बलौदाबाजार-इस समय देश एवं प्रदेश के विभिन्न भागों में शीत लहर चल रही है। अतः पशुपालन एवं पशुधन के अलावा फसल एवं कृषि को शीत-घात Cold Stroke से बचाव के लिए पशु चिकित्सा विभाग व् कृषि विभाग ने एतिहात बरतने की सलाह दी गई है जो इस तरह से है।
भोजन की आवश्यकता
पशुपालन एवं पशुधन के संबंध में आवश्यक सलाह दी गई है कि शीत लहरों के दौरान जानवरों और पशुधन को जीविका के लिए अधिक भोजन की आवश्यकता होती है क्योंकि ऊर्जा की आवश्यकता बढ़ जाती है। तापमान में अत्यधिक मिन्नता भैसो और अन्य मवेशियों की प्रजनन दर को प्रभावित कर सकती है।
शीत-घात Cold Stroke सेे बचाव के लिए क्या करे और क्या न करे

पशुपालक अपने पशुओं को ठंडी हवाओं के सीधे संपर्क से बचने के लिए रात के दौरान सभी पशु आवास को सभी दिशाओं से ढके। ठंड के दिनों में छोटे पशुओं को ढक कर रखें। दुधारू पशु एवं कुक्कुट को ठंड से बचाने हेतु अन्दर रखें। पशुधन के आहार एवं खान-पान में वृद्धि करें। उच्च गुणवत्ता वाले चारा या चारागाहों का उपयोग करे। वसा की खुराक प्रदान करें, आहार सेवन तथा उनके चढ़ाने के व्यवहार का ध्यान रखें।
जलवायु अनुरूप शेड का निर्माण
पशुपालक जलवायु अनुरूप शेड का निर्माण करे जो सर्दियों के दौरान अधिकतम सूरज की रोशनी और गर्मियों के दौरान कम विकिरण की अनुमति देते हैं। इन स्थितियों के लिए विशेष रूप से उपयुक्त पशु नस्लों का चयन करें। सर्दियों के दौरान जानवरों के बैठने हेतु सूखे भूसे रखें। पालतू जानवरों, पशुधन को शीत लहर से बचाने हेतु भवन के अंदर रखे तथा उन्हें कम्बल से ढकें।
फसल एवं कृषि-
प्राथमिक चिकित्सा हेतु एनडीएमए के फास्ट एप का अनुसरण करें। खेती किसानी के संबंध में शीत लहर और ठंड, कोशिकाओं को भौतिक नुकसान पहुंचाती है जिससे कीट का आक्रमण तथा रोग होने से फसल बर्बाद हो सकती है। फसल के अंकुरण तथा प्रजनन के दौरान शीत लहर से काफ़ी भौतिक विघटन होता है इसके बढ़ने से फसलों के अंकुरण, वृद्धि, पुष्पण तथा पैदावार पर असर पड़ता है।
रोग संक्रमण से बचाव करें
इसके लिए बोर्डिऑक्स मिश्रण या कॉपर ऑक्सीक्लोराइड का छिड़काव कर शीत घात के कारण रोग संक्रमण से बचाव करें। शीत लहर के बाद फास्फोरस और पोटेशियम उर्वरकों का उपयोग जड़ वृद्धि की सक्रिय करेगा और फसल को ठंड की घात से तेजी से उबरने में मदद करेगा। शीत लहर के दौरान प्रकाश और लगातार सतह सिंचाई प्रदान करें।
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पानी की सिंचाई से उत्पन्न विशिष्ट गर्मी पौधों को शीत-घात से बचाता है। स्प्रिंकलर सिंचाई से पौधों में शीत घात को कम करने में भी मदद मिलेगी क्योंकि पानी की बूदों का संघनन, आसपास में गर्मी छोड़ता है। शीत घात एवं तुषार प्रतिरोधी, फसलों तथा किस्मों की खेती बारहमासी बगीचों के बीच अंतवर्तीय फसल उगाएँ।
प्लास्टिक शीट से ढकें
इसी तरह सब्जियों की मिश्रित फसल अर्थात, टमाटर, बैगन को सरसों एवं मटर की तरह ऊँचाई उपलब्ध न होने की दशा में घास-फूस, सरकई की घास या जैविक वस्तुओं से मिट्टी को फसल के साथ लगाने से ठंडी हवाओं के खिलाफ आवश्यक आश्रय प्रदान करेगा। पौधों के मुख्य तने के पास मिट्टी को काली या चमकीली प्लास्टिक शीट के साथ ढकें।
यह विकिरण अवशोषित कर मिट्टी को ठंडी में भी गर्म बनाए रखता है। प्लास्टिक उपलब्ध न होने की दशा में घास-फूस, सरकंडे की घास या जैविक वस्तुओं से मिट्टी को ढंककर फसलों को शीत-घात से बचाया जा सकता है। हवा अवरोध/वातरोधक सुरक्षा पट्टी के लिए पौध रोपण, हवा कि गति को कम करके शीत-घात से फसलों को बचाते हैं। बगीचे में धुआँ करके भी फसलों को शीत-घात से बचाया जा सकता है।
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