केन्द्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारामन ने कहा है कि देश के बुनियादी ढांचा क्षेत्र में अगले पांच साल के दौरान केन्द्र सरकार एक सौ लाख करोड़ रुपए से अधिक की राशि खर्च करेगी। उन्होंने चेन्नई में आज शाम नानी पालकीवाला शताब्दी व्याख्यान में कहा कि भारत को पांच ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाना महज़ एक कल्पना नहीं है बल्कि यह सम्भव है। उन्होंने कहा कि इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए सरकार सभी पक्षों के लिए सुविधा प्रदाता के रूप में काम करेगी। उन्होंने कहा कि सरकार किसी भी तबके के दबाव में आए बगैर अपना काम मजबूती से करेगी। उन्होंने जोर देकर कहा कि मोदी सरकार केवल वृद्धि पर नहीं बल्कि समग्र विकास पर विश्वास करती है।
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वित्तमंत्री सीतारामन ने कहा कि देश में डिजिटल लेन-देन की वृद्धि से पूरी दुनिया को प्रेरणा मिली है। उन्होंने कहा कि जब भी वैश्विक नेता प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से बातचीत करते है तो वे यूनीफाइड पेमेंट्स इंटरफेस की सफलता के बारे में पूछते हैं। उन्होंने कहा कि अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी अपनाने के लिए दी जा रही मदद से उद्योग क्षेत्र को भारी संबल मिल रहा है।
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सार्वजनिक क्षेत्र के उपकर्मों में विनिवेश का उल्लेख करते हुए केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि इसका उद्देश्य उनके संचालन में कुशलता सुनिश्चित करना है। उन्होंने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था रूढियों पर नहीं बल्कि नियमों पर आधारित है। उन्होंने कहा कि वह कम्पनी अधिनियम के कई प्रावधानों को बदलना चाहती है जिससे भयमुक्त होकर निर्णय किए जा सकें। उन्होंने जोर देकर कहा कि बैंकों की गैर निष्पादित सम्पत्तियों- एनपीए में भारी गिरावट आ रही है और यह राशि दस लाख करोड़ रुपए से घटकर आठ लाख करोड़ रुपए रह गई है। इसमें और गिरावट आएगी। उन्होंने देश के महत्वपूर्ण संस्थानों को सम्मान नहीं देने के आरोपों को खारिज़ करते हुए कहा कि फिलहाल भारतीय रिज़र्व बैंक और केन्द्र सरकार में बेहतर समझ है।
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