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नगर पालिकाओं को हस्तांतरण 4 % तक बढ़ाने की सिफारिश की शहरी कार्य मंत्रालय ने

वित्त आयोग ने शहरी स्थानीय निकायों द्वारा संपत्ति कर निर्धारण के मुद्दे परआवासन एवं शहरी कार्य मंत्रालय के साथ बैठक की

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दिल्ली-15वें वित्त आयोग ने आज शहरी स्थानीय निकायों (यूएलबी) द्वारा लगाए जाने वाले संपत्ति कर, सिफारिश सहित कई मुद्दों को लेकर केन्द्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी Hardeep Singh Puri और आवासन एवं शहरी कार्य मंत्रालय (MOHUPA) के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ एक बैठक की। यह 2020-21 के लिए आयोग की सिफारिशों के संदर्भ में था, जिसमें राज्यों को संपत्ति कर की ऊपरी दरें अधिसूचित करने का आदेश दिया गया था और उसके बाद राज्य की अपनी जीएसडीपी GSDP वृद्धि दर की तर्ज पर संपत्ति कर संग्रह में सुधार दिखाई दिया था।

इस मसले के और विशेष रूप से कोविड-19 महामारी के वर्तमान संदर्भ में राजकोषीय महत्व को देखते हुए आयोग ने कुशल संपत्ति प्रशासन में सहायता के लिए राज्यों और शहरी स्थानीय निकायों Urban local bodies से व्यापक विचार विमर्श किया था। साथ ही व्यापक स्तर पर कम मूल्यांकन, जानकारियों की कमी, अधूरे संपत्ति रजिस्टर, नीतिगत खामियों, अप्रभावी प्रशासन जैसी समस्याओं को दूर करने पर भी चर्चा की गई। इसके अलावा सभी के लिए प्रगतिशील, प्रभावशाली और न्यायसंगत उद्देश्यपूर्ण कर निर्धारण प्रणाली के साथ ही भू-कर व्यवस्था में सुधार पर भी बात हुई।

बैठक में हुआ विचार-विमर्श सरकार के स्तर पर विभिन्न वर्षों में दोहराव, ओवरलैपिंग Overlapping खत्म करने या कार्यों के विभाजन के माध्यम से संपत्ति कर प्रशासन के संबंध में यूएलबी के लिए ‘सहयोगी वातावरण’ तैयार करने पर केन्द्रित रहा। इसमें उपयुक्त डाटा के संग्रहण, मूल्यांकन या आकलन, कर की दरों के निर्धारण, कर संग्रह और इन सभी पहलुओं की निगरानी के लिए शहरी स्थानीय निकायों (यूएलबी) को जवाबदेह बनाने पर जोर रहा था।

आवासन एवं शहरी कार्य मंत्रालय के सचिव दुर्गा शंकर मिश्रा Durga Shankar Mishra ने 15वें वित्त आयोग को विस्तृत प्रस्तुतीकरण सौंपा और 15वें वित्त आयोग की 2020-21 से 2025-26 तक की रिपोर्ट के उद्देश्य के आयोग के पास एमओएचयूए का संशोधित ज्ञापन जमा किया गया। मंत्रालय ने कई सिफारिश कीं, जिनमें कुछ गैर वित्तीय के साथ ही वित्तीय सिफारिश भी शामिल थीं।

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गैर वित्तीय सिफारिश इस प्रकार हैं :
  • संपत्ति कर की अनिवार्य शर्तों में बदलाव।
  • वायु प्रदूषण के स्रोतों पर रोक लगाने को शहरों के लिए परिवेशी वायु गुणवत्ता अनुदान।
  • बद्ध (टाइड) अनुदान – ठोस कचरा प्रबंधन, जल आपूर्ति सहित अपनी आवश्यकता और प्राथमिकता के आधार पर कार्य शुरू करने वाले शहरों के लिए।
  • सार्वजनिक स्वास्थ्य आधारभूत ढांचे के लिए यूएलबी को अलग अनुदान सहित कोविड-19 के खिलाफ उपायों के लिए केन्द्रीय करों का 9.4 प्रतिशत।
  • नियोजित शहरीकरण, विनियामकीय बोर्ड की स्थापना, खातों का ऑडिट आदि शहरी सुधारों को जारी रखना।
  • 86 शहरी क्लस्टरों में वित्तीय स्थायित्व के लिए उत्प्रेरक हस्तक्षेप, जिनमें देश के 3,331 शहरों में नागरिक सेवाओं की डिलिवरी में सुधार और राजस्व संग्रह आदि में वृद्धि के लिए साझा नगरीय सेवाओं को लागू करना शामिल है।

मंत्रालय को सौंपी गई वित्तीय सिफारिशें इस प्रकार हैं :

  • नगर पालिकाओं में संसाधनों की कमी को दूर करने के लिए- नगरीय स्तर के संसाधनों के लिए अनुदानों में खासी बढ़ोतरी और नगर पालिकाओं को हस्तांतरण में कम से कम चार गुना बढ़ोतरी।
  • खातों के बेहतर प्रबंधन के लिए 213 करोड़ रुपये की लागत से एमओएचयूए में कार्यक्रम प्रबंधन इकाई की स्थापना।
  • 450 करोड़ रुपये की लागत से संस्थागत क्षमताओं का निर्माण।

आखिर में मंत्रालय ने कहा कि

  • शहरी नगर निकायों के लिए आवंटन 87,143 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 3,48,575 करोड़ रुपये करना।
  • राज्यों के नगरीय खातों और केन्द्रीय खातों के अनुकूलीकरण तथा एकीकरण के लिए 213 करोड़ रुपये के कोष की आवश्यकता।
  • 86 शहरी क्लस्टर्स में अपने राजस्व में वृद्धि, नगर पालिका कर्ज और साझा नगरीय सेवाओं के लिए 450 करोड़ रुपये के कोष की आवश्यकता।
  • शहरी सार्वजनिक स्वास्थ ढांचे के लिए एमओएचएंडएफडब्ल्यू को अगल अनुदान।
  • मिलियन से ज्यादा आबादी वाले शहरों में बेहतर वायु गुणवत्ता के नियमन के लिए एमओईएफएंडसीसी को अलग अनुदान

मंत्रालय ने आयोग को यह भी बताया कि 6 राज्यों (गुजरात, ओडिशा, तमिलनाडु, पंजाब, त्रिपुरा, उत्तर प्रदेश) के क्षेत्रीय प्रतिनिधियों के साथ शहरी विकास मंत्रियों के एक सलाहकार समूह का गठन किया गया है। सलाहकार समूह को सहयोग देने के लिए इन 6 राज्यों के प्रमुख सचिवों (शहरी विकास) की एक संचालन समिति का गठन किया गया है। संपत्ति कर पर परिदृश्य अध्ययन जनआग्रह को नामित किया गया है। कानूनों, प्रक्रियाओं और जमीनी गतिविधियों में सर्वश्रेष्ठ अभ्यासों की पहचान की गई है।

आयोग ने 2020-21 से 2025-26 तक के लिए भेजी जाने वाली अंतिम सिफारिशों में मंत्रालय की सभी सिफारिशों और मुद्दों पर विचार करने का भरोसा दिलाया है।

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