अजित पुंज-बागबाहरा– क्षेत्र के जंगल प्रखंड से भटक कर खोपली ग्राम पहुंचे हिरण की मौत हो गई।उसकी मौत किसी आवारा कुत्ते के काटने से हुई। भोर सुबह के समय धान खरीदी केंद्र के पीछे पड़े, घायल हिरण की भनक लगते ही वन विभाग को सूचना दी गईं, लेकिन इलाज तो दूर की बात,सुध लेने तब पहुंचे, जब अधमरे हिरण के प्राण पखेरु उड़ चुके थे।
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क्षेत्र में चीतल व हिरण की जिंदगी पर खतरा लगातार मंडरा रहा है। एक के बाद एक चीतल -हिरण की जान पर आफत आई हुई है।लगातार मौत होने के बाद प्रशासन व वन विभाग कागजी कार्रवाई करके बेफिक्र हो जाते हैं। जंगल में पानी के अभाव में चीतल- हिरण गांव की ओर रुख कर रहे हैं जंहा आवारा कुत्ते उन्हें अपना शिकार बना लेते हैं।
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बताते चलें कि हिरण एक खुरदार शाकाहारी व स्तनधारी प्राणियों का समुह है।इनका आहार घास,पत्ते,पौधे, फल और फल्लियाँ हैं।ये जैविक रूप से चीतल/ हिरण सुबह से पहले भोजन करते हैं और उसके बाद घंटों बाद देर शाम तक और रात में दूर तक देखने की क्षमता बहुत अच्छी होती है। इनकी सूंघने और सुनने की क्षमता भी तीव्र होती है। जंगल के सबसे खूबसूरत दुर्लभ प्रजाति के वन्य जीवों की एक के बाद एक मौत होने से क्षेत्र में इनके सुरक्षित ठिकाने की मांग शुरू हो गई है।
क्या कहना है वन विभाग का ?
डिप्टी रेंज अधिकारी मोतीलाल साहू ने बताया कि खोपली ग्राम में हिरण के घायल होने की सूचना मिलते ही वन अमला घटनास्थल पहुंचा था लेकिन हिरण की मौत मोके पर हो चुकी थी। उन्होंने बताया कि हिरण के बच्चे को कुतों ने कई जगह पर काट डाला था,इस वजह से उसकी मौत हो गई। मृत हिरण का पंचनामा व पोस्टमार्टम करने बाद नए नियमों के अनुसार शव को हिंसक प्राणियों के जंगल में, उनके आहार के लिए छोड़ा जावेगा।