जयपुर-चार साल की काव्या का बचपन कहीं खो गया था। मासूम काव्या तोतली उम्र को भी पार नहीं कर पाई थी कि हार्ट की बीमारी ने उसको हर समय उदासी व चुप्पी से घेर लिया। चूरू जिले के वार्ड 33 की काव्या के पिता गौरव का दर्द ये था कि तीन संतान में मंझली बेटी काव्या का, आर्थिक हालत खराब होने के कारण महंगा आपरेशन करवाना संभव नहीं हो रहा था। गौरव ट्रांसपोर्ट पर मजदूरी का काम करता था। बेटी के आपरेशन के लिए दिल्ली ऎम्स तक दिखाया गया मगर लाभ नहीं हुवा ।
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आरसीएचओ डाँ. सुनील जांदू ने बताया कि इसी दौरान आंगनबाड़ी केंद्र पर पहुंची चूरू शहर की राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम(आरबीएसके) की मोबाइल हैल्थ टीम बी ने बालिका काव्या की जांच कर उसे चूरू के डीआईसी सेंटर पर भेजा। डीआईसी सेंटर के मैनेजर बिजेंद्र भाटी ने काव्या की शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. इकराम हुसैन से जांच करवाई। चिकित्सक ने काव्या को उपचार व हार्ट के आपरेशन के लिए जयपुर उच्च चिकित्सा संस्थान रैफर किया।
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आरबीएसके टीम के सहयोग से जयपुर के मणिपाल अस्पताल में काव्या की जांच हुई। बाद में जून महीने में काव्या की मेनेगूमन सिबोल्ड रूट एनलार्जमेंट तकनीक से हार्ट वाल्व रिप्लेसमेंट सर्जरी हुई। इसके बाद काव्या की पेसमेकर सर्जरी की गई। काव्या के आपरेशन पर हुए खर्च तीन लाख आरबीएसके तथा एक लाख की सहायता मणिपाल अस्पताल द्वारा की गई।
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काव्या के पिता गौरव ने कहा कि राज्य सरकार की योजना से आज गंभीर रोगियों को निरूशुल्क उपचार मिल रहा है । कमजोर व आर्थिक रूप से असमर्थ परिवार के लिए तथा गंभीर बीमारी से ग्रस्त बेटे-बेटी का निशुल्क उपचार करवा योजना जीवनदान दे रही है।
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