महासमुंद। धान खरीदी से बचने बारदाने का संकट सरकार उत्पन्न कर रही है ,धान खरीदी मामले में सरकार का किसान विरोधी चेहरा सामने आया है उक्त बाते पूर्व विधायक विनोद चंद्राकर ने कही है ।
पूर्व विधायक ने आगे कहा कि भाजपा सरकार के साल भर के कार्यकाल में किसान विरोधी चेहरा सामने आ गया है। भाजपा ने बड़े-बड़े वादे कर सरकार तो बना लिया। लेकिन, जब उन वादों को पूरा करने का समय आया तो सरकार ने अपना असली रंग दिखाना शुरू कर दिया। धान खरीदी में विष्णुदेव सरकार के पसीने छूट रहे हैं।
संग्रहण केंद्र मे बारदानों की कमी
आज पूरे प्रदेश में विष्णु सरकार की बदनियती के चलते छत्तीसगढ़ के धान बेचने वाले किसान मायूस हैं। प्रदेश के अधिकांश समिति और धान संग्रहण केंद्र बारदानों की कमी से जूझ रहे हैं। यह सरकार न पर्याप्त मात्रा में नए बारदाना खरीद पाई है और ना ही राइस मिलरों से बारदाना उपलब्ध कराने का समुचित प्रयास हुआ है। पीडीएस के बारदाने तक समुचित मात्रा में यह सरकार कलेक्ट नहीं कर पाई है। जिसके चलते किसान भटकने मजबूर हैं।
उक्त वक्तव्य धान खरीदी केंद्रों में व्याप्त बारदानों की कमी व किसानों को 50 फीसदी बारदाना लाने की अनिवार्यता को लेकर पूर्व संसदीय सचिव ने व्यक्त की। पूरे प्रदेश सहित महासमुंद जिले में आज किसान अपने ही धान को बेच नहीं पा रहे है।
सरकार ने सभी पट्टा से धान खरीदी के लिए उपयुक्त रकबा पंजीयन घटा दिया। जिससे किसान अपने पूरा धान सरकारी धान खरीदी केंद्र में बेच नहीं पा रहे है। ऊपर से अब किसानों से धान खरीदी के लिए बारदाना की मांग कर रहे है। जो किसान बारदाना नहीं दे पा रहे हैं, उनका धान खरीदी नहीं हो पा रहा है। बारदाना नहीं लाने पर किसानों को वापस लाैट जाने की बाते कही जा रही है। जिससे क्षेत्र के किसान भाजपा सरकार की धान खरीदी नीति को कोष रहे हैं।
धान खरीदी से बचने बारदाने संकट उत्पन्न कर रही है सरकार : विनोद चंद्राकर
पूर्व विधायक चंद्राकर ने कहा कि किसानों को मजबूरी में बाहर से बारदाना लगभग 40 रुपये में खरीदी कर धान बेचना पड़ रहा है। जिससे उनकी परेशानी और बढ़ गयी। सरकार द्वारा धान खरीदी केंद्र में बारदाना पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध नहीं करा पा रहे हैं, और किसानों से 50 प्रतिशत बारदाना लिया जा रहा है। जिसका बाजार मूल्य एक बारदाना का लगभग 30 से 40 रुपये है। और सरकार द्वारा 25 रु. भुगतान करने की बात कही जा रही है। वह भी 2 किस्त में। लेकिन सोचने वाली बात ये है कि किसानों का जो 10 से 15 रुपये एक बारदाना में ज्यादा लग रहा है, वह पैसा कहां से आएगा? इससे किसान अत्यधिक परेशान हैं।
कृत्रिम बाधा उत्पन्न कर रही है सरकार
पूर्व विधायक ने कहा कि किसानों का एक-एक दाना धान खरीदने की बात कहने वाले आज स्वयं धान खरीदी से बचने के लिये कृत्रिम बाधा उत्पन्न कर रही है। सरकार की बदनीयती से राइस मिलर्स भी परेशान है। कस्टम मीलिंग की बकाया राशि और मिलिंग की दरें घटाए जाने के खिलाफ प्रदेश भर के राइस मिलर्स सरकार के खिलाफ आंदोलित है। परिवहन की समुचित व्यवस्था और उठाव नहीं होने के चलते धान खरीदी की दर प्रभावित हो रही है।
अभी तक लक्ष्य का 10 प्रतिशत खरीदी भी यह सरकार नहीं कर पाई है। इस सरकार की नीति और नियत दोनों किसान विरोधी है। भाजपा सरकार के षड्यंत्र के चलते किसान अपना धान नहीं बेच पा रहे हैं। प्रत्येक संग्रहण केंद्र व ग्राम पंचायतों में कैश काउंटर लगाकर नगद भुगतान का वादा भारतीय जनता पार्टी ने 2023 के विधानसभा चुनाव के दौरान किया था। लेकिन, किसानों को अपने धान की पूरी कीमत का नगद भुगतान किसी भी संग्रहण केंद्र में नहीं मिल रहा है। भाजपा के लिए धान और किसान केवल सियासी लिहाज से जरूरी है। सच यही है कि उनकी नीति और नियत दोनों किसान विरोधी है।
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