जयपुर-खीरे की पहली फसल से 8 लाख रूपये की आय वह भी बिना तकनीकी प्रशिक्षण प्राप्त किए बिना। ऎसा ही कुछ कर दिखाया है पदेवा गांव के किसान वीरसिंह सैनी ने। सीमित जमीन होने के बाबजूद सालाना 10-12 लाख रुपये की आय किसान वीरसिंह ले रहा है। वीर सिंह किसान के पास कुल 15 बीघा कृषि भूमि है। वीरसिंह पहले परचून की दुकान चलाता था, फिर नर्सरी कारोबार शुरू किया। नर्सरी कारोबार में प्राप्त लाभ से ही उसने इस साल पॉली हाउस का निर्माण करवाया।
खीरे की पहली फसल से 8 लाख रूपये की आय लेना किसी भी किसान के बूते से बाहर है, लेकिन 8 वीं पास किसान वीरसिंह ने नर्सरी से जुडे अपने अनुभव के दम पर यह संभव कर दिखाया। संरक्षित खेती अपनाने वाले किसान तकनीकी दक्षता के अभाव में पहली फसल से औसतन ढाई से तीन लाख रुपये की आय ही ले पाते है।
कृषि विधेयक किसान विरोधी विस में प्रस्ताव लाने के निर्णय का स्वागत–भागीरथी
रोडवेज की बसों पर रक्षाबन्धन के दिन महिलाएं करेगी निःशुल्क यात्रा-CM गहलोत
किसान वीरसिंह ने बताया कि मेरे पास 4-5 बीघा जमीन थी 8वीं पास करने के साथ ही पढ़ाई छोड़ दी और होश संभालने के बाद रोजगार के लिए खेती बाडी के साथ-साथ गांव में परचून की दुकान चलाता रहा। इसके बाद फलदार पौधों की नर्सरी का आईडिया दिमाग में आया और बीज, पौधे और कलम तैयार करने का प्रशिक्षण लेकर।
स्वास्थ्य सेवाएँ के लिए 419 पद स्वीकृत करने की मिली मंजूरी
लघु स्तर से फलदार पाैंधें तैयार करना शुरू किया। नर्सरी का करोबार अच्छा चल निकला। इसके बाद परचून की दुकान बंद कर दी। उद्यान विभाग से अनुदान सहायता लेकर फरवरी में पॉली हाउस का निर्माण करवाया। जिसमें खीरे का उत्पादन किया और। पहली फसल से अब तक 8 लाख रुपये की आय ले चुका है।
वीर सिंह का कहना है कि अभी पौधों से उत्पादन मिल रहा है।
ऎसे में आय का आंकडा और बढने की पूरी उम्मीद है। सिंचाई के
लिए ट्यूबबेल, ड्रिप और सोलर संयंत्र लगा हुआ है।
परम्परागत फसलों में गेहूॅ और बाजरे के अलावा चारा फसल की बुवाई कर देता हॅू।
हमसे जुड़े :–https://dailynewsservices.com/