दिल्ली-गोवा ने देश में पहला ‘हर घर जल‘ राज्य बनने का अनूठा गौरव हासिल किया है क्योंकि इसने सफलतापूर्वक 2.30 लाख ग्रामीण परिवारों को कवर करते हुए ग्रामीण क्षेत्रों में 100 प्रतिशत चालू घरेलू नल कनेक्शन (एफएचटीसी) उपलब्ध कराया है।गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने घोषणा की कि राज्य के सभी ग्रामीण परिवारों के पास अब नल जल आपूर्ति है। राज्य की प्रतिबद्धता एवं त्वरित प्रयासों ने लक्ष्य को समय से काफी पहले ही पूरा करना सुनिश्चित किया है।
केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने जून, 2020 में गोवा के मुख्यमंत्री को 2021 तक ग्रामीण क्षेत्रों में 100 प्रतिशत चालू घरेलू नल कनेक्शन (एफएचटीसी) उपलब्ध कराने की राज्य की वार्षिक कार्य योजना (एएपी) पर प्रसन्नता जताते हुए एक पत्र लिखा था और यह दोहराते हुए कि केंद्र सरकार के लिए शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराना एक राष्ट्रीय प्राथमिकता है, इसने मिशन के कार्यान्वयन के लिए पूरी सहायता दी।
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इसी के अनुरूप, 2020-21 में गोवा को फंड आवंटन बढ़ाकर 12.40 करोड़ रुपये कर दिया गया है। इसके अतिरिक्त, राज्य पीने के पानी के स्रोतों, जलापूर्ति, धूसर जल के शोधन एवं पुर्नउपयोग तथा प्रचालन एवं रख-रखाव के सुदृढ़ीकरण के लिए मनरेगा, एसबीएम (जी) पीआरआई को 15वां वित्त आयोग अनुदान, जिला खनिज विकास निधि, कैम्पा, सीएसआर फंड, स्थानीय क्षेत्र विकास फंड, आदि जैसे विभिन्न कार्यक्रमों के समन्वय का अन्वेषण भी कर सकता है।
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गोवा के दो जिलों अर्थात 191 ग्राम पंचायतों में 1.65 लाख ग्रामीण घरों के साथ उत्तरी गोवा एवं 98,000 ग्रामीण घरों के साथ दक्षिणी गोवा नल कनेक्शनों के जरिये आश्वस्त पाइपयुक्त पानी के साथ पूर्ण रूप से संतृप्त है। जल परीक्षण सुविधाओं को सुदृढ़ बनाने के लिए, राज्य एनएबीएल प्रत्यायित 14 जल गुणवत्ता परीक्षण प्रयोगशाला प्राप्त करने की प्रक्रिया में है। जल जीवन मिशन प्रत्येक गांव में 5 व्यक्तियों को, विशेष रूप से महिलाओं को फील्ड टेस्ट किट के उपयोग में प्रशिक्षित किया जाना अधिदेशित करता है जिससे कि गांव में ही पानी का परीक्षण किया जा सके।
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गोवा की उपलब्धि अन्य राज्यों के समक्ष अनुकरण करने तथा यह सुनिश्चित करने कि प्रत्येक ग्रामीण घर को, विशेष रूप से कोविड-19 महामारी के इस दौर में नल कनेक्शन उपलब्ध हो, के लिए एक उदाहरण है। यह और भी अधिक आवश्यक है कि घरों के भीतर ही आश्वस्त सुरक्षित पीने का पानी उपलब्ध हो। घरों में नल कनेक्शन के लिहाज से ग्रामीण भारत में होने वाली यह मौन क्रांति ‘नवीन भारत‘ के लिए ‘कार्य प्रगति पर‘ है, का सूचक है।
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सार्वभौमिक पहुंच अर्जित कर लेने के बाद, राज्य की योजना अब सेंसर आधारित सेवा प्रदायगी निगरानी प्रणाली हासिल करने की है जिससे कि नियमित एवं दीर्घकालिक आधार पर प्रत्येक ग्रामीण घर को उपलब्ध कराये जाने वाले जल आपूर्ति की कार्यशीलता अर्थात पर्याप्त मात्रा एवं अनुशंसित गुणवत्ता में पीने के पानी की निगरानी की जा सके।
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