दिल्ली पुलिस ने उत्तर-पूर्वी दिल्ली में दंगों की जांच अपराध शाखा को सौंपी

दिल्ली के हिंसाग्रस्त इलाकों में स्थिति दिन भर सामान्य रही। अभी तक हिंसा में 34 लोग मारे गए हैं और 200 से अधिक घायल हैं। हिंसा के सभी मामलों में जांच को गति देने के लिए दिल्ली पुलिस ने क्राइम ब्रांच की निगरानी में एसआईटी गठित कर सभी मामले ट्रांसफर कर दिए हैं। दूसरी ओर उच्च न्यायालय में भी मामले की सुनवाई हुई और दायर याचिकाओं पर केंद्र व पुलिस से चार हफ्तों में जवाब मांगा है। अगली सुनवाई 13 अप्रैल को होगी उत्तर-पूर्व दिल्ली के हिंसाग्रस्त इलाक़े में बृहस्पतिवार को भी स्थिति में सुधार देखा गया और हिंसा का कोई भी ताज़ा मामला सामने नहीं आया है।

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केंद्रीय अर्धसैनिक बलों की तकरीबन 73 कंपनियां स्थाई शांति बहाली के लिए इलाक़े में डटी हुईं हैं। दिल्ली पुलिस ने भी हिंसा के सभी मामलों को दो एसआईटी गठित कर जांच के लिए सौंप दिया है। डीसीपी जोए तिर्की और डीसीपी राजेश देव के नेतृत्व में क्राइंम ब्रान्च की दोनों एसआईटी मामले की जांच करेंगी। साथ ही प्रभावित क्षेत्र में 30 से ज़्यादा एम्बुलेंस तैनात की गई हैं।दिल्ली पुलिस के ज्वाइंट सीपी ने भी दौरा कर विश्वास बहाली और सुरक्षा के प्रति लोगों को आश्वस्त करने की कोशिश की। वहीं दोपहर बाद विशेष पुलिस आयुक्त एस.एन.श्रीवास्तव की अगुवाई में सुरक्षा बलों ने खजूरी खास इलाके में फ्लैग मार्च किया।

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लोगों के बीच कड़वाहट कम करने और आपसी मेलजोल को पटरी पर लाने के लिए शांति समितियों ने जगह-जगह बैठकें की और कई जगह मार्च भी निकाला। रोज़मर्रा की ज़रुरी चीज़ों की सप्लाई को भी सुचारू बनाने के लिए प्रयास किये जा रहे हैं।उच्च न्यायालय ने हिंसा मामले में सुनवाई बृहस्पतिवार को भी जारी रखी। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दिल्ली उच्च न्यायालय को बृहस्पतिवार को बताया कि उत्तर-पूर्व दिल्ली हिंसा के सिलसिले में 48 प्राथमिकियां दर्ज की गई हैं और राष्ट्रीय राजधानी में स्थिति सामान्य होने तक न्यायिक हस्तक्षेप की जरूरत नहीं है। वहीं मुख्य न्यायाधीश डी. एन. पटेल की पीठ ने केंद्र और पुलिस को जनहित याचिका पर जवाब देने के लिए चार हफ्ते का समय दिया।

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दिल्ली सरकार दंगों में मारे गए लोगों के परिजनों को दस-दस लाख और गंभीर रूप से घायल लोगों को पांच-पांच लाख रुपये का मुआवजा देगी राष्ट्रीय राजधानी में हुए दंगों में घायल और निजी अस्पतालों में भर्ती लोगों के इलाज का खर्च दिल्ली सरकार उठाएगी। दूसरी ओर सीबीएसई ने भी हिंसा प्रभावित इलाकों में 28 और 29 फरवरी को होने वाली दसवीं और बारहवीं की परीक्षा रद्द कर दी है। इसके अलावा जो बच्चे हिंसा की वज़ह से परीक्षा में नहीं बैठ पाए हैं उनके लिए फिर से परीक्षा आयोजित होगी।

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