Home आलेख पुराना छाता-महेश राजा की लघुकथा

पुराना छाता-महेश राजा की लघुकथा

काफी उम्र हो गयी थी उसकी।एक सरकारी महकमें में चौकीदारी करते उम्र गुजार दी,,,

महेश राजा की लघुकथा कान्वेंट कल्चर ,टेढ़ी पूँछ वाला कुत्ता ,उदाहरण व् ए.टी.एम

Mahasamund:-जिला के प्रसिद्ध लघुकथाकार महेश राजा की लघुकथा पुराना छाता सुधि पाठकों के लिए उपलब्ध है।उनकी दस साझा संकलन में लघुकथाऐं,रचनाएं गुजराती, छतीसगढ़ी, पंजाबी, अंग्रेजी,मलयालम और मराठी,उडिय़ा में प्रकाशित होती है।

पुराना छाता

काफी उम्र हो गयी थी उसकी।एक सरकारी महकमें में चौकीदारी करते उम्र गुजार दी।आगे पीछे कोई न था।सेवानिवृति के बाद पैंशन से जो कुछ मिलता,उससे रूखी सूखी खाकर गुजार रहा था।सुबह,शाम मंदिर जाना उसका नित्यकर्म था।बीच का समय कभी पार्क या ईधर उधर टहल कर कट जाता था।

सावन का महीना।बारिश की शुरुआत हो गयी थी।नन्ही नन्ही बूंदो को टपकते देख कर उसकी बूढ़ी आंँखों में चमक आ गयी थी।पुराने कबाड के सामान में से उसने अपना वो छाता ढूंढ निकाला, जो काम के प्रति उसकी लगन से खुश होकर बड़े साहब ने दिया था।

पुराना छाता-महेश राजा की लघुकथा

बडे जतन से उसने पुराने छाते पर की धूल को पोंछा।यही तो एकमात्र वह चीज थी जो उसके पुराने दिनों की स्मृति से जुड़ी हुयी थी।उसने प्रेमपूर्वक नजरों से छाते को देखा।उसे सहलाया।अब वह फिर से बारिश शुरू होने का ईंतजार करने लगा।

थोड़ी देर बाद जैसे ही नन्हीं नन्हीं बूंँदे आसमान से टपकना शुरू हुई,वह बच्चों की तरह मचलता हुआ छाता लेकर सडक पर दौड़ चला।उसमेंएक नयी स्फूर्ति जाग उठी।तभी मौसम का मिजाज बिगडा।हवा के तेज थपेड़े चलने लगे।उसे बड़े जोर का धक्का लगा।छाता भी सह न पाया,उलट गया।छाते की डंँडियों को छाती से लगाये भीगता हुआ वह धीमे कदमों से चलता हुआ,अपनी कोठरी में वापस आ गया।

वह पूरी तरह से भीग चुका था।शरीर से टूट चुका था।हांँफते गिरते टूटी हुयी चारपायी पर पसर पडा।उसे महसूस हुआ कि उसका शरीर भी इस पुराने छाते की तरह हो गया है,जो अब किसी भी तरह के थपेड़े सहने में असमर्थ हो गया है।

जीवन परिचय-

जन्म:26 फरवरी
शिक्षा:बी.एस.सी.एम.ए. साहित्य.एम.ए.मनोविज्ञान
जनसंपर्क अधिकारी, भारतीय संचार लिमिटेड।
1983 से पहले कविता,कहानियाँ लिखी।फिर लघुकथा और लघुव्यंग्य पर कार्य।

महेश राजा की दो पुस्तकें1/बगुला भगत एवम2/नमस्कार प्रजातंत्र प्रकाशित।
कागज की नाव,संकलन प्रकाशनाधीन।
दस साझा संकलन में लघुकथाऐं प्रकाशित
रचनाएं गुजराती, छतीसगढ़ी, पंजाबी, अंग्रेजी,मलयालम और मराठी,उडिय़ा में अनुदित।
पचपन लघुकथाऐं रविशंकर विश्व विद्यालय के शोध प्रबंध में शामिल।
कनाडा से वसुधा में निरंतर प्रकाशन।
भारत की हर छोटी,बड़ी पत्र पत्रिकाओं में निरंतर लेखन और प्रकाशन।
आकाशवाणी रायपुर और दूरदर्शन से प्रसारण।
पता:वसंत /51,कालेज रोड़।महासमुंद।छत्तीसगढ़।
493445
मो.नं.9425201544

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