अजित पुंज-बागबाहरा- श्रीकृष्ण बाल आश्रम बिहाझर में पल रहे बच्चों को जब अपनों की याद आती है, तो उनके मासूम चेहरों पर आंसुओं की जैसे झड़ी लग जाती है।आश्रम में निवासरत बच्चों की सुध लेने पहुंचे संस्थापक सदस्यों ने शनिवार अपराह्न नए कपड़े,पाठ्य सामग्री व उपहार देकर खुशियां बांटी गई।संस्था का प्रयास है कि इन बच्चों के चेहरों पर खुशियां लाई जावे। संस्था ने आश्रम में कार्यरत कर्मचारियों की भी सुध लेकर उन्हें नए वस्त्र प्रदान किये।
अलादीन जीन और कवि महोदय,गुनगुनी घूप,पालक,छोटा सा इंद्रधनुष-महेश राजा
बातचीत में बच्चों ने बताया कि उन्हें आश्रम में कोई तकलीफ नहीं है,फिर भी अपनों के पास न होने दर्द उनकी आँखों मे झलक आया।वितरण समारोह की अध्यक्षता कर रहे संस्था के अध्यक्ष अजय तिवारी ने कहा कि हमारी सामाजिक संस्था आश्रम में निवासरत बच्चों को न केवल नए कपड़े व पाठ्य सामग्री मुहैया कराती है बल्कि उनकी शिक्षा की समुचित व्यवस्था कर उन्हें स्कूलों में दाखिला दिला कर उनकी शिक्षा पर ध्यान दिया जाता है, बल्कि कमज़ोर बच्चों को संस्था में कोचिंग करा कर उनका शैक्षणिक स्तर भी बढ़ाने का प्रयास किया जाता है।
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इस अवसर पर वितरण समारोह के मुख्य अतिथि खल्लारी विधायक व संसदीय सचिव द्वरिकाधीश यादव ने अभावग्रस्त बच्चों को संस्था द्वारा स्कूलों में निःशुल्क शिक्षा व कोचिंग प्रदान करने के कार्य की प्रशंसा करते हुए कहा कि समाजिक संस्थाएं बच्चों की आवश्यकताओं के समान तो मुहैया करा देती हैं लेकिन निर्धन बच्चों को शिक्षा व कोचिंग देकर उनका जीवन निर्माण किया जा रहा है। यह सबसे बड़ी सेवा है। समारोह में बाल आश्रम के सचिव रूपचंद श्रीश्रीमाल,पूर्व अध्यक्ष देवीचंद श्रीश्रीमाल,सुरेश श्रीकृष्णा अग्रवाल, प्रकाश श्री नेमीचंद श्रीश्रीमाल, प्रेमरतन श्रीश्रीमाल,मदन लाल तालेरा,संजय श्रीश्रीमाल, कुशाल चंद श्रीश्रीमाल, संतोष अग्रवाल, हाजी रज्जाक भाई, मंजू कालिया,व महावीर जैन उपस्थित थे।
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नगर से पांच किलोमीटर दूर श्रीकृष्णा बालाश्रम परिसर में अलग से वृद्धाश्रम भवन बनाये जाने की योजना है। उक्ताशय की जानकारी संस्था के अध्यक्ष अजय तिवारी ने संस्था के सदस्यों के साथ पत्रकार वार्ता में दी।उन्होंने कहा की अपनो के दिये गए दर्द से तंग आकर उक्त आश्रम में वृद्ध पुरुष अपना जीवन यापन कर सकेंगे।जहां उनके रहने से लेकर खाने-पीने व दवा तक बेहतर इंतज़ाम होगा। खाने को तीनों टाइम चाय नाश्ता व भोजन उनकी आवश्यकता के हिसाब से दिया जावेगा।
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उन्होंने कहा कि बाल आश्रम की स्थापना की शुरुवात में 25 बच्चे निवासरत थे। वर्तमान में 6 वर्ष से 18 वर्ष के 33 बच्चे निवासरत इन बालकों को वर्ष में 4 जोड़ी सिविल ड्रेस व 2 जोड़ी स्कूल ड्रेस दिया जाता है। इस वर्ष 12 बच्चों को कंप्यूटर की शिक्षा देने की व्यवस्था की गईं है। बच्चों के स्वास्थ्य की देखभाल के लिए पैरामेडिकल स्टाफ की नियुक्ति भी की गई है। बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए उन्हें योग व व्यायाम का नियमित अभ्यास कराया जाता है। इस आश्रम के बच्चों ने तीरन्दाजी में राष्ट्रीय स्तर पर खिताब हासिल कर, संस्था को गौरवान्वित किया है।
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