महासमुंद-केन्द्र सरकार द्वारा लाये गए कारपोरेट परस्त, किसान व कृषि विरोधी कानून के खिलाफ 3 अक्टूबर को राजनांदगांव जिला किसान संघ के नेतृत्व में किसानों ने कलकत्ता मुंबई राष्ट्रीय राजमार्ग पर चक्काजाम कर तीनों कानून को वापस लेने की मांग किया। गौरतलब है कि पूरे देश भर में किसान विरोध कर रहे हैं।
किसान आंदोलन से बेपरवाह भाजपा की मोदी सरकार इसे किसानों के बीच भ्रम फैलाने वाला विपक्ष की राजनीति कहकर अपना पल्ला झाड़ रहा है। केन्द्र सरकार की संवेदनहीनता से आक्रोशित देश के किसानों ने 27 नम्बर 2020 तक देशव्यापी आंदोलन की रूपरेखा बना चुकी है।
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इसी संदर्भ में राज्य में किसान, मजदूर एवं सामाजिक संगठनों के समन्वय से बनी छत्तीसगढ़ किसान मजदूर महासंघ की बैठक 30 अक्टूबर को हुई थी जिसमे राज्य में भी चरणबद्ध किसान आंदोलन की रूपरेखा बनी जिसकी शुरुआत 02 अक्टूबर गाँधी जयंती के अवसर पर एक दिनी उपवास और राजभवन मार्च से हुई थी और 3 अक्टूबर को राजनांदगांव में चक्काजाम के साथ राज्य में आंदोलन तेज हो रही है।
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केन्द्र सरकार द्वारा लाये, गए कथित कृषि सुधार संबंधित तीनो कानूनों को वापस लेने, समस्त कृषि उपजों की न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदी सुनिश्चित करने व ऐसा नहीं करना अपराध की श्रेणी में लाने कानून बनाने की मांग केंद्र सरकार से किया जा रहा है वहीं राज्य सरकार से मांग किया जा रहा है कि कृषि व किसान विरोधी तीनो कानूनों को छत्तीसगढ़ में निष्प्रभावी बनाने विधानसभा की विशेष सत्र बुलाकर प्रस्ताव पारित किया जाये और प्रदेश में एक नवम्बर से 2500 रुपये प्रति क्विंटल तथा 20 क्विंटल प्रति एकड़ धान खरीदी प्रारंभ करने की मांग किया जाये।
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राजनांदगांव के चक्काजाम को समर्थन देने जिला पंचायत महासमुंद के सदस्य जागेश्वर(जुगनू) चन्द्राकर, अखिल भारतीय क्रांतिकारी किसान सभा छत्तीसगढ़ के उपाध्यक्ष मदन लाल साहू, छत्तीसगढ़ किसान मजदूर महासंघ के संचालक मंडल सदस्यगण पारसनाथ साहू, तेजराम विद्रोही, ठाकुर रामगुलाम सिंह, वेगेंद्र सोनबेर, गिरधर मढ़रिया के अलावा क्षेत्र के किसान सम्मिलित हुए। उक्ताशय की जानकारी संयोजक जागेश्वर(जुगनू) चन्द्राकर द्वारा दी गई.
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