Home छत्तीसगढ़ तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सिरपुर बौद्ध महोत्सव एवं शोध संगोष्ठी का हुआ समापन

तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सिरपुर बौद्ध महोत्सव एवं शोध संगोष्ठी का हुआ समापन

तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सिरपुर बौद्ध महोत्सव एवं शोध संगोष्ठी का हुआ समापन

महासमुंद- तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सिरपुर बौद्ध महोत्सव एवं शोध संगोष्ठी-2021 के समापन अवसर पर  आज समारोह के मुख्यअतिथि नंद कुमार बघेल ने कहा कि बौद्व भिक्षुओं को सन्यासी बनने के बाद घर वापस नहीं जाकर गांव-गांव बुद्व धर्म के प्रचार प्रसार के लिए जीवन को समर्पित करना चाहिए। सिर्फ चीवर धारण करने मात्र से बुद्व धम्म लोगों तक नहीं पहुंच सकेंगे। उन्होंने कहा कि बुद्व धर्म की स्थापना के लिए नव जवानों को आगे आने की जरुरत है।

इस मौके पर पं. रवि शंकर शुक्ल विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ केएल वर्मा भाषाविद ने कहा कि बुद्व के संदेश के माध्यम से समाज में समरसता लाने का प्रयास करना चाहिए। मानवीय मूल्यों को जन-जन तक पहुंचाएं तभी जन कल्याण भी होगा। उन्होंने कहा कि बुद्व के समय में पाली भाषा लिपी में साहित्य का लेखन होता रहा है। पाली व छत्तीसगढी भाषा के व्याकरण में काफी समानताएं भी हैं। कुलपति डॉ वर्मा ने कहा कि पं.रविशंकर विवि में जल्द ही पाली भाषा व बौद्व अध्ययन केंद्र शुरु करने प्रयास किया जाएगा।

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तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सिरपुर बौद्ध महोत्सव एवं शोध संगोष्ठी का हुआ समापन

प्रोफसर रतन लाल ने कहा कि अंबेडकर और बुद्व पर आधारित साहित्य को लेकर निबंध का आयोजन करने से ही सभी धर्म , जाति व वर्ग के लोग बुद्व के विचारों से जुड़ सकेंगे। डॉ अंबेडकर ने कहा था कि बुद्व के मंदिर इतना बढा होना चाहिए की लोग इसको देखने दूर दूर से आए। बाबा साहब ने सामाजिक व नैतिक शिक्षा पर जोर दिया है। बुद्व को दर्शन पर नहीं अध्ययन पर शामिल करना चाहिए।

आदिवासी सत्ता के संपादक के आर शाह ने कहा कि बुद्व के विचार कल और आज भी प्रासंगिक हैं। समाज में भाईचारा लाने के लिए हमें प्रयास करने की जरुरत है। सिरपुर में आयोजित तीन बौद्व महोत्सव में सभी समाज व वर्ग के लोगों की भागीदारी होनी चाहिए। सिरपुर की विरासत को जानने और समझने यहां के आसपास के लोग नहीं आते इसे जन-जन तक जोड़ने की जरुरत है। तभी सिरपुर का वैभव शाली इतिहास पर हमें गर्व होगा।

इन विभूतियों को मिला सिरपुर पुरावैभव सम्मान –

छत्तीसगढ की सामाजिक, सांस्कृतिक, कला व साहित्य के क्षेत्र में जनजागृति लाने में आजीवन योगदान देने वाले विभूतियों को छत्तीसगढ़ कल्चर एवं हेरिटेज फाउंडेशन द्वारा तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सिरपुर बौद्ध महोत्सव एवं शोध संगोष्ठी-2021के समापन अवसर नंदकुमार बघेल के हाथों सम्मानित किया गया। समारोह में डॉ. आरके सुखदेवे को छत्तीसगढ तर्क परिषद के द्वारा अंध विश्वास, पाखंड को दूर कर समाज में वैज्ञानिक एवं बौद्विक चेतना जगाने के लिए सिरपुर पुरा वैभव सम्मान से सम्मानित किया गया।

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तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सिरपुर बौद्ध महोत्सव एवं शोध संगोष्ठी का हुआ समापन

इसी तरह प्रथम छत्तीसगढ़ी फिल्म  कहि देबे संदेश के निर्माता निर्देशक को फिल्म  निर्माण एवं सामाजिक सरोकार के लिए मनुनायक को सम्मानित हुए। आदिवसी सत्ता  मासिक पत्रिका के संपादक केआर शाह, कविता वासनिक को छत्तीसगढ़ी  लोकगीत गायन एवं समर्पण के लिए व चित्रकारी एवं कला के प्रति समर्पण के लिए बसंत साहू को सम्मानित किया गया। इस मौके पर महोत्सव में स्टॉल लगाने वाले चित्रकारों व कलाकारों को भी प्रमाण पत्र दिया गया। चित्रकार प्रवीण वासनिक, भोजराज ढोंगर, अमोल मेश्राम, विपीन भगत, यादव सुशांत सिदार, दिप्ति ओग्रे , शिवा मानिकपुरी, जादवां फिरदौस, प्रियांशी को भी पेंटिंग कला, फाइन आर्ट के लिए मंच से सम्मानित किया गया।

सावित्री कहार की अरपा पैरी की धार से …… झूम डठे दर्शक

मुख्यमंच पर सांस्कृतिक कार्यक्रम के रुप में आज कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। कवि सम्मेलन में भी कवियों ने बुद्व व अंबेडकर के संदेशों पर आधारित क्रांति कारी व व्यंगयात्मक पंक्तियों पर आधारित रचना प्रस्तुत किए। अज्ञान के अंधकार को मिटाकर बुद्व के ज्ञान ने प्रकाश दिए। तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सिरपुर बौद्ध महोत्सव एवं शोध संगोष्ठी में सांस्कृतिक कार्यक्रम के तहत देर रात चले प्रस्तुति में लोक गायिका सावित्री देवी कहार की लोक गीतों से दर्शक झुम उठे। रात्रि कालीन लोकगीतों की धुने से समापन अवसर पर छत्तीसगढ़ी गीतों की शानदार प्रस्तुति ने महोत्सव के मंच को संगीत से सराबोर कर दिया।

सावित्रि कहार के सुमधुर संगीत में राउत नाचा की धमाकेदार संगीत से दर्शकों को अपनी ओर खींच लिया। सतनाम के हो बाबा पूजा करो जैतखाम के जैसी पंथी गीतों की बहार से मंच संगीत से चहक उठा। अरपा पैरी के धार राज्य गीत की महक से छत्तीसगढ महातारी का गुणगान संगीत की लहरे में झमक रहा था।

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