि, एक अन्य दोषी अक्षय ने दोबारा दया याचिका दाखिल की है। अक्षय की दलील है कि पहले दायर की गई दया याचिका में वह सारे दस्तावेज़ नहीं रख पाया था। गौरतलब है कि निचली अदालत के आदेश के मुताबिक चारों दोषियों को 3 मार्च को फांसी दी जानी है। फिर से इस तारीख को टालने के लिए दोषी हरसंभव प्रयास कर रहे हैं। न्यायमूर्ति एन वी रमन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि कहा दोषी की दोषसिद्धि और सजा की पुन: समीक्षा का कोई मामला नहीं बनता।
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पीठ के अन्य सदस्य न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा, न्यायमूर्ति आर एफ नरीमन, न्यायमूर्ति आर भानुमति और न्यायमूर्ति अशोक भूषण हैं। वहीं एक अन्य मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद- 370 के अधिकांश प्रावधानों को निरस्त किए जाने को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर पांच जजों वाली पीठ ही सुनवाई करेगी। अदालत ने इस मामले को सात जजों की बेंच को भेजने से इन्कार कर दिया। न्यायमूर्ति एन.वी. रमण की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने इस मामले में फैसला 23 जनवरी को सुरक्षित रखा था।
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