Home छत्तीसगढ़ एक मानव समाज निर्माण में योगदान करने वाली दंपतियां जुटेंगी महासमुंद में

एक मानव समाज निर्माण में योगदान करने वाली दंपतियां जुटेंगी महासमुंद में

 विचारगोष्ठी और सम्मान समारोह का होगा आयोजन प्रदेश प्रमुखों की मौजूदगी में इकाई की हुई बैठक Unit meeting in the presence of state chiefs

एक मानव समाज निर्माण में योगदान करने वाली दंपतियां जुटेंगी महासमुंद में

महासमुंद। ‘एक मानव समाज की चेतनधारा और सामाजिक कुरीतियों का उन्मूलन’ विषय पर विचारगोष्ठी तथा एक मानव समाज निर्माण के लिए अपना योगदान करने वाली दंपतियों का सम्मान समारोह महासमुंद में आयोजित किया जाएगा। इसमें विभिन्न क्षेत्रों की नामचीन हस्तियों सहित महासमुंद क्षेत्र व प्रदेश के उन परिवारों का समागम होगा जो एक मानव समाज निर्माण में अपना योगदान कर रहे हैं।

कोरोना के चलते उत्पन्न परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए अभी तारीख तय नहीं की गई है, किंतु हालत सामान्य रहे तो यह महती आयोजन अप्रैल में होगा। स्थानीय पुराना रेस्टहाउस में एक मानव समाज की बैठक में आयोजन की रूपरेखा पर चर्चा हुई।

बैठक को संबोधित करते हुए एक मानव समाज के प्रदेशाध्यक्ष सुबोध देव ने कहा कि साढ़े तीन हजार साल पूर्व की गुण-कर्म आधारित वर्ण व्यवस्था कालांतर में जाति व्यवस्था में परिवर्तित हो गई और जातियों में भी उपजातियां मानव समाज को बांटती चली गईं। हमारे धर्मग्रंथों, संत महात्माओं व महापुरुषों ने जात-पात का कभी समर्थन नहीं किया, बल्कि जात-पात की संकीर्णता से ऊपर उठाने व मानव-मानव को एक करने का प्रयत्न किया। किंतु कुछ विचारधाराएं आज भी दोषपूर्ण जातीय व्यवस्था का संपोषण करती हैं।

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अंतरजातीय विवाह करने वाले परिवारों को समाज से बहिष्कृत व अर्थदंड से दंडित कर सभी सामाजिक कार्यों से वंचित रखा जाता है। ऑनर कीलिंग जैसी घटनाएं होती हैं। अंतरजातीय विवाह तो दो जातियों को मिलाता है, एक मानव समाज निर्माण की ओर अग्रसर करता है।

वरिष्ठ पत्रकार ललित मानिकपुरी ने कहा कि हमारे संत, महात्माओं द्वारा लोगों के बीच की दूरियों को मिटाने और मानवता की सीख देने के लिए अपने-अपने तरीके से सुदीर्घ और प्रभावी आंदोलन चलाए गए, किंतु जातीय व्यवस्था की जड़ें बहुत गहरी हैं। सामाजिक कुरीतियों को दूर करने के लिए प्रयत्न जारी रखना होगा। अंतरजातीय विवाह शर्म का नहीं गर्व का विषय है।

बैठक में महेंद्र यादव ने कहा कि मानव-मानव एक हैं, संतों, महापुरुषों के इस संदेश को आत्मसात करें। अंतरजातीय विवाह करने वालों का सामाजिक बहिष्कार बंद करें। बैठक में यदुनाथ जी, नथमल प्रसाद शिवनकर, महेंद्र यादव, संजय कुमार, मनीष कुमार, खिलेश्वर बेलचंदन, व्ही राजेन्द्र, शमिता, महेश्वरी विश्वकर्मा, ओमप्रकाश नवरंगे ने भी अपने विचार रखे।

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