भुरामाहू व लकवा रोग में दवा का असर नही परेशान है किसान

खल्लारी से तारेश साहू

खल्लारी- समीपस्थ ग्राम सिंघी के किसान इन दिनों अपने धान के फसलों में भुरामाहू व लकवा रोग को लेकर काफी परेशान है। क्योंकि इस रोग से किसानों का फसल बर्बाद होने के कगार पर है।  किसान अपने फसलों को भुरामाहू व लकवा रोग से बचाने काफी मशक्कत कर रहे हैं फसलों को बचाने में ज्यादातर किटनाशक दवाईयों का असर भी बेअसर साबित हो रहा है। जिसके चलते किसान किसान बर्बादी के कगार पर है।

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ग्राम सिंघी के किसान इन दिनों अपने धान के फसलों में भुरामाहू व लकवा रोगों के निदान को लेकर काफी परेशान है। यहां के किसान लगातार अपने – अपने फसलों को बचाने किटनाशक दवाईयों का उपयोग कर थक चुके हैं। इसके बाद भी यहां के किसानों के धान के फसलों से रोग कट नहीं रहा है। धान के फसलों में भुरामाहू व लकवा रोगों को लेकर ग्राम सिंघी के किसान विरेन्द्र दुबे, अशोक साहू, भगत निषाद, रोहित साहू, मन्नु साहू, निलमणी साहू, बरातु यादव, कामदेव साहू, पिन्टु साहू, थलेश साहू आदि ने बताया की उनके भी खेतों मे भुरामाहू व लकवा जैसे अनेक रोगों के रोगथाम के लिए कई तरह से किटनाशक दवाईयों का छिड़काव कर चुके हैं। जो फसलों को बचाने बेअसर साबित हो रहा है।

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 यहां के किसानों ने यह भी बताया की अपने खेतों के धान के फसलों को बचाने लगातार किटनाशक दवाईयों का छिड़काव कर रहें है। भुरामाहू और लकवा रोगों के रोकथामों लिए विभिन्न कम्पनियों के किटनाशक दवाईयों का छिड़काव से भी फसलों को फायदा नहीं मिल रही है। जिसके चलते यहां के किसानों ने सम्बन्धित दवाई कम्पनी को फोन कर ग्राम सोरम – सिघी के खेत खलियानों में फसलों का अवलोकन करने बुलाया है। किन्तु अब तक दवाई कम्पनी के कोई भी कर्मचारी सिंघी नहीं पहूंचा है। किसानों ने यह भी बताया की उनके फसलों से यदि भुरामाहू व लकवा रोगों का रोकथमा नहीं हूआ तो अतिशीघ्र मुख्यमंत्री जनचौपाल और महासमुंद कलेक्टर के जनदर्शन में फसलों के क्षतिपूर्ति के लिए ज्ञापन सौंपा जायेगा।
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💥 मवेशियों के लिए स्वयं के खर्च से यहां बनाया गया है, गोठान :-
यहां के ग्रामीणजन, मवेशियों को रखने गांव के अंतिम छोर में करीब एक एकड़ के जमीन को लकड़ी के खम्भों में तार से घेरा कर मवेशियों को सुरक्षित रखने गौठान की भी व्यवस्था, ग्रामीणों ने स्वयं के व्यव से कियें हैं। जिसके चलते गांव और आस पास के लावारिश मवेशियों को रखने के लिए सहायक साबित हो रहा है। इस वजह से मवेशियों से किसानों का फसल भी नुकसान होने से बच जाता है। इस प्रयास को लेकर सोरम – सिंघी वासीयों का, आस पास के लोग भी काफी प्रशंसा कर रहे। वहीं इस इस गांव वालों ने ही करीब दो वर्ष पहले दाहसंस्कार के लिए भी अपने स्वयं के खर्च से मुक्ति धाम बनाया है। एक ओर जहां ज्यादातर लोग सरकारी सहयोग और स्वीकृति के आस रखते है। इसके बाद भी इस गांव के लोगों ने  जन सहयोग से गौठान और मुक्तिधाम बनाकर मिसाल पेश कियें हैं।

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