महासमुंद-जिले के प्रसिद्ध लघुकथाकार महेश राजा की लघुकथा शपथ- नमक का मोल सुधि पाठकों के लिए उपलब्ध है।भारत की हर छोटी,बड़ी पत्र पत्रिकाओं में महेश राजा की लघुकथा व् व्यंग का निरंतर लेखन और प्रकाशन होता है । आज शपथ- नमक का मोल प्रकाशित किया जा रहा है ।
शपथ
बाँर्डर पर दुश्मनों की गोली लगने से उसकी मौत हो गयी।ससम्मान उसका शव गाँव लाया गया।राजकीय सम्मान से उसका अंतिम संस्कार होना था।मां,बहू और पोते के साथ शांत खडी थी।
गांव की महिलाएं खुसुर पुसुर कर रही थी,यह जमुना भी न हमारी बात कभी नहीं सुनती ।पहले पति खोया अब बेटा।लाख मना किया था,मत भेजो बेटे को फौज में।पर,नहीं।जिद कि लडका फौजी ही बनेगा। सब पहुंच गये थे।मां की आंख मे गर्व के आंसू थे।अधिकारी ने बताया-“आपका पुत्र बहादुरी के साथ लडते हुए शहीद हुआ है।”
स्काउट एवं गाइडस 36 गढ़ राज्य परिषद के पदाधिकारियों को दिलाई शपथ CM बघेल ने

मां के होंठ धीरे से हिले-“साहब.मेरा दूसरा बेटा भी होता तो मै उसे देश सेवा मे जरूर भेजती।” बहु भी अपने बेटे के साथ अंतिम दर्शन को आयी.अपने बेटे को गोद मे लेकर बोली-“मैं शपथ लेती हूँ, कि अपने पिता के समान ही उसका बेटा भी सेना में शामिल होगा।” सबकी आंँखे नम थी.मन भारी था।पर सभी उस परिवार की देशभक्ति को नमन कर रहे थे
नमक का मोल
तालाबँदी के दौरान जीवनशैली बदल गयी थी।कोई भी काम अपनी रूटीन से न हो रहा था। वे दो ही लोग थे।जरूरतें कम थी।संग्रह ण का भी विचार न रखते थे।सादा जीवन उच्च विचार शैली अपनाते। एक सुबह पत्नी ने उन्हें बताया कि नमक समाप्त हो गया है,महीने के सामान की सूचि में वे लिखना भूल गयी थी। उन्हें भी लगा,चलो बाजार हो आते है।बहुत दिनों से घर से बाहर निकले ही न थे।
मास्क लगा कर सोशल डिस्टेंस का पालन करते हुए वे परिचित किराना दुकान पहुंचे।नमस्कार आदि की औपचारिकता के बाद उन्होंने सामान की सूचि बतायी ।इस पर दुकानदार बोले,-“नमक तो आज नहीं दे पाऊँगा।सारा स्टाक समाप्त हो गया है।”
उन्हें आश्चर्य हुआ ,नमक जैसी रोजमर्रा की सामान्य वस्तु के स्टाक में कमी कैसे हो सकती है?दो तीन लोगों से बात करने पर पता चला कि कल किसी ने सोशल मीडिया पर अफवाह फैला दी थी कि भारत में आने वाले दिनों में नमक की शार्टेज रहेगी।बस ,फिर क्या था,कल शाम से देर रात तक लोगों ने कतार लगा कर नमक की खरीदारी की।दो पैकेट उपयोग करने वाले पाँच पैकेट खरीद करले गये।
चाकलेट डे पर प्रसिद्ध लघुकथाकार महेश राजा की विशेष लघुकथा

मुनाफाखोरों ने लाभ उठाया ।बाजार से नमक ही गायब कर दिया।प्रशासन की आँखें खुली,उन्होंने स्टाक और कालाबाजारी करने वालों पर कार्य वाही करने की ठानी। अब दुकानदारों ने नमक बेचना ही बंद किया।
इस देश और यहाँ के कुछ लोगों की मनोदशा पर मन में क्षोभ हो आया।महामारी के इस संकट में सब अपनी जान बचाने में लगे है:ऐसे में यह लोग अफवाह और नमक की कमी करवा रहे है; क्यों?।गुस्सा भी आ रहा था और रहम भी।
वे थैला लिये वापस लौट रहे थे कि आज दाल सब्जी, बगैर नमक के ही खानी होगी..। तभीएक दुकानदार ने उन्हें आवाज दी..और फुसफसाते हुए कहा,”-चाचा आप घर के हो।आपका इस तरह से परेशान देखना मुझे अच्छा नहीं लग रहा…आप ऐसा करना..,..चार बजे चुपचाप दुकान पर आ जाना मैं आपको दो पैकेट नमक दे दूंगा।हाँ दाम थोड़े ज्यादा लगेंगे…।
वे देश,नागरिक, पत्नी और नमक विषय पर विचारणा करते हुए घर पहुंचे।पुराना खून था।दुःख भी हो रहा था ,और स्वयं को विवश भी महसूस कर रहे थे…
मन ही मन सोच रहे थे क्या यही मेरा भारत देश है..क्या इसी देश के लिये हमारे पुरखों ने खून बहाया था।अफसोस…।साथ ही याद हो आया ,जब वे छोटे थे,हाथ से नमक गिर जाता तो माँ कहती थी,बेटा नमक का बड़ा मोल है,इसे इस तरह नहीं गिराना चाहिये।पाप लगता है। उन्हें आज नमक का मोल समझ में आ गया था।
जीवन परिचय
महेश राजा
जन्म:26 फरवरी
शिक्षा:बी.एस.सी.एम.ए. साहित्य.एम.ए.मनोविज्ञान
जनसंपर्क अधिकारी, भारतीय संचार लिमिटेड।
1983 से पहले कविता,कहानियाँ लिखी।फिर लघुकथा और लघुव्यंग्य पर कार्य।
दो पुस्तकें1/बगुलाभगत एवम2/नमस्कार प्रजातंत्र प्रकाशित।
कागज की नाव,संकलन प्रकाशनाधीन।
दस साझा संकलन में लघुकथाऐं प्रकाशित
रचनाएं गुजराती, छतीसगढ़ी, पंजाबी, अंग्रेजी,मलयालम और मराठी,उडिय़ा में अनुदित।
पचपन लघुकथाऐं रविशंकर विश्व विद्यालय के शोध प्रबंध में शामिल।
कनाडा से वसुधा में निरंतर प्रकाशन।
भारत की हर छोटी,बड़ी पत्र पत्रिकाओं में निरंतर लेखन और प्रकाशन।
आकाशवाणी रायपुर और दूरदर्शन से प्रसारण।
पता:वसंत /51,कालेज रोड़।महासमुंद।छत्तीसगढ़।
493445
मो.नं.9425201544
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