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अगले पांच वर्षों में देश भर में 200 ‘नगर वन’ विकसित करने की शहरी वन योजना

शहरी वन शहरों में गांवों के वन की प्राचीन परम्‍परा को पुनर्जीवित करेंगे

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विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर परसरकार ने आज वन विभाग, नगर निकायों, गैर सरकारी संगठनों, कॉर्पोरेट्स और स्‍थानीय नागरिकों के बीच भागीदारी और सहयोग पर नए सिरे से ध्यान केंद्रित करते हुए अगले पांच वर्षों में देश भर में 200 शहरी वन विकसित करने के लिए नगर वन योजना के कार्यान्वयन की घोषणा की।

विश्व पर्यावरण दिवस (डब्‍ल्‍यूईडी) हर साल 5 जून को मनाया जाता है।पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूएनईपी) द्वारा घोषित थीम पर ध्यान केंद्रित करते हुए डब्‍ल्‍यूईडीमनाता है और कई कार्यक्रम आयोजित करता है। इस वर्ष का विषय ‘जैव विविधता’ है। कोविड-19 महामारी के कारण जारी हालात के मद्देनजर मंत्रालय ने इस वर्ष के थीम नगर वन (शहरी वन) पर ध्यान केंद्रित करते हुए विश्व पर्यावरण दिवस का आयोजन वर्चुअल रूप से किया।

शहरी वनों पर सर्वोत्तम प्रथाओं पर एक विवरणिका का विमोचन और नगर वन योजना की घोषणा करते हुएकेंद्रीय पर्यावरण मंत्री  प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि ये वन शहरों के फेफड़ों के रूप में काम करेंगे और मुख्य रूप से शहर की वन भूमि पर या स्थानीय शहरी निकायों द्वारा प्रस्तावित किसी अन्य खाली जगह पर होंगे। इस वर्ष के थीम अर्थात जैव विविधता पर विशेष ध्यान देने के साथ “टाइम फॉर नेचर” पर जोर देते हुए जावड़ेकर ने कहा, “प्रधान नियम यह है कि यदि हम प्रकृति की रक्षा करते हैं, तो प्रकृति हमारी रक्षा करती है ।

पर्यावरण का संरक्षण ही हमारा जीवन है- विधायक चंद्राकर

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भारतीय संस्कृति पर प्रकाश डालते हुए मंत्री जावड़ेकर ने कहा कि भारत संभवतः एकमात्र ऐसा देश है जहां पेड़ों की पूजा की जाती है, जहां जानवरों, पक्षियों और सरीसृपों की पूजा कीजाती है और यह पर्यावरण के लिए भारतीय समाज का सम्मान है। उन्‍होंने कहा कि हमारे पास युगों से गांव के जंगल की बहुत ही महत्वपूर्ण परंपरा हुआ करती थी, अब शहरी वन संबंधी इस नई योजना से इस खाई को भरा जा सकेगा क्योंकि शहरी क्षेत्रों में उद्यान तो हैं लेकिन जंगल बहुत ही कम हैं.शहरी वन बनाने की इस गतिविधि के साथ हम अतिरिक्त कार्बन सिंक भी तैयार करेंगे।

इस कार्यक्रम में मरुस्थलीकरण रोकथाम संयुक्‍त राष्‍ट्र अभिसमय(यूनाइटेड नेशन कन्वेंशन टू कॉम्बैट डेजर्टिफिकेशन-यूएनसीसीडी) के कार्यकारी निदेशक,  इब्राहिम थियाव और संयुक्‍त राष्‍ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूएनईपी) की कार्यकारी निदेशक  इंगेर एंडरसन ने भी वर्चुअल रूप से भागीदारी की।

यूएनसीसीडी के कार्यकारी निदेशक, थियाव ने कहा कि क्या अब समय नहीं आ गया हैकि हमें इस बात का एहसास हो कि यदि प्रकृति को हमारी जरूरत है भी, तो भी उससे कहीं ज्यादा हमें प्रकृति की जरूरत है। क्या अब समय नहीं आ गया हैकि हममें इतनी विनम्रता हो कि हम प्रकृति के साथ अपने संबंधों के बारे में नए सिरे से सोचे और उन्‍हें पुनर्परिभाषित करें। शायद अब समय आ गया है कि मानवता प्रकृति के लिए एक नया सामाजिक अनुबंध करे।

इस वर्ष के थीम पर जोर देते हुए  एंडरसन ने कहा कि प्रकृति के लिए क्रियाओं का आशय – भविष्य में महामारियों का कम जोखिम, सतत विकास लक्ष्य को प्राप्त करना, जलवायु परिवर्तन की गति को धीमा करना, स्वस्थ जीवन, बेहतर अर्थव्यवस्थाएं, ताजी हवा में सांस लेना या अपने आप में जीवन की रक्षा करने वाले जंगलों में विचरण करना है।

इस कार्यक्रम में महाराष्ट्र सरकार के वनमंत्री संजय राठौड़, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय में नवनियुक्त सचिव आरपी गुप्ता, महानिदेशक वन और विशेष सचिव संजय कुमार, पर्सिस्टन्ट सिस्‍टम के आनंद देशपांडे और टीईआरआरई पॉलिसी सेंटर, पुणे की निदेशकडॉ. विनीता आप्टेने भी भाग लिया और अपने विचारों को साझा किया।

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