महासमुंद-जिले के प्रसिद्ध लघुकथाकार महेश राजा की लघुकथा मेकअप, पोस्टर,महँगाई,दरिंदे व् आदमी और पोस्टर सुधि पाठकों के लिए उपलब्ध है।
मेकअप
किसी ने हवालदार जी से पूछा-“क्यों हो साहब,आपने यह खबर पढ़ी कि नहीं,कि भ्रष्ट अधिकारियों को बर्खास्त कर दिया जायेगा?अब आप क्या करोगे?”
चुटकी भर तंबाकू दांँत के नीचे दबाते हुए हवालदार जी इत्मीनान से बोले-“सरकार का हुक्म सिर आँखो पर।लेकिन बात यह है कि कोई तिथि भी तय कर लेते कि इस तारीख से लागू होगा तो थोड़ी सुविधा रहती।अगला-पिछला सब ‘मेकअप’कर लेते।

पोस्टर:-
सरकार भंग होते ही दुकानदार ने अपनी दुकान पर लगे पार्टी के पोस्टर निकाल दिये।किसी ने पूछा-आप तो इस पार्टी के कट्टर समर्थक है….फिर आपने पोस्टर क्यों निकाल दिये?
वह बोले-आजादी के बाद हम पोस्टर बदल-बदल कर ही अपनी दुकान चला रहे ह़ै।
महँगाई:-
उन्होंने दूध वाले से पूछा-क्यों भइया, ये ससुरी महँगई तो बढ़ती ही चली जा रही है लेकिन तुमने दूध की कीमत अभी तक नहीं बढ़ाई?
दूधवाला भइया हँसा।बोला-आपको आज तक हमारे दूध में कोई फरक लगा क्या?वैसा ही दे रहे हैं सालों से।हमें जनता का बड़ा ध्यान रहता है साहब जी।बेचारे वैसे सी महँगाई के बोझ से दबे जा रहे हैं।इसलिए हम ऐसा करते हैं कि दूध में थोड़ा सस्ता वाला पाउडर और साफ़ पानी मिला देते हैं।
दरिंदे:-
गरीब परिवार था।काम के सिलसिले में पति-पत्नी दोनों को बाहर जाना पड़ता।घर पर एक चौदह वर्षीय बालिका थी।दरवाजा भीतर से बंद कर रहती।
दरवाजे पर खटखटाने की आवाज सुनकर वह दौडी चली आयी।माँ बापू आ गये।उस मासूम को क्या पता था कि उसके साथ क्या घटित होने वाला है।
वह धड़धडा़ते भीतर घुस गया दरवाजा बंद कर दिया।बच्ची धबरा गयी।वह टूट पड़ा।बच्ची ने हिम्मत न हारी।वह जोरों से चीखने लगी।अब वो घबराये।असफल होने पर खीज भी उठा।पास रखी मट्टीतेल की टीपली उठा कर बच्ची पर उंड़ेल कर माचिस लगा दी।

वो सरपट भागा।मांबाप आ गये थे।बेटी की हालत देख कर रो पड़े।जैसेतैसे अस्पताल पहुंचे।बच्ची काफी जल चुकी थी।उस मासूम ने दम तोड़ दिया।
पुलिस आयी।अपराधी पकड़ा गया।सभी चर्चा कर रहे थे।गवाही के अभाव में वह छूट जायेगा या छोटी मोटी सजा होगी।
रास्ते में इंस्पेक्टर ने जीप रोकी।अपराधी को नीचे धकेल दिया।मातहत देखते रहे,कि साहब यह क्या कर रहे हैं।
मौका देखकर अपराधी भागा।इंस्पेक्टर ने रिवाल्वर निकाली और गोलियों से भून दिया।
सब देखते ही रह गये और अपराधी मारा गया।इंस्पेक्टर फुसफुसा रहे थे…-“..मेरे घर में भी दो-दो बेटियाँ है…ऐसे दरिंदे को मैं समाज में बरदाश्त नहीं करूंगा…..।”
आदमी और पोस्टर:-
भैयाजी के आगमन पर वेमाला लिये सबसे अग्रिम पंक्ति में खड़े थे।पिछली बार जब विरोधी पार्टी के नेता आये थे,तब भी उनका स्वागत इन्हों ने फूल माला से किया था।
किसी ने उनसे यह पूछा ,यह बात याद दिलायी गयी तो वह बोले-आप तो आदमियों की तरह बात कर रहे हैं।भाई साहब,हम आदमी नहीं रहे।
थोड़ी देर सोचने के बाद बोले-हम तो इन नेताओं के पोस्टर हैं…..जब तक इनके साथ चिपके रहेंगे,लोगों को अपनी ओर आकर्षित करते रहेंगे।
जीवन परिचय-
जन्म:26 फरवरी
शिक्षा:बी.एस.सी.एम.ए. साहित्य.एम.ए.मनोविज्ञान
जनसंपर्क अधिकारी, भारतीय संचार लिमिटेड।
1983 से पहले कविता,कहानियाँ लिखी।फिर लघुकथा और लघुव्यंग्य पर कार्य।
महेश राजा की दो पुस्तकें1/बगुलाभगत एवम2/नमस्कार प्रजातंत्र प्रकाशित।
कागज की नाव,संकलन प्रकाशनाधीन।
दस साझा संकलन में लघुकथाऐं प्रकाशित
रचनाएं गुजराती, छतीसगढ़ी, पंजाबी, अंग्रेजी,मलयालम और मराठी,उडिय़ा में अनुदित।
पचपन लघुकथाऐं रविशंकर विश्व विद्यालय के शोध प्रबंध में शामिल।
कनाडा से वसुधा में निरंतर प्रकाशन।
भारत की हर छोटी,बड़ी पत्र पत्रिकाओं में निरंतर लेखन और प्रकाशन।
आकाशवाणी रायपुर और दूरदर्शन से प्रसारण।
पता:वसंत /51,कालेज रोड़।महासमुंद।छत्तीसगढ़।
493445
मो.नं.9425201544
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