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कैबिनेट ने किया शोक व्यक्त स्व.पासवान का राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार

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दिल्ली-केंद्रीय मंत्रिमंडल ने उपभोक्‍ता कार्य, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री रामविलास पासवान के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है। उनकी स्मृति में मंत्रिमंडल ने दो मिनट का मौन भी रखा। मंत्रिमंडल ने अंतिम संस्कार पूरे राजकीय सम्मान के साथ करने को मंजूरी दी। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने उपभोक्‍ता कार्य, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री रामविलास पासवान के निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया है। उनके निधन से राष्ट्र ने एक प्रख्यात नेता, एक उत्कृष्ट सांसद और एक कुशल प्रशासक खो दिया है।

5 जुलाई, 1946 को शहरबनी जिला खगड़िया (बिहार) में जन्मे रामविलास पासवान ने कोसी कॉलेज खगड़िया और पटना विश्वविद्यालय, पटना में शिक्षा प्राप्त की। उन्होंने कला स्नात्तकोत्तर (एम.ए.) और विधि स्नातक (एल.एल.बी.) की डिग्री प्राप्त की। उन्हें बुंदेलखंड विश्वविद्यालय, झाँसी (उत्तर प्रदेश) द्वारा डी.लिट की मानद उपाधि से भी सम्मानित किया गया।

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फ़ाइल् फोटो

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रामविलास पासवान बिहार के सबसे लोकप्रिय नेताओं में से एक थे और उन्हें व्यापक जनसमर्थन प्राप्त था। वह 1969 में संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के सदस्य के रूप में बिहार राज्य विधान सभा के लिए चुने गए थे। इसके बाद, उन्हें 1977 में हाजीपुर निर्वाचन क्षेत्र से रिकॉर्ड मतों के अंतर से छठी लोकसभा के सदस्य के रूप में चुना गया। स्व. पासवान 1980 में 7वीं लोकसभा और 1984 में 8वीं लोकसभा के लिए फिर से चुने गए। वह 1989 में 9वीं लोकसभा के लिए फिर से निर्वाचित हुए और तब उन्हें श्रम और कल्याण मंत्री के रूप में नियुक्त किया गया।

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1996 में वे तत्कालीन सरकार में रेल मंत्री बनाये गए और 1998 तक इस पद पर बने रहे। इसके बाद, उन्होंने अक्टूबर 1999 से लेकर सितंबर 2001 तक संचार मंत्री के रूप में कार्य किया। इसके पश्चात् पासवान अप्रैल 2002 तक कोयला और खान मंत्री के पद पर कार्य करते रहे। 2004 के लोकसभा चुनावों के बाद, संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार में शामिल हुए और उन्हें रसायन और उर्वरक मंत्री और इस्पात मंत्री बनाया गया।

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स्व.पासवान 2014 में सोलहवीं लोकसभा के लिए चुने गए और उन्होंने उपभोक्‍ता कार्य, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री पद की ज़िम्मेदारी निभाई। वर्ष 2019 में स्व. पासवान राज्य सभा के लिए चुने गए और उन्हें फिर से उपभोक्‍ता कार्य, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय का भार सौंपा गया। वे शोषितों की आवाज़ थे और वह हमेशा समाज के उपेक्षित वर्गों के हितों की रक्षा के लिए काम करते रहे।

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