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केंद्रीय मंत्रिमंडल ने राष्ट्रीय खाद्य तेल मिशन–पाम ऑयल के क्रियान्वयन को दी मंजूरी

केंद्र सरकार 8,844 करोड़ रुपये वहन करेगी

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दिल्ली-प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में पाम ऑयल के लिये एक नये मिशन की शुरुआत को मंजूरी दी गई है, जिसका नाम राष्ट्रीय खाद्य तेल–पाम ऑयल मिशन है। यह केंद्र द्वारा प्रायोजित एक नई योजना है और इसका फोकस पूर्वोत्तर के क्षेत्रों तथा अंडमान और निकोबार द्वीप समूह पर है। खाद्य तेलों की निर्भरता बड़े पैमाने पर आयात पर टिकी है, इसलिये यह जरूरी है कि देश में ही खाद्य तेलों के उत्पादन में तेजी लाई जाये। इसके लिये पाम ऑयल का रकबा और पैदावार बढ़ाना बहुत अहम है।

इस योजना के लिये 11,040 करोड़ रुपये का वित्तीय परिव्यय निर्धारित किया गया है, जिसमें से केंद्र सरकार 8,844 करोड़ रुपये का वहन करेगी। इसमें 2,196 करोड़ रुपये राज्यों को वहन करना है। इसमें आय से अधिक खर्च होने की स्थिति में उस घाटे की भरपाई करने की भी व्यवस्था शामिल की गई है।

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इस योजना के तहत, प्रस्ताव किया गया है कि वर्ष 2025-26 तक पाम ऑयल का रकबा 6.5 लाख हेक्टेयर बढ़ा दिया जाये और इस तरह आखिरकार 10 लाख हेक्टेयर रकबे का लक्ष्य पूरा कर लिया जाये। आशा की जाती है कच्चे पाम ऑयल (सीपीओ) की पैदावार 2025-26 तक 11.20 लाख टन और 2029-30 तक 28 लाख टन तक पहुंच जायेगी। इस योजना से पाम ऑयल के किसानों को बहुत लाभ होगा, पूंजी निवेश में बढ़ोतरी होगी, रोजगार पैदा होंगे, आयात पर निर्भरता कम होगी और किसानों की आय भी बढ़ेगी।

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वर्ष 1991-92 से भारत सरकार ने तिलहन और पाम ऑयल की पैदावार बढ़ाने के अनेक प्रयास किये थे। वर्ष 2014-15 में 275 लाख टन तिहलन का उत्पादन हुआ था, जो वर्ष 2020-21 में बढ़कर 365.65 लाख टन हो गया है। पाम ऑयल की पैदावार की क्षमता को मद्देनजर रखते हुये वर्ष 2020 में भारतीय तेल ताड़ अनुसंधान संस्थान ने पाम ऑयल की खेती के लिये एक विश्लेषण किया था।

उसमें लगभग 28 लाख हेक्टेयर में पाम ऑयल की खेती के बारे में अपने विचार व्यक्त किये थे। लिहाजा, ताड़ के पौधे लगाने की अपार क्षमता मौजूद है, जिसके आधार पर कच्चे ताड़ के तेल की पैदावार भी बढ़ाई जा सकती है। मौजूदा समय में ताड़ की खेती के तहत केवल 3.70 लाख हेक्टेयर का रकबा ही आता है। अन्य तिलहनों की तुलना में प्रति हेक्टेयर के हिसाब से ताड़ के तेल का उत्पादन प्रति हेक्टेयर 10 से 46 गुना अधिक होता है।

इसके अलावा एक हेक्टेयर की फसल से लगभग चार टन तेल निकलता है।

इस तरह, इसकी खेती में बहुत संभावनाएं हैं।

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उपरोक्त को ध्यान में रखें और यह तथ्य भी देखें कि आज भी लगभग 98 प्रतिशत

कच्चा ताड़ का तेल आयात किया जाता है। इसे मद्देनजर रखते हुए योजना शुरू

करने का प्रस्ताव किया गया है, ताकि देश में ताड़ की खेती का

रकबा और पैदावार बढ़ाई जाये। प्रस्तावित योजना में मौजूदा

राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन-तेल ताड़ कार्यक्रम को शामिल कर दिया जायेगा।

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