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कम धान खरीदना पड़े इसलिए देर से धान खरीदी शुरू कर रही सरकार : विनोद चंद्राकर

पिछले साल 9 हजार किसान धान बेचने से वंचित हुए थे.

साय सरकार की बिजली नीति से जनता पर दोहरी मार : विनोद चंद्राकर
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महासमुंद।कम धान खरीदना पड़े इसलिए देर से धान खरीदी शुरू कर रही भाजपा सरकार जिसके कारण पिछले साल 9 हजार किसान धान बेचने से हुए थे । धान खरीदी में देरी के कारण अर्ली वेरायटी के फसलों को औने-पाैने दाम पर बेचने के लिए मजबूर हो रहे किसान।

पूर्व संसदीय सचिव विनोद सेवन लाल चंद्राकर ने 1 नवंबर से धान खरीदी शुरू करने की मांग शासन से की है। उन्होंने कहा कि अर्ली वेरायटी के फसलों की कटाई शुरू हो चुकी है। किसान खेतों से धान की कटाई कर रहे हैं। अनेक किसानों के पास उपज रखने की व्यवस्था नहीं हाेने के कारण घरों, आंगन व गलियों में धान रखकर रखवाली करने विवश हो रहे हैं। उपर से बारिश का खतरा भी मंडरा रहा है। ऐसे में किसानों को फसल की सुरक्षा को लेकर चिंतित होना पड़ रहा है। अनेक किसान तो फसलों को औने-पाैने दाम पर दुकानों में व बिचाैलियों को बेच रहे हैं। 1 नवंबर से धान खरीदी शुरू होने पर अर्ली वेरायटी के फसलों की अच्छी कीमत किसानों को मिल सकेगी।

किसानों को किया गया परेशान

भाजपा की सरकार ने शुरू से किसान विरोधी नीति अपनाकर किसानों को परेशान करने का काम किया। खरीफ सीजन शुरू होने से पूर्व ना ही किसानों को यूरिया उपलब्ध कराई और ना ही डीएपी। व्यापारियों को लाभ पहुंचाने के लिए सरकारी दुकानों में खाद-बीज उपलब्ध नहीं कराया गया। 260 का यूरिया मजबूरी में हजार से 12 साै रूपए प्रति बोरी खरीदने की विवशता सामने आई। डीएपी का भी यही हाल रहा।

पूरे सीजन भर किसानों को कहीं भी डीएपी उपलब्ध नहीं कराया गया। वहीं, व्यापारियों को कालाबाजारी करने का खुलेआम छूट भाजपा ने दी। जैसे – तैसे किसान फसल तैयार कर कटाई कर रहे हैं। तब भंडारण की समस्या सामने आ रही है। मजबूर होकर गाँवों में किराना दुकानों तथा कोचियों को 15 से 17 साै रू. प्रति क्विंटल में धान बेच रहे हैं।

पूर्व संसदीय सचिव ने कहा कि समितियों में धान खरीदी की तैयारी भी शुरू नहीं हो पाई है, बारदानों की क्या स्थिति है, इससे सरकार को कोई सरोकार नहीं दिख रही। सहकारी समिति के कर्मचारी भी चरणबद्ध आंदोलन करने की बात कह रहे हैं। ऐसी स्थिति में केवल किसानों को ही उपज बेचने परेशान होना पड़ेगा। मजबूरी में औने-पाैने दाम में कोचियों को धान बेचेंगे तथा बाद में वही कोचिए उसी धान को अधिक दाम समर्थन मूल्य पर बेचकर लाभ उठाएंगे। यह सरकार केवल उद्योगपतियों, व्यापारियों व कालाबाजारी में शामिल लोगों को संरक्षण देने का कार्य कर रही है।

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