बाँधवगढ़ टाईगर रिजर्व से कल दोपहर रवाना हुआ बाघ शावकों का जोड़ा रात 1 बजे के करीब सकुशल वन विहार पहुँच गया। यहाँ इन्हें क्वारेंटाइन में रखा गया है। सुबह जब संचालक कमलिका मोहंता और सहायक संचालक ए.के. जैन बाघ शावकों को देखने पहुँचे, तो वे अपनत्व से जमीन पर लोट लगाने लगे। बाघ शावक कुछ ही घंटों में अपने केयर टेकर के भी काफी करीब हो गए हैं। वे केयर टेकर पर लगातार नजर रखते हैं और उसके निर्देशों का पालन भी करते हैं। मामूली थकान के चिन्ह के अलावा दोनों बाघ नये माहौल में काफी सहज नजर आ रहे हैं। आज उन्होंने अपना सामान्य भोजन किया।
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संचालक कमलिका मोहंता ने बताया कि दो साल तीन माह की उम्र वाले दोनों शावक एक ही माँ की संतान हैं। दोनों का रूप-रंग भी आश्चर्यजनक ढंग से एक समान है। दोनों ही अतिसुन्दर हैं। बाघिन अपेक्षाकृत थोड़ी छोटी है। इन्हें वर्ष 2017 में बाँधवगढ़ टाइगर रिजर्व प्रबंधन ने शिकार के पास पाया था। प्रबंधन ने दोनों शावकों की दो दिन तक निगरानी की लेकिन इनकी माँ इन्हें लेने नहीं आई। बाँधवगढ़ प्रबंधन द्वारा इन्हें बाड़े में लाकर दूध पिलाकर जीवित रखा। धीरे-धीरे इन्हें कीमा, कटा हुआ मुर्गा, बकरे का माँस, जीवित पाड़ा, जीवित चीतल आदि दिये गये। इन्होंने बाड़े में खुद शिकार कर खाना भी सीखा। एक वर्ष 4 माह की उम्र में इन्हें बहेरहा स्थित बाड़े में शिफ्ट किया गया।
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शावकों को वन में छोड़ने के पहले विशेषज्ञ दल ने उनके व्यवहार का परीक्षण किया। मनुष्यों द्वारा पाल-पोसकर बड़े किये गये ये शावक मनुष्य की उपस्थिति के आदी हो चुके थे और बाड़े के समीप पहुँचे किसी भी व्यक्ति के करीब आने का प्रयास करते थे। विशेषज्ञ दल ने शावकों के वयस्क हो जाने पर उन्हें वन विहार भेजने की अनुशंसा की, जिसके आधार पर उन्हें आज वन विहार के लिये रवाना किया गया।
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