महासमुंद। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् ने आज यहाँ शिक्षकों एवं छोटे निजी विद्यालयों की आर्थिक स्थिति में सुधार सम्बन्धी सुझावों पर कलेक्टर के साथ चर्चा कर उन्हें ज्ञापन सौंपा है।
अभाविप के महासमुंद जिला संयोजक ऐश्वर्य पुरोहित ने कहा कि कोविड-19 संक्रमण के चलते आम जनमानस को कई प्रकार की आर्थिक समस्याओं से दो-चार होना पड़ रहा है। ऐसे में पालकों के आर्थिक बोझ को कम करने के नाम पर निजी विद्यालयों पर शुल्कमाफी के लिए दबाव बनाया जा रहा है।
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यह शुल्कमाफी एक दृष्टिकोण से सही भी लग सकती है, किन्तु छोटे निजी विद्यालयों एवं गैर लाभकारी निजी संस्थाओं के दृष्टिकोण से यह कठिनाई उत्पन्न कर सकती है क्योंकि ये संस्थाएँ विद्यार्थियों से प्राप्त शुल्क पर ही निर्भर होते हैं। और शुल्क न मिलने पर वे अपने शिक्षकों को वेतन नहीं दे पाएंगे। हालांकि परिषद् का मत है कि दोनों ही दृष्टिकोण न तो पूरी तरह सही ठहराए जा सकते हैं और न ही पूरी तरह गलत ठहराए जा सकते हैं।
इस दुविधा से बाहर निकलने का एक उपाय यह है कि अधिकांश विद्यालयों को विगत दो सत्रों से आरटीई के अन्तर्गत शासन द्वारा जो देय राशि अबतक नहीं दी गई है उसे तत्काल प्रदान किया जाए। इससे विद्यालय आगामी सत्र प्रारम्भ होने तक अपने शिक्षकों को वेतन भी दे पाएंगे और उन्हें इसके लिए विद्यार्थियों से शुल्क लेने की आवश्यकता भी नहीं रह जाएगी।
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परिषद् के मतानुसार एक अन्य समस्या, जो परोक्ष रूप से हमारी शिक्षा व्यवस्था को क्षति पहुँचा रही है, वह शिक्षकों की आर्थिक स्थिति से सम्बद्ध है। निजी विद्यालयों में पढ़ाने वाले शिक्षकों को एक ओर जहाँ शासन द्वारा निर्धारित न्यूनतम मजदूरी की दर से भी कम वेतन मिलते हैं, वहीं दूसरी ओर बहुत सी संस्थाओं में आज भी कई वर्षों से पढ़ा रहे शिक्षकों के लिए भविष्य निधि एक स्वप्न है।
इस अवसर पर अभाविप छत्तीसगढ़ के प्रदेश मंत्री शुभम जायसवाल विशेष रूप से उपस्थित थे। साथ में अभाविप के प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य द्रोण पटेल, जिला समिति सदस्य राकेश साहू, कुम्भज चन्द्राकर, गुलाब सेन भी इस मौके पर उपस्थित थे।
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