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बिस्तर होने पर भी कोरोना मरीजों को भर्ती नही करने वाले अस्पतालों पर होगी कार्यवाही

अनावश्यक दवाईयां न देने के संबंध में स्वास्थ्य विभाग द्वारा नीति निर्धारित

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महासमुंद- अस्पताल में बिस्तर उपलब्ध होने पर भी कोरोना मरीजों को भर्ती न देने वाले अस्पतालों पर की जाएगी कार्यवाही कलेक्टर सिंह ने कहा है कि राज्य सरकार के निर्देश पर मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी द्वारा अलग-अलग दल बनाए जाएगें, जो कि निजी अस्पतालों का भ्रमण कर यह सुनिश्चित करेंगे कि पोर्टल पर बेड उपलब्धता की जानकारी अद्यतन रहे एवं बिस्तर उपलब्ध होने की स्थिति में किसी भी मरीज को भर्ती होने से वंचित न होना पड़े।

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यह भ्रमण दल अस्पतालों में मरीजों से मिलकर यह भी ज्ञात करेंगे कि अस्पताल द्वारा मरीजों को भर्ती से वंचित तो नहीं किया जा रहा। यदि कोई अस्पताल मरीज को बेड उपलब्ध होने के बावजूद भर्ती करने से इंकार करता है तो ऐसी स्थिति में छत्तीसगढ़ उपचर्या गृह एवं रोगोपचार संबंधी स्थापनाए अधिनियम 2010 एवं नियम 2013 महामारी अधिनियम 1897 की कडिका दो एवं छ.ग. एपिडेमिक डिसीज कोविड 19 रेगुलेशन 2020 की कण्डिका 3 के अंतर्गत ऐसे अस्पतालों के विरुद्ध कार्यवाही करें।

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अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, नई दिल्ली द्वारा जारी किए गए नए प्रोटोकाल के अनुसार एवं राज्य के वरिष्ठ डाक्टरों की अनुशंसा पर कोविड के ईलाज के लिए स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग, छत्तीसगढ़ द्वारा नया प्रोटोकॉल जारी किया गया है। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, नई दिल्ली एवं आई. सी. एम. आर. की अनुशंसा के अनुसार रेमेडीसिविर, टोसीलुमाब एवं प्लाज्मा थेरेपी का उपयोग केवल अस्पतालों में ही किया जाए।

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इन दवाओं को प्रिस्क्राइब करने वाले डाॅक्टर की यह जिम्मेदारी होगी कि वह इन दवाओं के संबंध में मरीज की आवश्यकता का आकलन कर लें एवं यह भी सुनिश्चित कर ले कि मरीज को अन्य कोई बीमारी जैसे किडनी रोग, हृदय रोग, कैंसर आदि तो नहीं, वह दवाएं अभी एक्सपेरीमेंटल दवाएं हैं। अतः इन दवाओं को किसी भी मरीज को देने से पूर्व मरीज के परिजन से इन्फाॅर्म कंसेन्ट प्राप्त करना अनिवार्य होगा। राज्य सरकार ने यह भी निर्देश दिए हैं कि इन दवाओं के उपयोग के संबंध में राज्य चिकित्सा परिषद् द्वारा दवाओं के उपयोग की ऑडिट की जाएगी एवं बिना किसी कारण ऐसी दवाएं प्रिस्क्राईब करने वाले डाक्टर के विरुद्ध कड़ी कार्यवाही की जाएगी।

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